मध्य प्रदेश राज्य सचिवालय में गुरुवार को आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में पदोन्नति में आरक्षण नीति को लेकर IAS अफसरों ने तीखे सवाल उठाए। अपर मुख्य सचिव (मुख्य) जेएन कंसोटिया, एसीएस (खाद्य) रश्मि अरुण शमी और प्रमुख सचिव (जनजातीय कार्य) गुलशन बामरा ने प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सवाल उठाए। इन वरिष्ठ अधिकारियों ने आपत्ति जताई कि प्रस्तावित पदोन्नति नीति में अनुसूचित जाति (SC) के लिए 16% और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 20% आरक्षण को "पद उपलब्धता" के आधार पर घटाने की बात की गई है, लेकिन उसमें इसे बढ़ाने की कोई संभावना नहीं दिखाई है।
नीति में संतुलन की बात करें: अफसर
एसीएस कंसोटिया ने कहा कि नीति में यदि आरक्षण घटाने का जिक्र है तो इसे बढ़ाने की संभावनाओं का भी उल्लेख होना चाहिए। केवल एक पक्षीय कटौती की बात होना न्यायसंगत नहीं है। प्रमुख सचिव गुलशन बामरा ने समर्थन करते हुए कहा कि जिस कैडर में एक से चार पद ही हैं, वहां रोस्टर प्रणाली नहीं होने के कारण एससी-एसटी को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा। ऐसे में संवेदनशीलता से निर्णय लेना जरूरी है।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा- यह पॉलसी डिसीजन है, बदलाव नहीं संभव
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अधिकारियों के सवालों पर स्पष्ट कहा कि यह एक पॉलिसी डिसीजन है और इसे लेकर सवाल नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर पहले ही विचार कर निर्णय लिया गया है। लंबी प्रतीक्षा के बाद नीति तैयार की गई है। अब इस पर विवाद उचित नहीं। उन्होंने सभी अफसरों को आश्वस्त किया कि सबको समान अवसर मिलेगा और नीति में किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा।
31 जुलाई तक पहली डीपीसी पूरी करने के निर्देश
मुख्य सचिव ने सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिए कि 31 जुलाई 2025 तक पहली डीपीसी प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। उन्होंने कहा कि दूसरी डीपीसी दिसंबर में होगी। ऊर्जा और पीडब्ल्यूडी विभाग के एसीएस नीरज मंडलोई ने कहा कि इंजीनियरिंग कैडर में कई श्रेणियां हैं। सबसे बड़े कैडर में डीपीसी कर लेंगे। इस पर सीएस ने कहा कि मंडलोई विभाग ने पहले भी समय से पहले कार्य किए हैं, उम्मीद है डीपीसी भी समय पर पूरी होगी।
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पुलिस विभाग में 'दंड' की प्रक्रिया पर डीजीपी की आपत्ति
डीजीपी कैलाश मकवाना ने बैठक में कहा कि पुलिस में एक बार दंड लगने पर उसका प्रभाव 5 सालों तक रहता है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) में ऐसा नहीं होता। एक साल की वेतन वृद्धि रोकने का असर सिर्फ उसी साल तक सीमित होता है। इस पर सीएस ने कहा कि यूनिफॉर्म सर्विस की अलग प्रकृति है। डीपीसी के लिए रेग्यूलेशन में बदलाव किया जा सकता है।
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