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MP News : मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) राज्य सेवा के सबसे उच्च पदों पर भर्ती करने वाली संवैधानिक संस्था है। भर्ती के लिए आयोग द्वारा विज्ञापन जारी किया जाता है और इसमें संबंधित विभाग से तय की गई उस पद की योग्यता का साफ विवरण रहता है। लेकिन इसके बाद भी कई अयोग्य इसमें आवेदन करते हैं और फिर वह अंतिम चरण इंटरव्यू के लिए पात्र भी हो जाते हैं, लेकिन यहां उन्हें बाहर कर दिया जाता है। इस पूरे मामले में वह योग्य और पात्र उम्मीदवार इनके कारण अपना सही हक खो बैठते हैं।
यह है पूरा मामला-
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आयोग राज्य सेवा व राज्य वन सेवा परीक्षा प्री, मेंस और इंटरव्यू तीन चरण में लेता है। वहीं अधिकांश परीक्षाएं लिखित और इंटरव्यू में होती है। अब आयोग की प्रक्रिया के अनुसार भर्ती विज्ञापन के बाद आवेदकों के आवेदन आते हैं। इसमें पास उम्मीदवारों को पद से अधिकतम तीन गुना की संख्या में इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता और इसके लिए फार्म भरवाए जाते हैं, यानी दस पद है तो अधिकतम तीन गुना 30 को और अंतिम कटआफ अंक पर जो होता है उन सभी को बुलाया जाता है। इंटरव्यू के पहले दस्तावेज बुलाए जाते हैं और उन्हें जांचा जाता है। जो इन दस्तावेज में पात्र नहीं पाए जाते हैं, उनकी उम्मीदवारी इटंरव्यू के पहले ही निरस्त कर दी जाती है।
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अब योग्य का हक ऐसे मारा गया-
अब इसमें समस्या यह है कि पद के तीन गुना बुलाए, तो मेरिट के आधार पर वह अपात्र भी आ जाते हैं जो मानक डिग्री या शैक्षणिक अर्हता नहीं रखते हैं और फिर उन्हें बाहर किया जाता है। अब यदि 10 पद पर तीन गुना 30 को बुलाया और इसमें पांच अपात्र हुए तो 25 ही इंटरव्यू देंगे। ऐसे में इन 5 अपात्र की जगह जो पात्र पांच उम्मीदवारों का हक था वह खत्म हो गया। क्योंकि आयोग के नियम में ऐसा नहीं है कि अपात्र हटाने के बाद फिर से तीन गुना की गणना की जाए। यह संभव नहीं है, क्योंकि फिर उनके दस्तावेज देखें और फिर इसमें से कोई अपात्र मिले तो उसे बाहर करें यह प्रक्रिया बार-बार संभव नहीं होती है। ऐसे में अपात्रों के कारण योग्य उम्मीदवारों का हक खत्म हो जाता है।
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राजनीति विज्ञान सहित अन्य परीक्षाओं में यह हुआ
हाल ही में आयोग ने राजनीति विज्ञान विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2022 के लिए इंटरव्यू प्रक्रिया शुरू की, इसमें 118 पदों के लिए बुलाए गए उम्मीदवारों में 21 के दस्तावेज अपात्र निकले, इन्हें बाहर कर दिया गया। अब कायदे से अन्य योग्य 21 को इटंरव्यू का मौका मिलना चाहिए लेकिन वह नहीं मिल सकेगा। क्योंकि अपात्र ने वह ब्लाक कर दिया।
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- इसी तरह खनिज अधिकारी के पांच पदों की भर्ती में दो अपात्र निकले
- प्रोग्रामर भर्ती के एक पद के लिए 23 अयोग्य निकले
- रेडियोलॉजी विशेषज्ञ में भी अयोग्य उम्मीदवार एक निकला
- राज्य सेवा परीक्षा, वन सेवा परीक्षा व अन्य परीक्षाओं में भी हर बार कई अयोग्य सामने आते हैं और इन सभी के चलते योग्य का हक मारा जाता है।
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आयोग की क्या है इसमें मजबूरी
आयोग की समस्या यह है कि वह इंटरव्यू के पहले दस्तावेज की सत्यापन प्रक्रिया नहीं कर सकता है, क्योंकि हजारों, लाखों की संख्या में आवेदन होते हैं, जैसे असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2024 में ही 70 हजार आवेदक है। ऐसे में इतना सिस्टम नहीं है कि दस्तावेज में इनकी शैक्षणिक योग्यता को जांचा जा सकते। वहीं अपात्र को हटाने के बाद फिर अन्य को मेरिट क्रम में मौका देंगे तो उनके दस्तावेज जांचों और फिर इसमें कोई अयोग्य निकले तो उन्हें हटाओ, यानी यह सिस्टम लगातार चलता रहेगा।
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आयोग इसमें क्या कर सकता है
जानकारों ने बताया कि आयोग के पास अब इसमें एक ही रास्ता है कि अपात्र उम्मीदवारों को ही आवेदन करने से रोका जाए। इसके लिए रास्ता है कि भर्ती विज्ञापन में ही या जब इंटरव्यू के लिए दस्तावेज बुलाए जाएं तब यह शर्त रखी जाए कि यदि वह अपात्र होने और शैक्षणिक व अन्य अर्हता पूरी नहीं करने के बाद भी आवेदन करते हैं और बाद में अपात्र पाया जाता है तो उम्मीदवारी निरस्ती के साथ ही उन्हें आगे की भर्ती परीक्षा के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा या अर्थदंड लगाया जाएगा, इस तरह की कोई कठोर शर्त लगाना होगी। तभी यह अपात्र रूक सकेंगे और योग्यों को उनका हक मिलेगा।
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ईएसबी में भी यह समस्या आती है, पद खाली रहते हैं
यह समस्या केवल आयोग में नहीं है बल्कि ईएसबी (कर्मचारी चयन मंडल) में भी आती है। वहां तो पद और उम्मीदवार लाखों की संख्या में होते हैं, ऐसे में वहां कुछ नहीं बल्कि सैंकड़ों, हजारों योग्य उम्मीदवारों का हक यह अपात्र मार देते हैं। ऐसे ही दिव्यांग सर्टिफिकेट में भी रहता है बाद में कई के गलत पाए जाते हैं और अंत में यह पद रिक्त रह जाते हैं क्योंकि योग्य का यह हक मार देते हैं। ऐसे में जीएडी (सामान्य प्रशासन विभाग) स्तर पर दोनों ही भर्ती एजेंसी के विज्ञापन में इसे लेकर शर्त जोड़ा जाना आवश्यक हो गया है।
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