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पन्ना टाइगर रिजर्व। Photograph: (the sootr)
BHOPAL. टाइगर स्टेट में बाघों के बीच सैर- सपाटे के लिए आने वाले सैलानी भी धोखे का शिकार हो रहे हैं। काउंटर पर खड़े सैलानी इंतजार ही करते रह जाते हैं और टिकट एजेंट्स के जरिए ब्लैक कर दिए जाते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व घूमने आए गुजरात के एटॉमिक एनर्जी साइंटिस्ट को ऐसी हरकत के कारण कोर एरिया घूमे बिना ही वापस लौटना पड़ा। साइंटिस्ट की शिकायत पर एक गाइड को नौकरी से बाहर कर दिया है, लेकिन काउंटर पर तैनात वनकर्मियों को बचा लिया गया है। यह इकलौती घटना नहीं है, लेकिन ऐसे मामले ईको टूरिज्म को बढ़ावा दे रही सरकार की मंशा पर बट्टा लगा रहे हैं।
जमकर हो रही टिकट की दलाली
टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में घूमने के लिए मिलने वाले टिकट्स की जमकर दलाली हो रही है। रिजर्व में सैर सपाटा करने वाले सैलानियों के ग्रुप्स से दो से चार हजार रुपए तक ज्यादा वसूले जा रहे हैं। इसके लिए रिजर्व के प्रवेश द्वारों पर काउंटर के आसपास एजेंट्स सक्रिय हैं। वनकर्मियों की मिलीभगत से एजेंट्स पहले ही टिकट रख लेते हैं। काउंटर पर उपलब्ध न होने पर सैलानियों को मजबूरी में एजेंट्स से टिकट खरीदना पड़ता है, और वे इसी का फायदा उठाकर कमाई करते हैं। ये गोरखधंधा लगभग सभी टाइगर रिजर्व में चल रहा है, लेकिन वनकर्मियों की शह होने के कारण कार्रवाई नहीं हो रही है।
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रिजर्व के टिकटों पर एजेंट्स का कब्जा
शीतकालीन अवकाश के चलते 25 दिसंबर 2024 को गुजरात के गांधीनगर स्थित IPR यानी प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान में एटॉमिक एनर्जी साइंटिस्ट अनिल कुमार त्यागी पन्ना टाइगर रिजर्व पहुंचे थे। परिवार सहित उन्होंने पर्यटन विभाग के रिसॉर्ट में रात्रि विश्राम किया था। 26 दिसंबर को सुबह 5 बजे वे मडला गेट स्थित काउंटर पर पहुंचे थे। टिकट लेने के लिए काउंटर पर तब केवल पांच-छह लोग ही थे। काउंटर के करीब सक्रिय एजेंट लोगों से बात करके फॉर्म और रुपए लेने लगे। साइड से फॉर्म लेकर टिकट बना रहे वनकर्मी ने उनके काउंटर पर पहुंचने पर टिकट खत्म होने का कहकर इनकार कर दिया। उन्होंने इस संबंध में वनकर्मी से बात भी की लेकिन उन्हें कोर एरिया में घूमने का टिकट नहीं मिला।
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उत्साह से आए और निराश होकर लौटना पड़ा
साइंटिस्ट अनिल कुमार त्यागी ने बताया वे पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में घूमने को लेकर उत्साहित थे। काफी कोशिश के बाद भी कोर एरिया का परमिट न मिलने पर बफर जोन घूमकर लौटना पड़ा। हालांकि इसके लिए भी उनसे ज्यादा रुपए लिए गए। कोर एरिया न घूम पाने से दुखी साइंटिस्ट के अनुसार रिजर्व के मडला गेट काउंटर पर जो देखा वह निराश करने वाला था। उन्होंने वापस लौटते समय मध्यप्रदेश वन विभाग के एसीएस, पीएस को ई-मेल के जरिए शिकायत कर पूरे प्रकरण की जांच और कार्रवाई का आग्रह किया था। वरिष्ठ अधिकारियों को इस पर गंभीर होना चाहिए। ये केवल टिकट पर कमीशन वसूलने का मामला नहीं है। टाइगर रिजर्व में घूमने लोग देशभर से आते हैं और ऐसे वाकये उन्हें निराश करते हैं। ये प्रदेश और टाइगर रिजर्व प्रबंधन की छवि के लिए भी ठीक नहीं है।
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कार्रवाई के नाम पर गाइड को चलता किया
गुजरात के एटॉमिक एनर्जी साइंटिस्ट त्यागी ने चर्चा में द सूत्र को बताया कि उन्होंने शीर्ष अफसरों को इसलिए शिकायत की थी ताकि व्यवस्था में सुधार हो। उन्हें पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर की ओर से जो मेल भेजा गया है, वह टालने वाला है। मामले में गाइड को दोषी ठहराकर काउंटर पर जो एजेंट्स को टिकट दे रहे थे उन वनकर्मियों को बचा लिया गया। ये संतोषजनक कार्रवाई नहीं है।
उधर, पन्ना टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर अंजना सुचिता तिर्की का कहना है ई-मेल के जरिए जो शिकायत मिली थी उसकी जांच में गाइड की भूमिका संदेहजनक पाई गई है। काउंटर से टिकट ब्लैक नहीं हो सकते। शिकायतकर्ता को टिकट इस वजह से नहीं मिले होंगे क्योंकि यहां बहुत सीमित संख्या में ही टिकट उपलब्ध होते हैं और उनमें से भी 10 फीसदी आरक्षित होते हैं।
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