मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग (Nursing Scam) घोटाले में सरकार ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को पैरवी के लिए 2.56 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने इस भुगतान को अनुचित बताते हुए सवाल उठाए। मध्य प्रदेश सरकार एडवोकेट जनरल को तीन संस्थाओं ने अलग अलग पेमेंट किया है। विपक्ष ने इसी पर सवाल उठाए हैं।
37 पेशियों, हर सुनवाई के 4.95 लाख
विधानसभा में दिए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महाधिवक्ता को केवल 2023-24 और 2024-25 में नर्सिंग काउंसिल से 1.83 करोड़ रुपए पे किए गए। इस दौरान उन्होंने 37 पेशियों में हिस्सा लिया, और हर पेशी के लिए 4.95 लाख रुपए की फीस दी गई। इसके अलावा, मेडिकल यूनिवर्सिटी से भी उन्हें तीन हिस्सों में कुल 73.54 लाख रुपए का पे किए गए।
तीन संस्थाओं से मिला पेमेंट
महाधिवक्ता (Advocate General) को केवल नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल यूनिवर्सिटी से ही 2.56 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। पूर्व मंत्री कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने सवाल उठाया कि क्या अन्य मामलों में भी महाधिवक्ता प्रति सुनवाई इतनी ही मोटी रकम लेते हैं? अगर नहीं तो फिर इस स्पेशल केस में इतनी फीस क्यों दी गई?
1 मार्च 2024 को मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद ने 1.82 करोड़ रुपए के बिल को मंजूरी दी और भुगतान की स्वीकृति दी। खास बात यह है कि महाधिवक्ता के अलावा एक दर्जन से अधिक वकीलों को भी 77.82 लाख रुपए का भुगतान किया गया।
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क्या नियमों के खिलाफ पेमेंट?
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अजय गुप्ता के अनुसार, सैद्धांतिक रूप से एक ही व्यक्ति को अलग-अलग संस्थाओं से भुगतान नहीं किया जा सकता। हालांकि, यदि हितों का टकराव नहीं होता, तो नियम इसकी अनुमति देते हैं। इस भारी-भरकम खर्च को लेकर अब सरकार घिरती नजर आ रही है, और विपक्ष ने इसे लेकर बड़े सवाल खड़े किए हैं।
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