सोने से पहले MP पुलिस के जवान करेंगे रामायण का पाठ! कांग्रेस बोली- धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है
मध्य प्रदेश पुलिस के नए आरक्षकों को ट्रेनिंग के दौरान रामायण पाठ करने की सलाह दी गई है। हालांकि, कांग्रेस ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है।
मध्य प्रदेश पुलिस में चयनित नए जवानों के लिए एक खास पहल की गई है। पुलिस मुख्यालय ने सभी नव नियुक्त आरक्षकों को रामायण (Ramayan) के पाठ की सलाह दी है। पुलिस मुख्यालय के एडीजी (ट्रेनिंग) राजाबाबू सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसकी जानकारी दी, जो कुछ हद तक विवादास्पद भी बन गया है।
रामायण के पाठ से मानसिक शांति मिलेगी
राजाबाबू सिंह ने नव आरक्षकों को सोने से पर रामचरित मानस का पाठ करने की सलाह दी। उनका कहना था कि भगवान राम का जीवन बहुत प्रेरणादायक है, जिसमें उन्होंने 14 साल का वनवास सहन किया और अपने कर्तव्यों को निभाया।
उन्होंने कहा, "भगवान राम ने 14 साल का वनवास स्वीकार किया। जब भगवान राम माता-पिता की आज्ञा मानते हुए वन में रह सकते हैं, तो आप ट्रेनिंग के दौरान घर-परिवार से दूर क्यों नहीं रह सकते?" उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने कठिनाइयों का सामना किया और रावण से लड़ने के लिए वानरों की सेना तैयार की। एडीजी ने सुझाव दिया कि नव आरक्षक रोज रात सोने से पहले राम चरित मानस का पाठ करें। यह उन्हें सही मार्गदर्शन और प्रेरणा देगा।
क्या है मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा रामायण पाठ की सलाह का मामला?
रामायण पाठ की सलाह: मप्र पुलिस के नव आरक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान रामायण पाठ करने की सलाह दी गई है, ताकि वे मानसिक शांति और प्रेरणा प्राप्त कर सकें।
एडीजी का संदेश: एडीजी (प्रशिक्षण) राजाबाबू सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में नव आरक्षकों से रामायण का पाठ करने की अपील की, भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने की बात की।
विपक्ष का विरोध: कांग्रेस ने इस निर्णय पर सवाल उठाए, और इसे धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताया, क्योंकि किसी को धार्मिक ग्रंथ पढ़ने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
प्रशिक्षण में बदलाव: मप्र पुलिस के नव आरक्षकों की नौ महीने की ट्रेनिंग में तकनीकी शिक्षा, जैसे ई-साक्ष्य और सीसीटीएनएस, भी शामिल की गई है।
सिर्फ सलाह, अनिवार्य नहीं: रामायण पाठ करना अनिवार्य नहीं है, यह सिर्फ एक सुझाव है जो जवानों को प्रेरणा और मार्गदर्शन देने के लिए दिया गया है।
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस पहल पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता फिरोज सिद्दीकी ने कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है। उनका कहना है कि संविधान के तहत हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, और किसी को भी धार्मिक ग्रंथ पढ़ने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस का काम कानून और व्यवस्था बनाए रखना है, न कि किसी खास धर्म को बढ़ावा देना।
राजाबाबू सिंह ने बताया कि मप्र पुलिस के आठ प्रशिक्षण स्कूलों में 4,000 से अधिक नव आरक्षकों की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है। इसके तहत अब उन्हें नवीनतम तकनीकी और अपराध निरोधक कानूनों के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। 1 जुलाई 2024 से लागू न्यू क्रिमिनल लॉ के मद्देनजर, पुलिस कॉन्स्टेबल के बेसिक कोर्स में कुछ आवश्यक संशोधन भी किए गए हैं। प्रशिक्षण में नई तकनीकी, जैसे कि ई-साक्ष्य और सीसीटीएनएस, पर भी ध्यान दिया जाएगा।
रामायण पढ़ने के सुझाव पर मुस्लिम वर्ग के आरक्षक क्या बोले?
एडीजी के रामायण पढ़ने के सुझाव पर नव आरक्षकों ने इसे सकारात्मक रूप में लिया। मुस्लिम वर्ग के आरक्षकों ने भी इसका समर्थन किया। मीडिया से बातचीत में भोपाल पुलिस ट्रेनिंग की उस्मानी शबनम कहती हैं, राम जी ने 14 साल का वनवास स्वीकार किया। इससे हमें सीख लेना चाहिए। रामचरित मानस का पाठ हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगा।
वहीं अयान महमूद खान ने कहा, राम हमारे प्रेरणा स्रोत हैं। रामचरित मानस का पाठ करने से मन शांत रहेगा और हम मोटिवेटेड रहेंगे। यह सुझाव अच्छा है, हम इसे अपनाएंगे।
कौन हैं राजा बाबू सिंह?
राजा बाबू सिंह 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश के साथ दिल्ली में बीएसएफ मुख्यालय, जम्मू-कश्मीर में आईजी बीएसएफ और आईटीबीपी में भी सेवाएं दी हैं। ग्वालियर जोन में एडीजी रहते हुए उन्होंने हजारों भागवत गीता की प्रतियां वितरित की थीं। बीएसएफ के आईजी कश्मीर रहते हुए उन्होंने श्रीनगर में 20 किलोमीटर लंबी साइकिल तिरंगा रैली आयोजित की थी। दिसंबर 1992 में वे अयोध्या गए थे। उन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए एक ईंट समर्पित की थी। उस समय रामलला के दर्शन कर पूजित ईंट समर्पित की थी।
FAQ
क्या मप्र पुलिस में ट्रेनिंग के दौरान रामायण पाठ करना अनिवार्य है?
मप्र पुलिस के नव आरक्षकों को रामायण पाठ करने की सलाह दी गई है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। यह एक सुझाव है जो जवानों को मानसिक शांति और प्रेरणा प्रदान करने के लिए दिया गया है।
क्या कांग्रेस ने मप्र पुलिस में ट्रेनिंग के दौरान रामायण पाठ करने का विरोध किया है?
जी हां, कांग्रेस ने मप्र पुलिस के इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के तहत किसी भी धर्म के ग्रंथ को पढ़ने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता।
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