INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा और राज्य वन सेवा परीक्षा 2024 प्री के सवालों की प्रोविजनल आंसर की पर लगी आपत्तियों के निराकरण के बाद आयोग ने शुक्रवार रात को फाइनल आंसर की जारी कर दी। लेकिन इसमें फिर बड़ी चूक कर दी है।
एक प्रश्न (स्पेमिंग, फिशिंग संबंधी) में तो साफ दिख रहा है कि टाइपिंग एरर की गई है कि क्योंकि जिस जवाब पर आपत्ति नहीं थी, वही मान्य कर दिया है। वहीं दो प्रश्न और डिलीट दिए हैं जबकि इनमें से एक के दो विकल्प मान्य होने थे और एक डिलीट होना था। यानी अब इनके नंबर सभी को मिलेंगे। वहीं विशेषज्ञों द्वारा दो के दिए आंसर गलत बताए जा रहे हैं।
पहले देखते हैं असर कितना गंभीर होगा
इस चूक का असर हजारों उम्मीदवारों पर होने वाला है। पद केवल 110 है और 1.34 लाख ने परीक्षा दी है। इसमें से ढाई हजार से भी कम मेंस में चयनित होंगे। तीन प्रश्न डिलीट उनके सभी को अंक मिलेंगे और तीन के दो विकल्प यानी अधिक लोगों के इनके सही होने के रास्ते खुलेंगे। यानी कुल मिलाकर ऐसी स्थिति में कटऑफ बहुत अधिक जाने वाला है।
आयोग को क्या चाहिए
आयोग को चाहिए कि तत्काल वह प्रश्न जो खासकर टाइप एरर से जुड़ा है और ऐसे अन्य जो उन्हें लगते हैं कि अभ्यर्थी सही है तत्काल इसे हटाकर नई आंसर की जारी करना चाहिए। प्रोविजनल में भी वह ऐसा कई बार चुका है।
150 रुपए लेने के बाद भी गलती
हर प्रश्न पर आपत्ति के लिए आयोग ने शुल्क 100 रुपए से बढ़ाकर 150 रुपए कर दिया है, हजारों उम्मीदवार आपत्ति लगाते हैं और यह आपत्ति ऐसे ही नहीं लगती उम्मीदवार को साथ में आपत्ति लगाने के सही प्रूफ भी लगाने होते हैं। इसके बाद भी आयोग की विशेषज्ञ कमेटी की यह चूक उम्मीदवारों पर बहुत भारी पड़ रही है।
इन दो और प्रश्न को किया गया डिलीट
1. भारतीय साहित्य में जनजातीय जीवन की सांस्कृतिक पंरपरा और विशिष्टताओं पर लेखन के लिए कौन सा सम्मान दिया जाता है।
(आयोग ने पहले प्रोविजनल आंसर की में इसका जवाब बी वीर शंकर शाह दिया था, लेकिन यह गलत था, आपत्तियों के बाद सही विकल्प नहीं होने के चलते इसे डिलीट किया गया है)
2. भिम्मा जनजाति के लोग कहां रहते हैं?
( इसमें पीएससी ने पहले प्रोविजनल आंसर की में मंडला व डिंडोरी जिले को सही माना। लेकिन बैतूल व छिंदवाड़ा के विकल्प को भी उम्मीदवार सही बता रहे थे। आपत्तियों के बाद पीएससी ने इसे डिलीट कर दिया, जबकि कायदे से इसे डिलीट नहीं करते हुए दो विकल्प को सही माना जाना चाहिए था)
3. इसके पहले पीएससी प्रोवीजनल आंसर की के समय ही एक प्रश्न मप्र की पहाड़ियों की ऊंचाई के आरोही और अवरोही से जुड़ा था उसे डिलीट कर चुका था, क्योंकि इसमें हिंदी और अंग्रेजी की भाषा में अंतर था।
(यानी अब इन तीन प्रश्नों के दो-दो अंक सभी उम्मीदवारों को मिलेंगे)
इस प्रश्न में दिख रही आंसर की में गंभीर टाइपिंग एरर
सबसे गंभीर आपत्ति स्पेमिंग, फिशिंग से जुड़े सवाल पर हो रही है) पीएससी ने पूछा था कि …भ्रामक संदेश, ईमेल टेक्सट संदेशों के रुप में आता है तो आपसे साफ्टवेयर इंस्टाल करने या व्यक्तिगत जानकारी प्रकट करने के लिए कह सकता है….
