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कपास घोटाला : मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल से उठे कपास घोटाले ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) के खुलासे के बाद केंद्र सरकार ने भी इस घोटाले की पुष्टि कर दी है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने बताया कि इस मामले में एक सर्टिफिकेशन बॉडी को निलंबित कर दिया गया है और कुछ अन्य एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। घोटाले में साधारण बीटी कॉटन (BT Cotton) को जैविक कपास (Organic Cotton) के रूप में दिखाकर विदेशों में निर्यात किया गया है। साथ ही फर्जी सर्टिफिकेशन और जीएसटी चोरी के भी गंभीर आरोप लगे हैं।
दिग्विजय सिंह के पत्र के बाद उजागर हुआ घोटाला
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस घोटाले का खुलासा किया था। उन्होंने बताया कि निमाड़ क्षेत्र में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाए गए हैं, जिनमें कई ऐसे किसानों के नाम शामिल हैं जो कभी कपास की खेती से जुड़े ही नहीं थे। दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र में लिखा था कि राज्य में जैविक कपास के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है। सिंह ने आरोप लगाया था कि ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाकर न सिर्फ सरकार को धोखा दिया जा रहा है, बल्कि निर्यात के नाम पर विदेशों को भी ठगा जा रहा है।
फर्जी सर्टिफिकेशन के जरिए बीटी कॉटन को बनाया 'जैविक'
इस घोटाले में कंट्रोल यूनियन नाम की सर्टिफिकेशन बॉडी पर आरोप है कि उसने बिना किसी फिजिकल वेरिफिकेशन के किसानों और व्यापारियों को जैविक प्रमाणपत्र (Organic Certification) जारी कर दिए। व्यापारियों ने इसे जैविक कॉटन के रूप में बेचकर भारी मुनाफा कमाया। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए चल रही प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत किसानों को आर्थिक सहायता दी जाती है। आरोप है कि कई किसानों के नाम फर्जी तरीके से इस योजना में जोड़े गए और योजना के पैसे का दुरुपयोग किया गया।
केंद्र ने की पुष्टि, सख्त कार्रवाई के निर्देश
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अपने पत्र में स्वीकार किया कि सर्टिफिकेशन प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं। एक सर्टिफिकेशन एजेंसी को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है और धार एसपी और इंदौर पुलिस कमिश्नर को मामले में FIR दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
पत्र के जवाब में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिग्विजय सिंह के दावों की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि प्रमाणीकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं के आधार पर एक सर्टिफिकेशन निकाय को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ और प्रमाणन एजेंसियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।
कैसे हुआ घोटाला?
यह घोटाला दो स्तरों पर हुआ। पहला, किसानों के फर्जी नाम डालकर ऑर्गेनिक कपास उत्पादक समूह बनाए गए। कई किसानों के नाम उन समूहों में डाले गए जिन्होंने कभी कपास की खेती की ही नहीं। इन फर्जी समूहों के जरिए प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाया गया। दूसरा, व्यापारियों ने साधारण बीटी कॉटन (BT Cotton) को जैविक कपास बताकर उसे विदेशों में निर्यात किया।
फर्जी सर्टिफिकेशन का खेल APEDA द्वारा अधिकृत कंट्रोल यूनियन नाम की एक सर्टिफिकेशन बॉडी (Certification Body) पर आरोप है कि उसने फिजिकल वेरिफिकेशन के बिना किसानों और व्यापारियों को जैविक प्रमाणपत्र (Organic Certification) जारी कर दिए। इसका खुलासा एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा किया गया, जिसने वाणिज्य कर आयुक्त इंदौर को शिकायत दर्ज कराई थी।
सरकारी फंड का दुरुपयोग ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत किसानों को वित्तीय सहायता मिलती है। आरोप है कि जिन किसानों के नाम पर सहायता ली गई, वे किसान कभी जैविक कपास उत्पादन में शामिल ही नहीं थे। इससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हुआ बल्कि ईमानदार किसानों का हक भी मारा गया। जांच और कार्रवाई केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया गया है। धार एसपी और इंदौर पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया गया है कि वे तुरंत FIR दर्ज करें और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें।
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