होटल में रुके ही नहीं और पर्यटन विभाग मांग रहा अतिथि सत्कार का खर्चा

मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के उज्जैन स्थित क्षिप्रा रेसीडेंसी होटल में फर्जीवाड़े से खलबली मच गई है। इस होटल के कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकार के विभागों को ही चूना लगाने की साजिश रची गई थी। जानें पूरा फर्जीवाड़ा

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Sanjay Sharma
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MP Tourism Department ujjain Hotel Shipra Residency Fraud Case

उज्जैन स्थित क्षिप्रा रेसीडेंसी होटल में फर्जीवाड़ा। Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. महाकाल लोक के अस्तित्व में आने के बाद उज्जैन ने पूरे देश में नई पहचान बना ली है। टूरिस्टों की बढ़ती संख्या को देख पर्यटन विभाग ने भी संसाधनों में इजाफा किया है। पर्यटन विभाग की इन तैयारियों के बीच उसकी साख पर बट्टा लगाने वाला मामला सामने आया है। मामला विभाग द्वारा संचालित होटल क्षिप्रा रेसीडेंसी (Hotel Kshipra Residency) से संबंधित है। विभाग के इस होटल के कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकार के विभागों को ही चूना लगाने की साजिश रची गई थी। कुछ कर्मचारियों ने पर्यटन विभाग की होटलों में उपयोग होने वाले सॉफ्टवेयर का पायरेटेड वर्सन भी तैयार करा लिया था। फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद विभाग गुपचुप जांच में जुट गया है। वहीं होटल में उपयोगी सॉफ्टवेयर को भी फूलप्रूफ बनाने की तैयारी की जा रही है।

ऐसे की बिल वसूली की कोशिश...

प्रदेश के सरकारी विभागों के अधिकारी दौरे पर उज्जैन आते-जाते हैं। विभागों के आला अफसर पर्यटन विभाग के होटलों में रुकते हैं। आतिथ्य सत्कार पर हुए खर्च का भुगतान संबंधित विभागों द्वारा किया जाता है। इसलिए बिल स्थानीय कार्यालयों को भेज दिए जाते हैं। बिलों के सेटलमेंट में कई महीने लगने से दौरों और भुगतान के समय कर्मचारी डिटेल याद नहीं रख पाते हैं। इसका फायदा पर्यटन विभाग की होटल रेसीडेंसी के कर्मचारी उठा रहे थे। बिलिंग प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों ने साल 2019 से 2021 के बीच लाखों के फर्जी बिल विभागों को भेज दिए। अफसरों के उज्जैन टूर की जानकारी न होने से कुछ विभागों ने तो भुगतान भी कर दिया था। लेकिन कुछ विभागों के कर्मचारियों ने गलती पकड़ ली। जिन तारीख और महीनों के बिल भेजे गए थे उस तारीख या महीने में विभागीय अधिकारियों ने होटल क्षिप्रा में स्टे ही नहीं किया था।

अतिथियों से ज्यादा बिल बकाया

मामला पकड़ में आने पर कई अधिकारियों से पर्यटन विभाग को जब शिकायतें पहुंची तो अफसरों ने ध्यान दिया। संदेह के चलते बीते चार-पांच साल के बिल खंगाले गए तो अधिकारी हैरान रह गए। पता चला कि सरकारी विभागों को जितनी बकाया राशि के बिल भेजे गए हैं उतने अफसर होटल में ठहरे ही नहीं थे। इसके अलावा साल 2019 में 14 लाख, 2020 में 14.55 लाख और 2021 में सबसे ज्यादा साढ़े 23 लाख रुपए की बिलिंग में हेराफेरी सामने आई। पर्यटन विभाग के होटल क्षिप्रा में ठहरने वाले विभागों के अधिकारियों की संख्या में भी काफी गड़बड़ी का खुलासा हुआ। जिन विभागों के अधिकारियों के स्टे की एंट्री की गई थी वे होटल में ठहरे ही नहीं थे। करीब 15 विभागों के अफसरों के नाम से बकाया भुगतान के बिल भेजे गए थे। 

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फर्जीवाड़े के लिए बदला सॉफ्टवेयर

बताया जाता है पर्यटन विभाग के होटलों में बिलिंग के लिए एसएपी -B-1 सॉफ्टवेयर काम करता है। इस पर हर दिन डेढ़ से दो लाख पर्यटकों की एंट्री होती है जो विभाग के होटलों में स्टे करते हैं। इतनी ज्यादा एंट्री के बीच क्षिप्रा रेसीडेंसी के कुछ कर्मचारियों ने फर्जीवाड़े का तरीका खोजा। उन्होंने पायरेटेड सॉफ्टवेयर तैयार कराया और इसकी मदद से कैश एंट्री में गड़बड़ी करते रहे। यानी अधिकारियों का स्टे दर्शाकर बिल विभागों को भेज दिया जाता और नकदी को वे अपने पास रख लेते थे। अकेले सरकारी विभागों को ही 52 लाख रुपए के बिल भेजे गए हैं। ऐसे में अभी ये कहना मुश्किल है कि बीते चार सालों में होटल से कितनी हेराफेरी हुई है।

हेराफेरी के संदेह में तीन कर्मचारी

जांच के दौरान सामने आया है कि साल 2019 से 2021 के बीच सबसे ज्यादा बिल सरकारी विभागों को भेजे गए थे। इसके जरिए 52 लाख रुपए की वसूली की जानी थी। जबकि इतनी राशि कैश एंट्री से भी गायब की गई थी। लाखों रुपए की इस हेराफेरी में होटल में तत्कालीन मैनेजर दिनेश, सुभाष के अलावा तत्कालीन अकाउंटेंट गौरव यादव संदेह के दायरे में हैं। विभाग के अधिकारियों के अलावा पुलिस भी उनसे पूछताछ कर गड़बड़झाले की जांच कर रही है। पड़ताल में पता चला है कि शिक्षा विभाग को 3.50 लाख, मार्कफेड को 65 हजार, कालिदास संस्कृत अकादमी को 2.20 लाख, स्मार्टसिटी उज्जैन को 65 हजार, एमपीआरडीए को 2.10 लाख, जिला सत्कार अधिकारी उज्जैन को 95 हजार रुपए के बिल बकाया बताकर भेजे गए हैं।

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