New Update
/sootr/media/media_files/2025/04/10/CYYjClKdVEwaSJ24YIJf.jpg)
Photograph: (the sootr)
/
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
Photograph: (the sootr)
जबलपुर, सिंगरौली, सीधी, हरदा, मंदसौर, इंदौर ग्रामीण, धार, नीमच, छतरपुर, जिलों से पुलिस के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट सहित पुलिस अधीक्षकों के अकाउंट से भी आरोपियों की तस्वीर लगातार जारी की जा रही हैं। इसमें अवैध मादक पदार्थ गांजा, चोरी, आर्म्स एक्ट के आरोपियों के साथ हत्या के आरोपी तक शामिल हैं जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खुलेआम साझा हो रही हैं। इसके साथ ही अलग-अलग जिलों में बकायदा आरोपियों का जुलूस भी निकाला जा रहा है।
बीते दिनों भोपाल से सामने आए मामले के बाद नरसिंहपुर में भी गोली चलाने के आरोपियों का सरे बाजार जुलूस निकाला गया। होम डिपार्टमेंट ऑफ मध्य प्रदेश के सोशल मीडिया अकाउंट में तो एक कदम आगे बढ़ते हुए जयपुर में हुए बम ब्लास्ट के आरोपी की तस्वीर ही खुलेआम साझा कर दी। वाहावाही लूटने और फोटो सेशन के शौक में पुलिस यह भी नहीं समझ रही है कि वह खुद कानून की धज्जियां उड़ा रही है। इसके साथ ही कहीं ना कहीं इस तरह से आरोपियों को भी इस बात का फायदा कोर्ट में उठाने का मौका दे रही है।
सिवनी के एसपी ने अपने अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक प्रेस नोट जारी किया, लखनादौन थाना अंतर्गत एक 15 वर्षीय नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म से जुड़े हुए इस मामले में इस प्रेस नोट में बाकायदा पीड़ित युवती के पिता का नाम लिखा गया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और पॉक्सो अधिनियम के तहत किसी भी सूरत में नाबालिग बलात्कार पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती है। पीड़िता के पिता का नाम इस तरह सोशल डोमेन में डालकर प्रेस नोट जारी करना सीधा-सीधा पोक्सो एक्ट का उल्लंघन है। अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि क्या पुलिस अपने इन अधिकारियों के ऊपर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करेगी।
यह भी पढ़ें... कटनी में बना देश का सबसे लंबा रेलवे फ्लाईओवर, बिना रुके दौड़ेंगी मालगाड़ियां
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया गया था जिसमें हत्या के आरोपी ने कोर्ट में हुई उसकी शिनाख्त परेड को चैलेंज किया था। याचिका में यह निवेदन किया गया था कि आरोपी का चेहरा थाने में ही सबको पहले ही दिखाया जा चुका है। इसके बाद उसकी कोर्ट में की गई शिनाख्त परेड मायने नहीं रखती। इसे सुप्रीम कोर्ट ने सही मानते हुए उसकी शिनाख्त परेड को गलत बताया था। हत्या के आरोपों से ही उस आरोपी को बरी कर दिया था। ऐसे मामले जिसमें अपराधियों की शिनाख्त परेड आवश्यक है और सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर है, सजा कर दी जाती हैं तो इसका फायदा आरोपियों को ही मिल सकता है।
यह भी पढ़ें... रीवा में गर्भवती महिलाओं को लगाए ब्लैक लिस्टेड इंजेक्शन, याददाश्त हुई कमजोर, ऐसे हुआ खुलासा
इस बारे में हमने जब कानून का पक्ष जानने के लिए क्रिमिनल मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता मोहम्मद अली से बात की तो उन्होंने यह साफ-साफ बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने सर्कुलर जारी किए थे। इसके अनुसार आरोपियों को मीडिया के समक्ष किसी भी हाल में पेश नहीं किया जा सकता और उनके जुलूस भी नहीं निकाला जा सकता। अधिवक्ता ने आगे बताया कि आपराधिक प्रकरण दो तरह के होते हैं एक प्रकरण में आरोपी के नाम से एफआईआर होती है और उसकी पहचान करने के लिए शिनाख्त परेड इतना महत्व नहीं रखती। लेकिन, अन्य प्रकरणों में जहां पर अपराधी की शिनाख्त परेड होनी जरूरी होती है। इन मामलों में सोशल मीडिया पर फोटो जारी करने या मीडिया सहित पब्लिक के सामने उसका चेहरा पेश करने से एक तरह से अपराधी की सहायता होती है। इसका फायदा उठाकर अपराधी आगे इन आरोपों से बरी हो सकता है, लेकिन मध्य प्रदेश पुलिस लगातार इन नियमों का उल्लंघन कर रही है।
ये भी पढ़ें... सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर सरकार पर हमलावर हुई कांग्रेस, पटवारी बोले...
एमपी सूचना आयोग कमिश्नर की मांग सरकार को नामंजूर, बिजली बिल नहीं होगा माफ