(पीएसी ने प्रोवीजनल आंसर की में सही जवाब में सी विकल्प फिशिंग को बताया था, लेकिन इसमें एक सही जवाब विकल्प ए स्पैमिंग भी था यानी पीएससी को दो जवाब सही मानने थे। लेकिन पीएससी ने इसमें फिशिंग विकल्प सी के साथ ही विकल्प बी वायरस साइनिंग को सही माना, विकल्प ए और सी सही थे, लेकिन आयोग ने बी व सी को सही माना। जो गलत है। इसे विकल्प को सही मानने की तो आपत्ति भी नहीं लगी। ऐसे में पूरी आशंका है कि आंसर की में यह टाइप एरर हुआ है। लेकिन इस एक सवाल के जवाब से हजारों उम्मीदवार उलझ गए हैं। इसके पहले प्रोविजनल आंसर की में दूसरे प्रश्न पत्र के 20 से ज्यादा सवालों के आंसर टाइपिंग एरर से गलत हो गए थे जिसे फिर हटाकर दूसरी आंसर की जारी हुई थी।
इसके प्रश्न के दो विकल्प होने थे लेकिन एक ही सही माना
एक सवाल था बिरहा किस आदिवासी जनजाति की महिलाओं का लोकगीत है (इसका पीएससी ने विकल्प ए गोंड जवाब सही माना था, फाइनल आंसर की में भी इसे ही रखा है, जबकि उम्मीदवारों ने विकल्प बी कोल को भी सही मानने के कारण दिए थे, यानी इसके भी दो जवाब ए व बी होने थे, जिसे आयोग ने मान्य नहीं किया)
इन सवालों में दो विकल्प सही माने
1. मप्र में आदिवासी के लिए स्वरोजगाकर योजना किस नाम से है? पीएससी ने जवाब टंट्या भील दिया है, जबकि जवाब बिरसा मुंडा भी सही था। आपत्तियों के बाद इसके दोनों विकल्प बी व सी सही किया गया है।
2. एक प्रश्न जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के तालाब में निम्न में से किस घटका प्रतिनिधित्व कवक, जीवाणु… द्वारा किया जाता है। इसमें सही विकल्प पहले सी अपघटक दिया गया था लेकिन अब सी के साथ ही विकल्प बी उपभोक्ता को भी सही माना है।
पीएससी की कोई भी परीक्षा बिना गलत प्रश्न के पूरी नहीं होती है
पीएससी ने बीते सालों में 34 परीक्षाएं ली है, इसमें 4350 सवाल पूछे गए और 135 सवाल के जवाब गलत थे, जिसे डिलीट किया गया। अभी तक 95 सवालों के एक से अधिक विकल्प पीएससी को मानने पड़े हैं। बीते पांच सालों में हर एक परीक्षा में औसतन चार सवाल डिलीट करने पड़े हैं।
हाईकोर्ट ने ही दो सवाल गलत बता दिए थे
राज्य सेवा परीक्षा 2023 प्री में तो खुद जबलपुर हाईकोर्ट ने ही पीएससी को कड़ी फटकार लगाते हुए दो प्रश्नों को गलत बताया था। इसके चलते मेरिट ही राज्य वन सेवा की फिर से बनाने के आदेश दे दिए थे और कई उम्मीदवारों को राज्य सेवा में मेंस मे बैठने के लिए पात्र घोषित किया था। हालांकि पीएससी जाकर डबल बैंच से स्टे ले आया और उम्मीदवारों को राहत नहीं मिल सकी।
विशेषज्ञ कमेटी इन आधार पर करती है प्रश्न के आंसर पर विचार
- हिंदी से अंग्रेजी में ट्रांसलेशन गलत कर दिया हो जैसे कि अभी 2024 की प्री में ही आरोही और अवरोही का विवाद हुआ
- प्रश्न सही नहीं बना हो जैसे कि 2023 प्री में प्रेस की स्वंतत्रता वाला मुद्दा था
- चार विकल्प में से एक भी सही नहीं हो।
- प्रश्न में गलत फैक्ट नाम, साल व अन्य आंकड़े गलत दिए हो।
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें