MPPSC टॉपर हर्षिता दवे से जानें कैसे करें सिविल सर्विसेज की तैयारी, जानें उनके जीवन से जुड़ी 5 बड़ी सीख

डिप्टी कलेक्टर हर्षिता दवे ने MPPSC-2024 में टॉप कर साबित किया कि कड़ी मेहनत, सेल्फ-स्टडी और धैर्य से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी सफलता उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं...

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Kaushiki
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@ राजेश शर्मा, द सूत्र

Madhya Pradesh MPPSC Topper:यह सच है कि कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास करने से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। मध्यप्रदेश के इंदौर की युवा और प्रतिभाशाली हर्षिता दवे ने इसी बात को साबित कर दिखाया है। उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य सेवा परीक्षा (MPPSC-2024) में महिलाओं में टॉप करके डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया है। 

उनकी यह सफलता सिर्फ एक परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि शिक्षा के महत्व और एक सुनियोजित तैयारी का परिणाम है। हर्षिता की सफलता उन सभी छात्रों के लिए एक प्रेरणा है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।

उनके जीवन और तैयारी के तरीके से कई महत्वपूर्ण सीखें मिलती हैं, खासकर यह कि शिक्षा को केवल अंक लाने का साधन न मानकर, उसे व्यक्तित्व विकास और ज्ञानार्जन का माध्यम बनाना चाहिए।

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शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

हर्षिता दवे ने अपनी स्कूली शिक्षा श्री माधव विद्यापीठ, इंदौर से पूरी की। इसके बाद उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से इतिहास, राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र जैसे विषयों में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बचपन से ही उनकी प्रतिभा झलकने लगी थी, मात्र ढाई साल की उम्र में उन्होंने मंच पर पहली प्रस्तुति दी थी।

हिंदी भाषा पर उनकी गहरी पकड़ और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में उनकी भागीदारी ने यह साबित कर दिया था कि यह युवा प्रतिभा एक दिन अपनी चमक ज़रूर बिखेरेगी। 100 से अधिक राष्ट्रीय स्तर की डिबेट्स और भारत का प्रतिनिधित्व कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।

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सफलता का सफर

सिविल सर्विसेज में जाने की प्रेरणा उन्हें 11वीं कक्षा में मिली। उन्होंने बताया कि यह सफलता उन्हें अपने दूसरे प्रयास में मिली। 2023 में अपने पहले प्रयास में, उन्होंने प्रीलिम्स पास किया, लेकिन मेन्स तक ही पहुंच पाईं।

अपने दूसरे प्रयास में, 2024 में, उन्होंने न केवल परीक्षा पास की, बल्कि महिलाओं में टॉप करके डिप्टी कलेक्टर का पद भी हासिल किया। हर्षिता अपनी सफलता का श्रेय ईश्वर की कृपा, अपने दादा-दादी, माता-पिता, गुरुजनों के आशीर्वाद और अपने भाई की प्रेरणा को देती हैं।

  • सेल्फ-स्टडी का महत्व: हर्षिता ने अपनी सफलता का श्रेय (how to prepare for mppsc) अपनी सेल्फ-स्टडी को दिया। उन्होंने साबित किया कि महंगी कोचिंग के बिना भी, अगर खुद पर भरोसा हो और सही दिशा में मेहनत की जाए, तो सफलता निश्चित है।

  • विषयों पर गहरी पकड़: उनके स्नातक के विषय—इतिहास, राजनीति विज्ञान, और समाजशास्त्र—ने उनकी नींव मजबूत की। ये विषय न केवल उन्हें परीक्षा में मदद करते हैं, बल्कि एक डिप्टी कलेक्टर के रूप में उन्हें समाज और शासन प्रणाली को बेहतर ढंग से समझने में भी मदद करेंगे।

  • अभिव्यक्ति कौशल: हर्षिता की हिंदी पर मजबूत पकड़ और डिबेट तथा भाषण कला में उनकी निपुणता ने उन्हें साक्षात्कार में भी मदद की। इंटरव्यू बोर्ड ने उनकी इस प्रतिभा की सराहना की, और उन्होंने अपनी स्वरचित कविता सुनाकर अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया।

  • धैर्य और निरंतरता: हर्षिता ने अपने इंटरव्यू में सफलता का मूल मंत्र 'धैर्य, परिश्रम और सतत प्रयास' को बताया। यह संदेश सभी छात्रों के लिए है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में तुरंत सफलता नहीं मिलती, इसके लिए लगातार मेहनत और धैर्य की जरूरत होती है।

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डिप्टी कलेक्टर हर्षिता दवे से इंटरव्यू

प्रश्न- सिविल सर्विसेज में जाने की प्रेरणा कब मिली ? 

हर्षिता- स्कूली शिक्षा के दौरान जब 11 वी में पढ़ती थी। उस समय  सिविल सर्विसेज में जाने की प्रेरणा  मिली। 

प्रश्न- यह सफलता आपको कितने प्रयासों में मिली?

हर्षिता- 2023 में पहले प्रयास में प्रीलिम्स क्रेक मेन्स तक पहुंची थी.. दूसरे प्रयास में 2024 में लड़कियों में टाप कर, डिप्टी कलेक्टर बनने में सफलता हासिल हुई।

प्रश्न -  सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगी?

हर्षिता- ईश्वर की असीम कृपा, दादा- दादी, मम्मी पापा, गुरुजनों का आशीर्वाद और भैया की प्रेरणा से मुझे यह सफलता हासिल हुई। 

प्रश्न - सफलता का मूल मंत्र क्या देना चाहेंगी ?

हर्षिता-मध्यप्रदेश  राज्य सेवा परीक्षा (पीएससी) स्टेट लेवल की सर्वोच्च और प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षा है। सफलता कब और कैसे मिलेगी कोई समय तय नही है। यूथ  को यही संदेश देना चाहुंगी  कि "धैर्य , परिश्रम, सतत प्रयास सफलता के मूल मंत्र है। 

प्रश्न- आपका इंटरव्यू कैसा रहा ? 

हर्षिता-  इंटरव्यू बोर्ड ने मेरी रूचि भाषण और वाद- विवाद पर काफी प्रश्न किए। इंटरव्यू बोर्ड ने मुझसे भाषण देने को कहा था। उस दौरान मैने अपनी स्वरचित कविता सुनाई 

" जाति, धर्म, संस्कृति, भाषा भारत में अनेक है । 
इस अनेकता में भी हम भारतवासी एक है। 
इसी एकता के कारण  ही भारत सबमें ज्येष्ठ है। 
और भारत की यही ज्येष्ठता बनाती उसे श्रेष्ठ है। 
और ज्येष्ठ भारत- श्रेष्ठ भारत विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। "

हर्षिता दवे की सफलता यह दर्शाती है कि शिक्षा केवल डिग्री हासिल करने का माध्यम नहीं, बल्कि एक समग्र विकास का जरिया है जो हमें जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए तैयार करता है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि यदि शिक्षा को सही अर्थों में ग्रहण किया जाए, तो सफलता अवश्य कदम चूमेगी।

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