MP News : मध्यप्रदेश के रीवा जिले से प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक रिटायर्ड फौजी योगेश कुमार तिवारी अपने साथ नकद और जेवर से भरा ब्रिफकेस लेकर जनसुनवाई में पहुंचे और अधिकारियों से कहा, "रिश्वत ले लो, लेकिन मेरी पुश्तैनी जमीन लौटा दो।" यह वाकया रीवा कलेक्ट्रेट में मंगलवार को आयोजित साप्ताहिक जनसुनवाई का है, जहां मलपार (अंजोरा) निवासी योगेश तिवारी ने खुलकर प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
फौजी की पुश्तैनी जमीन पर अवैध कब्जा
योगेश तिवारी का आरोप है कि उनके पिता रमाशंकर तिवारी के नाम दर्ज जमीन पर विद्याधर तिवारी नामक व्यक्ति ने अवैध कब्जा कर लिया है। वह वहां शेड बनाकर आटा चक्की चला रहा है और रास्ता भी निकाल लिया है। तिवारी के अनुसार, विरोध करने पर उन्हें धमकियां और मारपीट का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
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भ्रष्टाचार का आरोप, SDM पर पक्षपात का दावा
तिवारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि त्योंथर तहसील कार्यालय में खुलकर रिश्वत का खेल चल रहा है। उनकी पुश्तैनी जमीन को कथित रूप से रिश्वत के बदले सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया है। तिवारी ने दावा किया कि एसडीएम संजय जैन ने उनकी बात सुने बिना एकतरफा फैसला सुना दिया।
प्रशासन का पक्ष - कब्जा सरकारी जमीन पर था
रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि तिवारी जिस जमीन की बात कर रहे हैं, वह दरअसल सरकारी भूमि है और उस पर कब्जे के कारण बेदखली आदेश जारी हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि एसडीएम से इस मामले की रिपोर्ट मांगी गई है और योगेश तिवारी को अपनी बात रखने का अवसर दिया जाएगा।
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फौजी का जज्बा - कुछ भी कर सकता हूं
योगेश तिवारी ने कहा कि वे फौजी हैं और अपनी जमीन को मां मानते हैं। उन्होंने कहा कि इस जमीन की रक्षा के लिए वे जान भी दे सकते हैं और ले भी सकते हैं। उन्होंने अपने ब्रिफकेस में मौजूद सारी संपत्ति अधिकारियों के सामने रख दी और कहा कि जो चाहिए ले लीजिए लेकिन जमीन लौटा दीजिए।
जनसुनवाई और जमीन विवाद की प्रक्रिया
जनसुनवाई एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें आम नागरिक अपनी समस्याएं, शिकायतें और सुझाव सीधे सरकारी अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों के समक्ष रख सकते हैं। यह शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है। सरकारी जमीन से जुड़े विवादों में नागरिक अपनी शिकायत जनसुनवाई के दौरान दर्ज कर सकते हैं, जिसके बाद संबंधित विभाग (मुख्यत: राजस्व विभाग) जांच करता है। यदि मामला गंभीर हो या दो पक्षों के बीच विवाद हो तो न्यायालय की मदद ली जाती है।
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अधिकारियों से सीधे शिकायत करने का मौका
जनसुनवाई का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि नागरिक अपनी व्यक्तिगत या सामूहिक समस्याएं सीधे जिला कलेक्टर, तहसीलदार, एसडीएम या अन्य संबंधित अधिकारियों के समक्ष रख सकते हैं। यह प्रक्रिया समयबद्ध और प्रामाणिक समाधान प्रदान करने में मदद करती है।
राजस्व विभाग और न्यायालय करेगा मदद
सरकारी जमीन से जुड़े विवादों की जांच और समाधान मुख्य रूप से राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है। यदि कोई पक्ष निर्णय से असंतुष्ट हो, तो वह न्यायालय में अपील कर सकता है। कई बार ऐसे विवादों को हल करने के लिए ग्राम पंचायत या उपजिला अधिकारी स्तर पर भी कार्रवाई की जाती है।
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दस्तावेजों की वैधता जांचना अनिवार्य
पुश्तैनी संपत्ति से जुड़े किसी भी प्रकार के दावे या लेन-देन में दस्तावेजों की वैधता की जांच अनिवार्य होती है। इसमें खसरा, खतौनी, बंटवारे के दस्तावेज, वसीयत पत्र सहित अन्य दस्तावेजों की जांच की जाती है। यह प्रक्रिया किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या भविष्य में विवाद से बचने के लिए आवश्यक है।