मध्यप्रदेश में नर्सिंग एडमिशन प्रक्रिया फिर संकट में, MPNRC की देरी से दूसरे राज्यों में जा रहे छात्र

मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा संकट में है, सीबीआई जांच के बाद भी प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो रही है। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।

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मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा के भविष्य पर संकट का बादल मंडरा रहा है। सीबीआई की जांच ने कई फर्जी नर्सिंग कॉलेजों का पर्दाफाश किया है, जिनका संचालन केवल कागजों तक सीमित था। ऐसे में, सवाल उठता है कि क्या इन कॉलेजों के संचालन में लापरवाही और भ्रष्टाचार का खामियाजा सही और मान्यता प्राप्त कॉलेजों को भुगतना पड़ेगा?

छात्रों की उम्मीदें और करियर दांव पर हैं, और इन हालातों का फायदा दूसरे राज्य उठा रहे हैं। छात्रों से मुंह मांगी फीस मांगी जा रही है।

कभी तो शिक्षा के मंदिर माने जाने वाले नर्सिंग कॉलेज अब संकट का सामना कर रहे हैं, जबकि काउंसलिंग प्रक्रिया की देरी के कारण हजारों सीटें खाली हैं। इस बीच, छात्रों को प्रवेश लेने के लिए पड़ोसी राज्यों में जाकर भारी फीस चुकानी पड़ रही है। और इस सब के बीच, हम पूछते हैं—

  1. MPNRC ने इतनी देरी क्यों की, जबकि 30 सितंबर तक प्रवेश की आखिरी तारीख है?

  2. काउंसलिंग शुरू करने में इतनी देरी क्यों? क्या इसे जल्दी शुरू किया जा सकता है?

  3. क्या MPNRC के अधिकारी पड़ोसी राज्यों के माफिया के दबाव में हैं, जिससे मध्यप्रदेश के छात्र परेशान हो रहे हैं?

  4. अगर 30 सितंबर तक प्रवेश नहीं हो पाता, तो छात्रों और कॉलेजों के लिए क्या नुकसान होगा, और MPNRC इसके लिए क्या कदम उठाएगा?

पूरे मामले को ऐसे समझें...

मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति अब बेहद खराब हो गई है। सीबीआई ने जांच के बाद कई फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को बंद कर दिया, जो सिर्फ किराए की बिल्डिंग और दो कमरों में चल रहे थे। हालांकि इन कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई हुई। जानकारी के अनुसार, जो लोग इन कॉलेजों को चला रहे थे, वे अब दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं और जांच एजेंसियों के पास उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं।

इस पूरे मामले से सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों और मध्यप्रदेश के अच्छे और मान्यता प्राप्त कॉलेजों को हुआ है। "जीरो ईयर" के कारण हजारों छात्रों को यहां दाखिला नहीं मिल पाया और उन्हें मजबूरी में पड़ोसी राज्यों में एडमिशन लेना पड़ा, वह भी बहुत ज्यादा फीस देकर।

मध्यप्रदेश में नर्सिंग शिक्षा में सत्र 2024 और 2025 की स्थिति

पिछले सत्र 2024 में महज़ एक राउंड काउंसलिंग हो सकी, जिससे हजारों सीटें खाली रह गईं। मौजूदा सत्र में भी वही हाल है। 30 सितंबर प्रवेश की अंतिम तिथि है, लेकिन आज तक काउंसलिंग शुरू नहीं हुई और बाकी कॉलेजों को भी MPNRC से समय पर परमिशन नहीं मिली है।

संस्थानों का कहना है कि इस बार MPNRC (मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल) ने आवेदन प्रक्रिया में कई गैर-जरूरी समस्याएँ खड़ी कर दीं। उदाहरण के तौर पर, ऑनलाइन पोर्टल पर दस्तावेज़ अपलोड करने के लिए केवल 300 KB की सीमा तय की गई थी। इससे कॉलेजों को अपने दस्तावेज़ बहुत ज्यादा कंप्रेस करके अपलोड करने पड़े। लेकिन बाद में MPNRC ने इन दस्तावेज़ों को अस्वीकार कर दिया और फिर से मंगवाना शुरू कर दिया। इस अनावश्यक परेशानी के कारण, सत्र 2025 की परमिशन प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

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क्या अधिकारी शिक्षा माफिया के दबाव में हैं?

