मध्य प्रदेश में बैंकों से कर्ज लेकर उसे न चुकाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 31 दिसंबर 2024 तक प्रदेश में बैंकों का कुल एनपीए (Non-Performing Asset) 35 हजार 668 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। यानी बैंकों की ये राशि डूब चुकी है, इसकी भरपाई तब होगी जब उधार लेने वालों से वापस वसूली हो जाएगी।
कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक डिफॉल्ट
राज्य में सबसे ज्यादा एनपीए कृषि क्षेत्र से ही हुआ है। कृषि क्षेत्र से कुल कर्ज बकाया राशि 10 लाख 77 हजार 757 करोड़ रुपए है। इसके बाद सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) सेक्टर का एनपीए 5 लाख 3 हजार 475 करोड़ रुपए रहा है। इन दो क्षेत्रों की वजह से ही बैंक गंभीर संकट में हैं। दोनों सेक्टरों में वसूली नहीं हो पा रही है।
प्राथमिक क्षेत्र में डूबा सबसे ज्यादा कर्ज
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल एनपीए में से 17 लाख 36 हजार 117 करोड़ रुपए प्राथमिक क्षेत्रों से जुड़े हैं। इसमें खेती, शिक्षा, मकान और एमएसएमई सेक्टर शामिल हैं। वहीं, गैर-प्राथमिक क्षेत्रों में दिया गया करीब 4 लाख 43 हजार 733 करोड़ रुपए भी एनपीए बन चुका है।
हाउसिंग और एजुकेशन लोन की हालत भी खराब
मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए चिंता की बात यह है कि हाउसिंग लोन में भी 20 हजार 56 करोड़ रुपए डूबे हुए हैं। शिक्षा ऋण में भी 348 करोड़ रुपए की बकाया राशि एनपीए हो चुकी है, जिससे छात्र और उनके परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
एसबीआई और पीएनबी को सबसे ज्यादा घाटा
राज्य में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का एनपीए सबसे अधिक है, जिसकी राशि 4 लाख 90 हजार 950 करोड़ रुपए हो गई है। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का एनपीए भी पीछे नहीं है, जो 4 लाख 11 हजार 162 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।
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एनपीए में पिछले 3 सालों से लगातार बढ़ोतरी
पिछले तीन सालों के आंकड़े बताते हैं कि एनपीए में स्थायी रूप से बढ़ोतरी हो रही है।
2022: 34 हजार 527 करोड़ रुपए
2023: 35 हजार 802 करोड़ रुपए
2024: 35 हजार 668 करोड़ रुपए
हालांकि 2024 में थोड़ी कमी आई है, लेकिन विशेषज्ञ इसे केवल आकस्मिक गिरावट मान रहे हैं।
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एनपीए क्या होता है?
जब कोई ग्राहक लगातार 90 दिन (तीन महीने) तक कर्ज की किस्त नहीं चुकाता है, तो बैंक उस खाते को एनपीए घोषित कर देता है। यदि बाद में भुगतान शुरू हो जाए, तो खाता दोबारा रेगुलर स्थिति में आ सकता है।
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