/sootr/media/media_files/2025/06/11/l3QYrswLQo8rPDmy0lbV.jpg)
MP News: मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को 2016 में हाई कोर्ट जबलपुर ने निरस्त किया था। इसके बाद एक लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए। ये सभी पदोन्नति के पात्र थे, लेकिन नियम न होने के कारण विभागीय पदोन्नति समिति की बैठकें नौ साल से नहीं हुईं।
मोहन सरकार ने कर्मचारियों की नाराजगी को देखते हुए नए नियम का खाका तैयार किया है। शिवराज सरकार ने उच्च पदों का प्रभार देने की व्यवस्था बनाई थी, लेकिन यह भी संतुष्ट नहीं कर पाई। मोहन सरकार ने इसे अन्याय माना और नए नियम पर काम शुरू किया। यदि सब कुछ सही रहा, तो जून में नए नियम कैबिनेट से अनुमोदित होकर अधिसूचित हो जाएंगे।
मोहन सरकार की निर्णायक पहल
मोहन यादव सरकार ने इस जटिल और वर्षों से लंबित मसले को सुलझाने की गंभीर मंशा दिखाई है। मुख्य सचिव अनुराग जैन की निगरानी में सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे और उनकी टीम ने नए नियम का मसौदा तैयार किया है। इसमें कोर्ट के सभी निर्देशों, सामाजिक समीकरणों और कर्मचारियों की अपेक्षाओं का संतुलन साधा गया है।
जून में कैबिनेट से मिल सकती है मंजूरी
सरकार का इरादा है कि नए पदोन्नति नियम को जून माह में ही कैबिनेट की मंजूरी के बाद अधिसूचित कर दिया जाए। इससे न सिर्फ वर्षों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे कर्मचारी राहत की सांस लेंगे, बल्कि सरकार को प्रशासनिक स्तर पर भी मजबूत और अनुभवी नेतृत्व मिल सकेगा। यह निर्णय एक प्रशासनिक और राजनीतिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
शिवराज सरकार की कोशिश
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने कर्मचारियों को उच्च पद का प्रभार दिया। यह समाधान सभी को संतुष्ट नहीं कर सका। शिवराज के "कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता" बयान ने सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को नाराज कर दिया। इसका राजनीतिक नुकसान भाजपा को 2018 के चुनाव में हुआ।
ये खबर भी पढ़िए...सोनम ने कबूल किया अपना जुर्म, सभी 5 आरोपी कोर्ट में पेश, 8 दिन की रिमांड पर भेजा
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला
कमलनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की अपील की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज गोरकेला से नए नियम का ड्राफ्ट भी बनवाया गया, लेकिन उस पर निर्णय नहीं हो सका। इसके बाद यह मुद्दा डॉ. नरोत्तम मिश्रा की समिति के पास गया जिसने रिपोर्ट तैयार की, मगर 2023 चुनाव के कारण मामला फिर अटक गया।
पदोन्नति नियम 2002
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में बनाए गए नियमों के तहत sc-st वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण दिया गया था। यह आरक्षण जनसंख्या के अनुपात में निर्धारित किया गया था। 2016 में हाई कोर्ट ने इस नियम को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया। कोर्ट का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के एम. नागराज केस के निर्देशों का पालन नहीं किया गया था।
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃
🤝💬👩👦👨👩👧👧