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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिससे राज्य के लाखों पेंशनर्स को बड़ी राहत मिलने जा रही है। कोर्ट ने कहा है कि जिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सेवा में रहते हुए आखिरी साल की वार्षिक वेतनवृद्धि नहीं दी गई थी, उन्हें अब उसका फायदा मिलेगा। यह फायदा केवल वेतनवृद्धि तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सरकार को उन्हें 1 मई 2023 से 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पूरा बकाया भुगतान करना होगा।
छह हफ्ते के भीतर करना होगा भुगतान
कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी साफ निर्देश दिए हैं कि इस आदेश का पालन छह हफ्तों के भीतर करना जरूरी है। यानी तय समयसीमा के भीतर सभी पात्र पेंशनर्स को उनका बकाया पैसा और ब्याज दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी कारण से समय पर भुगतान नहीं होता, तो इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा और सरकार को इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है।
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पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने उठाई थी आवाज
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन, भोपाल ने 2024 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में एसोसिएशन के अध्यक्ष आमोद सक्सेना और नर्मदापुरम के दिनेश कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि कई ऐसे कर्मचारी हैं जो सेवा पूरी करने के कुछ महीने पहले वार्षिक वेतनवृद्धि के योग्य थे, लेकिन उन्हें वह वृद्धि नहीं दी गई। यह न केवल उनके अधिकारों का हनन है बल्कि आर्थिक रूप से भी नुकसानदेह है।
कोर्ट ने माना – वेतनवृद्धि पेंशन पर भी लागू होती है
हाईकोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वेतनवृद्धि केवल सेवा में रहते हुए ही दी जा सकती है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर कोई कर्मचारी सेवा में रहते हुए एक साल पूरा करता है और उसकी वार्षिक वेतनवृद्धि तय है, तो वह उसका हकदार है। और यदि वह कर्मचारी उसी वर्ष सेवानिवृत्त हो जाता है, तो उस वेतनवृद्धि का असर उसकी पेंशन पर भी होना चाहिए।
राज्य सरकार पर बढ़ा आर्थिक दायित्व
इस आदेश के बाद अब राज्य सरकार के सामने एक बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। सरकार को अब उन सभी पेंशनर्स की पहचान करनी होगी जिन्हें यह लाभ नहीं मिला था और उन्हें तय समय में सारा बकाया ब्याज समेत देना होगा। यह काम प्रशासनिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि संख्या लाखों में है, लेकिन कोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि किसी भी हाल में भुगतान में देरी न हो।
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लाखों पेंशनर्स को मिलेगा सीधा लाभ
इस फैसले का सीधा असर मध्य प्रदेश के लाखों पेंशनर्स पर पड़ेगा। बहुत से बुजुर्ग कर्मचारी जो लंबे समय से अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे थे, अब उन्हें राहत मिलेगी। यह फैसला न सिर्फ उन्हें आर्थिक मजबूती देगा, बल्कि मानसिक शांति भी देगा कि उन्हें आखिरकार न्याय मिला है।
न्यायपालिका ने दिखाया संवेदनशीलता का परिचय
यह आदेश केवल कानून का पालन भर नहीं है, बल्कि यह एक उदाहरण भी है कि न्यायपालिका कैसे समाज के कमजोर वर्गों की चिंता करती है। बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। हाईकोर्ट का यह कदम इसी दिशा में एक मजबूत संदेश है।
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