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मोहन सरकार के कड़े रुख के बाद तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने अपनी हड़ताल को समाप्त करने का ऐलान किया है। पहले तो ऐसा लग रहा था कि सरकार इन अफसरों को सस्पेंड कर सकती है, लेकिन सोमवार (18 अगस्त) को इन अधिकारियों ने राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और अपनी मांगों को रखा।
बातचीत के बाद देर रात यह फैसला लिया गया कि हड़ताल को अब खत्म कर दिया जाएगा। मंगलवार (19 अगस्त) से प्रदेशभर के 1100 से ज्यादा तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अन्य संबंधित अधिकारी अपने कार्य पर लौटेंगे।
पिछले दो हफ्तों से अफसर न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों के विभाजन से नाराज थे। इसके कारण उन्होंने हड़ताल का रास्ता अपनाया था। अब, यह विवाद समाप्त हो चुका है और काम फिर से पटरी पर आ गया है।
राज्य सरकार का कड़ा रुख खत्म हड़ताल
हड़ताल के दौरान राज्य सरकार ने तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के काम पर लौटने के लिए कड़ा रुख अपनाया। सरकार ने स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिए थे कि जो अफसर काम पर नहीं लौटेंगे, उन्हें सस्पेंड कर दिया जाएगा। तीन दिन पहले ही संभाग आयुक्तों को यह निर्देश दिए गए थे कि वह हड़ताल पर रहने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। इसके बाद, बैरागढ़, कोलार, एमपी नगर, शहर वृत्त, बैरसिया और टीटी नगर की तहसीलों में यह व्यवस्था लागू की गई, जिसका विरोध हुआ।
वहीं हड़ताल खत्म करने का निर्णय तब लिया गया, जब मध्य प्रदेश राजस्व अधिकारी (कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा) संघ ने सोमवार (19 अगस्त) को राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल से बैठक हुई। इसमें न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों के विभाजन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसके बाद, संघ ने इस विभाजन के तहत कार्य करने का निर्णय लिया और मंगलवार से राजस्व संबंधी सभी कार्यों की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया।
तहसीलदारों के हड़ताल खत्म करने की खबर पर एक नजर
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शासन के नए दिशा-निर्देश
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने इस बैठक में यह बताया कि कलेक्टर अब किसी भी तहसीलदार को कार्य का अंतरण कर सकते हैं। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि कोई भी एक अधिकारी एक ही कार्य को लंबे समय तक नहीं करेगा, ताकि कार्य की गति बनी रहे और सिस्टम में पारदर्शिता रहे।
हड़ताल से प्रदेश में आ रही थी यह समस्याएं
6 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल के कारण राज्य की राजधानी सहित सभी जिलों की तहसीलें प्रभावित हुई थीं। हड़ताल के कारण करीब 6000 से अधिक प्रकरण लंबित हो गए थे। इनमें नामांतरण, सीमांकन, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और अन्य राजस्व संबंधी मामले शामिल हैं।
हड़ताल के दौरान तहसीलदार और नायब तहसीलदार केवल आपदा प्रबंधन कार्यों पर ध्यान दे रहे थे, लेकिन अब शासन ने कुछ दिशा-निर्देशों के साथ न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों का विभाजन स्वीकार किया है। धर्मेंद्र सिंह चौहान, प्रांताध्यक्ष, मप्र राजस्व अधिकारी संघ ने बताया कि अब सभी राजस्व कार्य फिर से शुरू किए जाएंगे।
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कोर्ट में भीड़ बढ़ने की है संभावना
अब 13 दिन बाद, तहसीलदारों ने अपने कार्यों की शुरुआत की है। इससे लोगों को राहत मिलेगी। हड़ताल की समाप्ति के बाद, जिले की तहसीलों में भीड़ देखने को मिल सकती है। खासकर उन प्रकरणों के लिए जिनका समाधान लंबित था। इन प्रकरणों में नामांतरण, सीमांकन, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र और स्थानीय प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण मामले शामिल हैं।
तहसीलदारों के लिए यह चुनौती होगी कि वे इतने बड़े पैमाने पर लटके हुए प्रकरणों का समाधान कैसे करेंगे।
राज्य में कोलार, बैरसिया, हजार, गोविंदपुरा, टीटी नगर, एमपी नगर, शहर और बैरागढ़ जैसी तहसीलों में इन प्रकरणों का समाधान किया जाएगा।
जानें तहसीलदार क्यों कर रहे हैं विरोध
मध्य प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में 3 जून को बड़ा फैसले लेते हुए राजस्व अधिकारियों, न्यायिक और गैर-न्यायिक कार्यों का विभाजन किया था। इसके बाद, प्रदेशभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार 6 अगस्त से लगातार अपने सामान्य कामकाज को नकार रहे हैं। उनका कहना है कि वे आपदा प्रबंधन से संबंधित कार्यों के अलावा कोई अन्य काम नहीं करेंगे। इस विरोध का असर आम जनता पर पड़ा है, क्योंकि उनके जमीन संबंधित कार्य जैसे नामांतरण, बंटवारे, और अन्य प्रशासनिक काम लंबित पड़े हुए हैं।
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