फर्जी जाति प्रमाण पत्र घोटाले में MP STF की बड़ी कार्रवाई, 25 अफसरों और कर्मचारियों पर FIR दर्ज

ग्वालियर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में MP STF ने प्रदेश भर में 25 अधिकारियों और कर्मचारियों पर FIR दर्ज की है। इसके तहत कई डॉक्टर और इंजीनियर भी शामिल हैं।

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Amresh Kushwaha
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फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी लेने का मामला मध्य प्रदेश में चर्चा का विषय बन चुका है। ग्वालियर में इस प्रकार के कई मामलों का खुलासा हुआ है। इसके बाद मध्य प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (MP STF) ने सख्त कदम उठाते हुए प्रदेश में 25 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इस कार्रवाई में ग्वालियर के डॉक्टरों और इंजीनियरों सहित कई सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर नौकरी प्राप्त की थी।

ग्वालियर में STF की बड़ी कार्रवाई

ग्वालियर में तीन डॉक्टरों और एक इंजीनियर के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसमें अंचल के सबसे बड़े शासकीय जयारोग्य अस्पताल के डॉक्टर डॉ. विनोद मांझी, डॉ. दिनेश मांझी और डॉ. सुमन मांझी शामिल हैं। इन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर सरकारी नौकरी प्राप्त की थी। इसके अलावा, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रजनीश कुमार भी इस मामले में शामिल पाए गए हैं। इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की गई है। इससे यह संदेश गया है कि फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी प्राप्त करना किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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ग्वालियर, भिंड, मुरैना से जारी फर्जी प्रमाण पत्र

जांच में सामने आया है कि ये फर्जी जाति प्रमाण पत्र ग्वालियर, भिंड और मुरैना से ही बनवाए गए थे। इस मामले की शिकायत गौरीशंकर राजपूत के जरिए की गई थी। इसके आधार पर MP STF ने कार्रवाई शुरू की। जांच के दौरान इंदौर, शाजापुर, विदिशा, होशंगाबाद और बैतूल जैसे विभिन्न जिलों में पदस्थ अधिकारियों का नाम सामने आया है, जिन पर भी FIR दर्ज की गई है।

फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में MP STF की कार्रवाई...

  • ग्वालियर में कई सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप लगा है, जिसमें तीन डॉक्टर और एक इंजीनियर शामिल हैं।
  • मध्य प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (MP STF) ने 25 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है और इन पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
  • जांच में पता चला कि ये फर्जी जाति प्रमाण पत्र ग्वालियर, भिंड और मुरैना से बनवाए गए थे, और विभिन्न जिलों में भी आरोपित पाए गए हैं।
  • फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी पाने वाले व्यक्तियों ने अन्य पात्र उम्मीदवारों का हक मारा, और समाज में असमानता पैदा की।
  • राज्य सरकार और अधिकारियों की तत्परता और सख्ती के कारण फर्जीवाड़े को रोका जा रहा है, और भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

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फर्जीवाड़े का समाज पर गंभीर असर

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने के मामले में राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों की सख्त कार्रवाई की जा रही है। यह मामला प्रदेश में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के स्तर को दिखाता है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए पदों पर नियुक्ति पाने वाले लोगों ने न केवल अन्य पात्र उम्मीदवारों के साथ अन्याय किया, बल्कि समाज में एक गलत संदेश भी दिया। अब तक की जांच में कई अहम नाम सामने आ चुके हैं और जांच जारी है।

MP STF की कार्रवाई की सराहना

इस पूरे मामले में MP STF की कार्रवाई को लेकर राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों की तत्परता और सख्ती की सराहना की जा रही है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में इस प्रकार के मामलों पर कड़ी रोक लगे और किसी भी प्रकार के फर्जीवाड़े को सहन न किया जाए। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी करना अब मुमकिन नहीं होगा।

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फर्जी जाति प्रमाण पत्र से जुड़े मुद्दे

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले सिर्फ सरकारी नौकरी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इससे समाज में वर्ग विशेष के बीच असंतुलन भी पैदा होता है। जो लोग इस प्रकार के प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी प्राप्त करते हैं, वे वास्तविक योग्यताओं से वंचित रहते हुए पदों पर कब्जा कर लेते हैं, जिससे समाज में असमानता बढ़ती है। इसके अलावा, इस प्रकार के फर्जीवाड़े से सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ भी उन तक नहीं पहुंच पाता, जो वास्तविक रूप से जरूरतमंद होते हैं।

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