मध्य प्रदेश के दतिया जिले में प्रशासन की एक लापरवाह कार्रवाई ने एक अजीब और चौंकाने वाला मामला जन्म लिया है। प्रशासन ने एक मृत किसान एक 7 साल के बच्चे और एक CRPF जवान पर पराली जलाने का आरोप लगा दिया है। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और गलत जांच प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े करता है।
इस घटना से साफ नजर आता है कि जिला प्रशासन ने बिना पूरी जानकारी के और तथ्यों की सही जांच किए बिना मामला दर्ज किया है, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठते हैं। इस मामले में कोई व्यक्ति मृत है, तो दूसरा व्यक्ति ड्यूटी पर है, और तीसरे आरोपी को तो केवल जमीन के विवाद में फंसाया गया है।
कैसे आरोपी बने मृतक और 7 साल का बच्चा
15 अप्रैल को सेवड़ा थाने में एक FIR दर्ज की गई, जिसमें 15 लोगों को पराली जलाने का आरोपी बनाया गया। यह घटना तब सामने आई जब मुबारकपुरा मौजा में कुछ खेतों में आग लगने की सूचना मिली। आग लगने की जांच के दौरान जिला प्रशासन ने 15 लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें राजीव शर्मा नामक एक मृत किसान भी था।
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मृत किसान पर कार्रवाई क्यों हुई?
राजीव शर्मा की 5 साल पहले मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन प्रशासन ने उसे भी पराली जलाने का आरोपी बना दिया। यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि प्रशासन ने मृत व्यक्ति के खिलाफ केस क्यों दर्ज किया। जब राजीव शर्मा की मृत्यु के बारे में उसकी परिवार ने सूचना दी थी, तब भी पटवारी ने मामले को जारी रखा और उसकी मृत्यु के बाद भी किसान पर मामला दर्ज किया।
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CRPF जवान को भी क्यों बनाया आरोपी?
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि CRPF जवान राममिलन शर्मा (Rammilam Sharma) को भी आरोपी बना दिया गया। राममिलन दिल्ली में CRPF में सब इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत हैं और उस दिन वह ड्यूटी पर थे। वह घटना के दौरान दतिया में नहीं थे, फिर भी उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
7 साल का बच्चा भी इस मामले में आरोपी बना, जो कि किसी समझ से परे था। बच्चा उस खेत में था ही नहीं, जहां पराली जलाने की घटना हुई थी, लेकिन फिर भी उसे आरोपी बना दिया गया। बच्चा अपनी जमीन के सीमांकन के लिए आवेदन कर चुका था, और उसी भूमि पर यह विवाद हुआ था।
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