सूत्रों के मुताबिक, यह देरी सिर्फ तकनीकी गलती नहीं हो सकती, बल्कि यह एक सोच-समझकर बनाई गई योजना भी हो सकती है। कुछ लोगों का कहना है कि MPNRC और DME के कुछ अधिकारी पड़ोसी राज्यों के शिक्षा माफिया के दबाव में हैं। ये माफिया चाहते हैं कि मध्यप्रदेश की काउंसलिंग और एडमिशन समय पर न हो, ताकि यहां के छात्र मजबूरी में उन राज्यों में जाकर बहुत ज्यादा फीस देकर दाखिला लें।

इसका क्या असर होगा

• छात्रों का नुकसान: बाहर के राज्यों में अधिक शुल्क और आर्थिक बोझ।
• वैध कॉलेजों का नुकसान: सीटें खाली रहना और वित्तीय दबाव।
• मध्यप्रदेश का नुकसान: भविष्य में योग्य नर्सिंग स्टाफ की कमी।

नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में देरी

मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल की लापरवाही और निर्धारित कैलेंडर पर समय पर काम न करने के कारण, नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में देरी हुई है। काउंसिल ने 16 मई को सभी नर्सिंग कॉलेजों को सूचित किया था कि सत्र 2025-26 के लिए बीएससी, जीएनएम, पोस्ट बेसिक बीएससी और एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम की मान्यता 10 से 14 जुलाई के बीच जारी की जाएगी, लेकिन वह तारीख अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

यूपी में प्रवेश प्रक्रिया पूरी, राजस्थान में अंतिम चरण

जहां मध्यप्रदेश में स्थिति गंभीर है। वहीं उत्तर प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और क्लास भी शुरू हो चुके हैं। साथ ही, राजस्थान में प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इस संदर्भ में, मध्यप्रदेश के कॉलेजों के लिए समय पर मान्यता मिलने की संभावना कम होती जा रही है। यदि यह प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं हुई, तो 30 सितंबर तक प्रवेश संभव नहीं होगा।

छात्रों के पास केवल 25 दिन बचे

इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने प्रवेश की अंतिम तारीख 30 सितंबर तय की है। छात्रों के पास केवल 25 दिन शेष हैं, लेकिन मान्यता प्रक्रिया में देरी के कारण प्रवेश पर संकट गहराता जा रहा है।

  • बीएससी नर्सिंग (B.Sc. Nursing): 25,000 सीटें

  • पोस्ट बेसिक बीएससी (Post Basic B.Sc.): 8,000 सीटें

  • एमएससी नर्सिंग (M.Sc. Nursing): 7,000 से अधिक सीटें

यदि समय पर मान्यता नहीं मिलती, तो इन सीटों पर प्रवेश संभव नहीं होगा और हजारों छात्र प्रभावित होंगे।

काउंसिल की लापरवाही

मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने 16 मई को सभी कॉलेजों को पत्र जारी कर कहा था कि मान्यता 10 से 14 जुलाई के बीच जारी कर दी जाएगी। लेकिन निर्धारित तारीख गुजरने के बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। इससे स्पष्ट होता है कि काउंसिल अपने ही शैक्षणिक कैलेंडर पर खरा नहीं उतर सकी।

निरीक्षण के बाद भी देरी

  • जून 2025 में हाईकोर्ट के आदेश पर करीब 150 कॉलेजों का निरीक्षण हुआ।

  • निरीक्षण के बाद भी मान्यता पत्र जारी नहीं किया गया।

  • सीबीआई जांच में 200 कॉलेज सही पाए गए, लेकिन उनका निरीक्षण अधूरा रह गया।

30 सितंबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी होना लगभग असंभव

यदि एक सप्ताह में मान्यता मिल भी जाए, तो कॉलेजों को आगे की औपचारिकताओं जैसे:

  1. उच्च शिक्षा विभाग से NOC (10–15 दिन)

  2. विश्वविद्यालय से संबद्धता (कम से कम 1–1.5 माह)

पूरी करनी होगी। ऐसे में 30 सितंबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी होना लगभग असंभव लग रहा है।

मध्य प्रदेश का नर्सिंग फर्जीवाड़ा क्या है?

मध्य प्रदेश का नर्सिंग फर्जीवाड़ा राज्य में नर्सिंग कॉलेजों की मंजूरी और संचालन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से जुड़ा है। इस घोटाले में कई नर्सिंग कॉलेजों को बिना उचित बुनियादी ढांचे, फैकल्टी या संसाधनों के मान्यता दी गई थी। कुछ कॉलेज केवल कागजों पर अस्तित्व में थे, जबकि वास्तव में वे चल नहीं रहे थे। 
यह फर्जीवाड़ा मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल (MPNRC) और मेडिकल एजुकेशन विभाग में भ्रष्टाचार से जुड़ा है, जहां अयोग्य कॉलेजों को मान्यता देकर छात्रों के भविष्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाला गया।
फर्जीवाड़े की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि CBI के कुछ अधिकारी जांच में रिश्वत लेकर कॉलेजों को क्लीन चिट दे रहे थे, जैसे कि प्रत्येक संस्थान से 2-10 लाख रुपए की रिश्वत। इस वजह से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई, कई कॉलेज बंद हुए, और अधिकारियों पर कार्रवाई हुई।

छात्रों के भविष्य पर सवाल बरकरार

मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों का भविष्य और छात्रों का करियर दोनों ही दांव पर लगे हैं। सवाल यह है कि यदि यहाँ की नियामक एजेंसियां ही समय पर कार्रवाई नहीं करेंगी तो क्या आने वाले समय में दूसरे राज्यों के माफियाओं को ही इसका सबसे अधिक फायदा मिलेगा?

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