मध्य प्रदेश की सभी पार्किंग्स को फास्टैग ( Fastag ) से जोड़ने की कार्य योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत अब प्रदेश भर में पार्किंग शुल्क फास्टैग से कटेगा। यह नई पार्किंग नीति ( New parking Policy ) का ड्राफ्ट बनकर तैयार है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा यह ड्राफ्ट बनाया गया है। साथ ही नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा भी इसके लिए सलाह दी गई है। पॉलिसी को 6 अलग-अलग श्रेणियों में बाँटा गया है।
इससे पहले 2016 में प्रदेश के लिए एक पार्किंग नीति बनाई गई थी। इस नीति में पीक ऑवर में ज्यादा पार्किंग चार्ज लगाए जाने का प्रावधान था। यह नीति लागू नहीं हो पाई थी। नई पार्किंग नीति के अंतर्गत प्रदेश में हर पार्किंग के 20 प्रतिशत हिस्से में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जाएगा।
आबादी के हिसाब से तय होगा शुल्क
नई पार्किंग नीति में गाड़ी पार्क करने का शुल्क इलाके की आबादी के आधार पर तय किया जाएगा। इसके अलावा नगरीय निकायों में पार्किंग के संचालन के लिए लाइसेंस भी लेना होगा। पार्किंग संचालन करने के लाइसेंस की समय अवधि भी जनसंख्या के हिसाब से होगी। 5 लाख से ज्यादा आबादी वाले क्षेत्रों में लाइसेंस 5 साल से ज्यादा के लिए नहीं मिलेगा। इससे कम आबादी वाले क्षेत्रों में लाइसेंस 3 साल के समय से ज्यादा के लिए नहीं दिया जाएगा।
इन्हें नहीं देना होगा शुल्क
नीति में सरकारी गाड़ियों, दिव्यांग व्यक्तियों के वाहन, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और वॉटर टैंकर के लिए शुल्क नहीं लगेगा। ईवी पर भी पार्किंग शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में मल्टीलेवल पार्किंग ( Multi Level Parking ) के 500 मीटर दायरे में No Parking Zone रखने का निर्णय भी लिया गया है। इन पार्किंग्स में इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मैनेजमेंट की सुविधा भी होगी।
निजी पार्किंग की सुविधा
नई पार्किंग नीति के अंतर्गत लोगों को निजी पार्किंग सुविधा खोलने की भी इजाजत होगी। अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी पर लोग पार्किंग विकसित कर इसका संचालन कर सकते हैं। यह पार्किंग सुविधा नगरीय निकाय की परमिट से खोल सकेंगे। इस नई नीति से मध्य प्रदेश में पार्किंग शुल्क के साथ ही फास्टैग के फायदे और बढ़ जाएंगे।
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