शिक्षक भर्ती में छूट नहीं देने पर हाईकोर्ट ने विभागों से मांगा जवाब

जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती 2023 को जुड़ी याचिका पर अहम अंतरिम आदेश जारी किया है। साथ ही कोर्ट ने मामले को याचिका के निर्णयधीन कर विभिन्न विभागों से 30 दिन में जवाब मांगा है।

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Vikram Jain
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JABALPUR. जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश में उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती 2023 को लेकर एक अहम अंतरिम आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से 30 दिन के अंदर जवाब तलब किया है। यह मामला एससी, एसटी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को शैक्षणिक योग्यता में छूट न दिए जाने से जुड़ा है।

मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने बुधवार 16 अक्टूबर को उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती 2023 से संबंधित याचिका पर एक अहम अंतरिम आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग, जनजाति कार्य विभाग और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर 30 दिन में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नहीं मिला था लाभ

यह मामला हरदा निवासी अनुसूचित जनजाति की अभ्यर्थी शिवानी शाह द्वारा दाखिल याचिका पर आधारित है, जिसमें उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग और जनजाति कार्य विभाग के शिक्षक भर्ती नियमों को संविधान के अनुच्छेद 14 और 335 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के अनुसार साल 2018 में प्रकाशित शिक्षक भर्ती नियमों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों को शैक्षणिक योग्यता में किसी प्रकार की छूट प्रदान नहीं की गई है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 335 और आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(A) के तहत यह छूट अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए थी।

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विभाग ने द्वितीय श्रेणी के अंक नहीं किए थे स्पष्ट

याचिका में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि शिक्षक भर्ती नियम 2018 की अनुसूची 3 में उच्च माध्यमिक शिक्षक पद के लिए न्यूनतम योग्यता संबंधित विषय में स्नातकोत्तर द्वितीय श्रेणी और बी.एड निर्धारित की गई है। लेकिन द्वितीय श्रेणी के अंकों की सीमा स्पष्ट नहीं की गई है। जबकि एनसीटीई के नियमों के अनुसार, उच्च माध्यमिक शिक्षक पद के लिए संबंधित विषय में स्नातकोत्तर 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य हैं। वहीं प्रदेश के कुछ विश्वविद्यालय 45% से 49.9% तक द्वितीय श्रेणी मानते हैं तो कुछ विश्वविद्यालय 50% से 59.9% को द्वितीय श्रेणी मानते हैं।

इस बीच एक अन्य याचिका में राज्य सरकार ने बताया कि साल 2018 की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत 700 से अधिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। जिनमें से कई उम्मीदवारों के स्नातकोत्तर अंकों का प्रतिशत 50 प्रतिशत से कम था, जबकि एनसीटीई द्वारा 50% अंकों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित की गई है।

भर्ती प्रक्रिया कोर्ट के आदेश के आधीन

हाईकोर्ट से जारी अंतरिम आदेश के बाद अब समस्त उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया गया है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने पैरवी की।

इस फैसले के बाद राज्य के शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में संभावित बदलावों को लेकर विशेष रूप से आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के लिए एक नई बहस छिड़ गई है, जिसमें शैक्षणिक योग्यता की छूट और आरक्षण नीति की समग्रता पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई जा रही है।

FAQ

यह मामला किससे जुड़ा है?
यह मामला मध्य प्रदेश में 2023 की उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती से संबंधित है, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थियों को शैक्षणिक योग्यता में छूट न दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
याचिकाकर्ता ने शिक्षक भर्ती के नियमों को किस आधार पर चुनौती दी है?
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि शिक्षक भर्ती के 2018 के नियम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी उम्मीदवारों को शैक्षणिक योग्यता में छूट प्रदान नहीं करते, जो संविधान के अनुच्छेद 335 और आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(A) के अनुसार अनिवार्य है।
हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश क्या है?
हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विभागों (स्कूल शिक्षा, सामान्य प्रशासन, जनजाति कार्य विभाग और कर्मचारी चयन मंडल) को 30 दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही, उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया गया है।
शैक्षणिक योग्यता में छूट से संबंधित विवाद क्या है?
विवाद इस बात को लेकर है कि शिक्षक भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता संबंधित विषय में स्नातकोत्तर द्वितीय श्रेणी और बी.एड है, लेकिन द्वितीय श्रेणी के अंकों की सीमा स्पष्ट नहीं की गई है। कुछ विश्वविद्यालय 45% से 49.9% को द्वितीय श्रेणी मानते हैं, जबकि एनसीटीई के नियमों के अनुसार 50% अंक अनिवार्य हैं।
इस मामले का शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अंतरिम आदेश के बाद उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन हो गई है, जिससे भर्ती प्रक्रिया में संभावित बदलाव और आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता में छूट पर पुनर्विचार की संभावना बन गई है।

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