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Photograph: (THESOOTR)
शहडोल के जिला पंचायत में डिप्टी सीएम, सांसद, विधायक साहित नगर अध्यक्ष तक के प्रस्ताव पर किए गए 81 ट्रांसफरों पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार सहित शहडोल कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ से जवाब तलब किया है।
ग्राम पंचायत सचिवों के हुए थे ट्रांसफर
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल ने 13 जून 2025 को नोटशीट जारी करते हुए कुल 81 ग्राम पंचायत सचिवों के ट्रांसफर किए थे। इसमें से ज्यादातर ट्रांसफर मध्य प्रदेशभाजपा के नेताओं के प्रस्ताव के बाद हुए थे।
हैरानी की बात यह थी कि इन ट्रांसफर के लिए ब्यौहारी, जैतपुर और जयसिंहनगर के विधायकों के साहित सांसद और उपमुख्यमंत्री तक ने सिफारिश की थी। हालांकि, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल तो शहडोल के प्रभारी मंत्री हैं, लेकिन सांसद विधायकों सहित जिला अध्यक्ष की सिफारिश किस अधिकार से गई थी यह समझ से परे है।
नोट शीट ने खड़ी कर दी उलझन
CEO जिला पंचायत शहडोल के आदेश की जो नोटशीट थी वह किसी तरह से वायरल हो गई जिसमें विधायकों और सांसद सहित जिला अध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रस्तावित नाम या कहे सिफारिश की भी पूरी जानकारी थी और नीचे नोट में भी है लिखा गया था कि यह ट्रांसफर किन के प्रस्ताव के कारण किये जा रहे हैं।
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PIL के जरिए मामला पहुंचा HC
शहडोल में तबादले के मामले को लेकर शहडोल के ही दुर्गा प्रसाद तिवारी ने जनहित याचिका दायर की। इनकी ओर से अधिवक्ता सुनंदा केसरवानी और एडवोकेट रक्षा श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जिस तरह से यह ट्रांसफर किए गए हैं वह बिल्कुल ही गलत है और सिफारिश पर किए गए ट्रांसफरों में भ्रष्टाचार भी हो सकता है।
इन नेताओं को ही बैठा दो एडमिनिस्ट्रेशन में: HC
याचिकाकर्ता की ओर से इस ट्रांसफर आदेश पर स्थगन की मांग की गई थी। हालांकि कोर्ट ने इस आदेश को स्थगित तो नहीं किया है पर कड़े शब्दों में सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि जब विधायक, सांसद नगर अध्यक्ष ही ट्रांसफर कर रहे हैं तो इन्हें ही एडमिनिस्ट्रेशन में बैठा दो और यहां कोर्ट में भी लाकर बैठा दो।
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अगली सुनवाई में सरकार को देना होगा जवाब
यहां आपको बता दें कि एमपी ट्रांसफर नीति 2025 के अनुसार प्रभारी मंत्री को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह तबादलों का अनुमोदन करेंगे। यहां तक की जिला कलेक्टर को भी तबादला करने के लिए प्रभारी मंत्री से अनुमोदन प्राप्त करना जरूरी हो गया है।
इस मामले में क्षेत्रीय विधायकों सांसदों और यहां तक जिला अध्यक्ष तक का हस्तक्षेप सामने आया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 22 नवंबर को तय की है। अगली सुनवाई में सरकार सहित शहडोल कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को कोर्ट में जवाब देना होगा।
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