परीक्षा में रानी दुर्गावती की समाधि को बना दिया मकबरा, मच गया बवाल

जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बीएससी सेकेंड ईयर के फाउंडेशन कोर्स के एग्जाम में रानी दुर्गावती के समाधि से जुड़ा एक सवाल पूछा गया। यह सवाल अब छात्रों और समाजिक संगठनों के बीच विवाद का कारण बन गया है।

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Neel Tiwari
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हाल ही में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बीएससी सेकेंड ईयर के फाउंडेशन कोर्स के एग्जाम में रानी दुर्गावती से जुड़ा एक सवाल पूछा गया। 

इस सवाल ने विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच विवाद पैदा कर दिया। रानी दुर्गावती के इतिहास को गलत तरीके से पेश करने वाले इस सवाल ने समाजिक और ऐतिहासिक दृष्टि से गहरी चिंता का विषय बन गया है।

‘मकबरा’ शब्द पर क्यों विवाद 

3 मई 2025 को आयोजित बीएससी सेकेंड ईयर के फाउंडेशन कोर्स के पेपर में एक सवाल पूछा गया था, जिसमें रानी दुर्गावती के समाधि स्थल के बारे में पूछा गया था। सवाल में लिखा था,

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 "रानी दुर्गावती का मकबरा कहां बना है?" इस सवाल में चार विकल्प दिए गए थे:

  • (a) बरेला (जबलपुर)

  • (b) बम्हानी (जबलपुर)

  • (c) चारगुंवा (जबलपुर)

  • (d) डंडई (जबलपुर)

यह सवाल छात्रों के लिए कंफ्यूजन का कारण बना, क्योंकि रानी दुर्गावती का समाधि स्थल है, न कि मकबरा। इस तरह के सवाल से न केवल ऐतिहासिक तथ्य गलत प्रस्तुत होते हैं, बल्कि यह रानी दुर्गावती की वीरता और बलिदान का भी अपमान करता है।

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🙋‍♀️ ABVP और छात्रों का विरोध

रानी दुर्गावती के समाधि स्थल को ‘मकबरा’ से जोड़ने पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और छात्रों ने विरोध जताया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने इसे ऐतिहासिक अज्ञानता का परिणाम बताया और चेतावनी दी है कि यदि जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं की जाती और माफी नहीं मांगी जाती, तो वे प्रदर्शन करेंगे।

ABVP

छात्रों का कहना है कि रानी दुर्गावती एक वीर और मातृ शक्ति का प्रतीक थीं, और उनके समाधि स्थल को गलत तरीके से प्रस्तुत करना एक गंभीर गलती है।

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🤦‍♀️ यूनिवर्सिटी प्रशासन की सफाई

इस विवाद के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले पर सफाई दी है। परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर रश्मि टंडन ने स्वीकार किया कि यह एक बड़ी लापरवाही थी। उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती का समाधि स्थल है, न कि मकबरा।

 इस तरह की गलती होने के बावजूद, प्रशासन ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और छात्र-छात्राओं से माफी मांगने की बात की है।

🚨 ऐतिहासिक जागरुकता की जरूरत

यह घटना यह दर्शाती है कि ऐतिहासिक तथ्यों को सही तरीके से समझने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता है। रानी दुर्गावती की वीरता और बलिदान भारतीय इतिहास का अहम हिस्सा है, और उन्हें इस तरह से प्रस्तुत करना एक गंभीर गलती है।

 ऐसे सवालों से न केवल छात्रों को भ्रमित किया जाता है, बल्कि इससे ऐतिहासिक तथ्यों के प्रति जागरूकता की कमी भी उजागर होती है।

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कहां है रानी दुर्गावती की समाधि 

रानी दुर्गावती की समाधि जबलपुर जिले के बरेला में स्थित है। यह स्थान रानी दुर्गावती की वीरता और बलिदान की प्रतीक है। उनके समाधि स्थल को लेकर इतिहास में बहुत महत्व है, और यह स्थान श्रद्धा और सम्मान का केंद्र है।

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