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मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ी कार्रवाई की तैयारी की है। इसमें 1100 से ज्यादा तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को निशाने पर है। जानकारी के अनुसार, इन अधिकारियों पर आज (18 अगस्त) किसी भी समय कार्रवाई हो सकती है।
बता दें, यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब इन अधिकारियों ने सरकारी आदेशों और दायित्वों के पालन में लापरवाही बरती। खासतौर पर, इन अधिकारियों ने प्रशासनिक कार्यों में अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज किया। इससे राज्य के नागरिकों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार का कड़ा रुख, कार्रवाई के निर्देश
सरकार अब इस मामले में सख्त कदम उठाने की योजना बना रही है। मध्यप्रदेश सरकार के अवर सचिव संजय कुमार ने सभी कमिश्नरों को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके तहत, 1100 से अधिक तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को नोटिस जारी किए जाएंगे। इस कार्रवाई के पीछे सिविल सेवा नियमों का हवाला दिया जा रहा है। इनके तहत अधिकारियों को उनके दायित्वों का पालन करना अनिवार्य होता है।
इंदौर में वेतन काटने का आदेश
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने 42 तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का 1 दिन का वेतन काटने का आदेश पहले ही जारी कर दिया था। यह कार्रवाई अधिकारियों के दायित्वों में लापरवाही और अनुशासनहीनता के कारण की गई थी। यह कार्रवाई अन्य जिलों में भी लागू होने की संभावना है, यदि अधिकारी अपने दायित्वों को न निभाते हैं तो।
एमपी के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गाज पर एक नजर
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जानें तहसीलदार क्यों कर रहे हैं विरोध
मध्य प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में 3 जून को बड़ा फैसले लेते हुए राजस्व अधिकारियों, न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों का विभाजन किया था। इसके बाद, प्रदेशभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार 6 अगस्त से लगातार अपने सामान्य कामकाज को नकार रहे हैं। उनका कहना है कि वे आपदा प्रबंधन से संबंधित कार्यों के अलावा कोई अन्य काम नहीं करेंगे। इस विरोध का असर आम जनता पर पड़ा है, क्योंकि उनके जमीन संबंधित कार्य जैसे नामांतरण, बंटवारे, और अन्य प्रशासनिक काम लंबित पड़े हुए हैं।
राज्यभर में बढ़ी पेंडेंसी और जन समस्याएं
मध्यप्रदेश राजस्व विभाग के इन अधिकारियों की हड़ताल के कारण प्रदेश में पेंडिंग केसों की संख्या बढ़कर 90 हजार से अधिक हो गई है। भोपाल जिले में ही 2000 से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। यह स्थिति सामान्य नागरिकों के लिए बेहद परेशानी का कारण बन गई है। बंटवारे, नामांतरण, और भूमि संबंधित अन्य मामलों की लंबी प्रक्रियाओं ने प्रदेश के राजस्व कार्यालयों में हंगामा मचाया है।
मामले को लेकर राज्य सरकार का जवाब
राज्य सरकार ने इन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। सिविल सेवा नियमों के तहत, अधिकारियों को उनके कार्यों में अनुशासन बनाए रखने का आदेश दिया गया है। अब सरकार और प्रशासन इस बात को सुनिश्चित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं कि सभी कार्य सही तरीके से और समय पर किए जाएं। इस बीच, यह भी देखा जा रहा है कि इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से अन्य सरकारी कर्मचारियों के बीच एक संदेश जाएगा कि प्रशासनिक अनुशासन को बनाए रखना जरूरी है।
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मध्य प्रदेश सरकार का फैसला | अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश | मप्र में लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई | MP News