मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग की कमियां उजागर हो रही हैं। प्रदेश के 8 लाख से ज्यादा छात्रों की मैपिंग पेंडिंग है। विभाग को नहीं पता कि प्रदेश के 8 लाख बच्चों ने अगली क्लास में कहां एडमिशन लिया है। 1.40 लाख विद्यार्थियों की डुप्लीकेट एंट्री पाई गई है। इन छात्रों की या तो गलत जानकारी डाली गई है या इनकी एंट्री एक से ज्यादा बार हुई है। इसके अलावा 58 हजार से ज्यादा ऐसे छात्र हैं, जिनके नाम दर्ज है लेकिन यह नहीं पता कि वे पढ़ भी रहे हैं या नहीं। इन्हें ड्रॉपबॉक्स में माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में ड्रॉप आउट विद्यार्थी भी ढाई लाख के करीब है।
स्कूलों को मैपिंग के आदेश
यह आंकड़े सामने आने के बाद अब स्कूल शिक्षा विभाग पेंडिंग मैपिंग का काम पूरा करवाना चाह रहा है। बीते दिनों स्कूली शिक्षकों की चुनाव में ड्यूटी लगी थी। इसके कारण यह काम नहीं हो पाया। अब मैपिंग के काम में तेजी लाने की तैयारी है। इस मैपिंग के बाद ड्रॉपबॉक्स के छात्रों को ड्रॉप आउट की लिस्ट में डाल दिया जाएगा। राज्य शिक्षा केंद्र के डायरेक्टर धनराजू एस का कहना है- "जिन स्टूडेंट्स की मैपिंग नहीं हो सकी है, उसे फिर से करवा रहे हैं। डुप्लीकेट एंट्री को भी क्राॅस चैक करवा रहे हैं। शिक्षक बच्चों के घर भी संपर्क कर पता लगाएंगे कि वे स्कूल क्यों नहीं आ रहे।"
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भोपाल और इंदौर में ये हाल
ड्रॉपआउट और डुप्लिकेट एंट्री के मामले में प्रदेश की राजधानी और बड़े शहर आगे हैं। भोपाल डुप्लिकेट एंट्री के मामले में टॉप-5 जिलों में शामिल है। यहां करीब 3,427 डुप्लिकेट एंट्री पाई गई है। इंदौर में यह आंकड़ा और बड़ा है। जिले में 13,677 डुप्लीकेट एंट्री है। इसके अलावा भोपाल में 2,144 विद्यार्थी ड्रॉपबॉक्स में है। इंदौर में यह आंकड़ा 1,197 का है।
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