मध्य प्रदेश में मदरसे बंद करने की तैयारी, विधानसभा में BJP विधायक लाएंगे अशासकीय संकल्प

मध्‍य प्रदेश में संचालित मदरसों को बंद करने के लिए विधानसभा में अनुच्छेद 30 खत्म करने का अशासकीय संकल्प लाया जाएगा। बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय यह संकल्प लेकर आएंगे।

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Shreya Nakade
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मदरसे बंद करने अशासकीय संकल्प
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मध्‍य प्रदेश में संचालित मदरसों को बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शुक्रवार को मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र ( MP Assembly ) की कार्यवाही के लिए विस की कार्यसूची में अशासकीय संकल्प को शामिल किया गया है। 

इसके अंतर्गत अनुच्छेद 30 ( article 30 ) को खत्म करने के लिए बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय द्वारा अशासकीय संकल्प लाया जाएगा। यह अशासकीय संकल्प अल्पसंख्यकों को धार्मिक या भाषाई आधार पर शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रबंधन का अधिकार समाप्त करने के लिए लाया जाएगा।

इस मामले पर बीजेपी विधायक उषा ठाकुर ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि मदरसों को बंद करना ही ठीक है। रामेश्वर शर्मा ने भी इसका समर्थन किया है। वहीं नेता प्रतिपक्ष ने इस बारे में कहा कि वो ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं करना चाहते जो जनता के मुद्दों को भटका दें।

अभिलाष पांडेय ने कहा- सबको मिले समान शिक्षा

अनुच्छेद 30 को खत्म करने के लिए बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय द्वारा अशासकीय संकल्प लाया जा रहा है। इसे लेकर अभिलाष पांडेय ने कहा कि "मैंने कई जगह पढ़ा सुना है कि जो भी बच्चे मदरसों में पढ़ते हैं उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 10वीं-12वीं में ओपन स्कूल से पढ़ाई करनी पड़ती है। हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बात करते हैं, समान शिक्षा की बात करते हैं। मैं चाहता हूँ कि अल्पसंख्यक बच्चे भी समान शिक्षा नीति के साथ पढ़ाई करें। साथ ही उनका भविष्य उज्जवल बने। उनको अच्छी शिक्षा मिले, इस दिशा में मेरा ये कदम हैं।"

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मदरसों को बंद किया जाए- उषा ठाकुर

विधानसभा में अनुच्छेद 30 को खत्म करने के लिए बीजेपी विधायक अभिलाष पांडेय के अशासकीय संकल्प पर सियासत छिड़ गई है। इसे लेकर बीजेपी विधायक उषा ठाकुर ने कहा है कि "आयोग ने मदरसों का निरीक्षण करने पर पाया कि छोटे छोटे कमरे में कई बच्चे रहते हैं। कई मदरसे मदरसा बोर्ड और शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना चल रहे हैं। बिना अनुमति के बच्चे पाए, तो मानव तस्करी और बंधुआ मज़दूरी का संकेत मिलता है। बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं। उनका जीवन सुरक्षित हो उन्हें राष्ट्रवादिता से जोड़ा जाए ये किसी भी सरकार की पहली शर्त है और उसी दिशा में ये कदम है।"

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर, असम में मदरसों की गतिविधियों को देखकर लगता है कि मध्य प्रदेश में भी मदरसों को बंद किया जाना चाहिए। यहाँ कई देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है और इनका बंद किया जाना अनिवार्य है।

वहीं बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि मदरसे हों या कोई भी स्थान हो, शिक्षा देना मना नहीं है। लेकिन भारत की शिक्षा पद्धति में भारत का सम्मान, बाबा साहब अंबेडकर का संविधान, सेना के प्रति सम्मान, भारत माता की जय जयकार, राष्ट्रगान ये सब करना चाहिए।

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नेता प्रतिपक्ष ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार किया

हालांकि इस मुद्दे पर जब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘मैं ऐसे विषयों पर चर्चा नहीं करना चाहता हूँ, जो जनता के मुद्दे हैं, उनसे भटककर बात होती है। मैं विश्वास नहीं करता हूँ कि इन बातों का जवाब दूँ।’ इस तरह उन्होंने फ़िलहाल इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

आइए जानते हैं अशासकीय संकल्प क्या होता है

विधानसभा में अशासकीय संकल्प सदस्यों ( MLA) द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव होते हैं, जो सरकार से किसी खास मुद्दे पर कार्रवाई करने या राय व्यक्त करने का आग्रह करते हैं। ये संकल्प सरकार द्वारा पेश किए गए सरकारी संकल्पों से अलग होते हैं।

अशासकीय संकल्पों की विशेषताएं:

  • सदस्यों द्वारा प्रस्तुत: ये विधानसभा के किसी भी सदस्य द्वारा प्रस्तुत किए जा सकते हैं, चाहे वे सत्ता पक्ष में हों या विपक्ष में।
  • विषयों की विविधता: अशासकीय संकल्प किसी भी विषय पर हो सकते हैं, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक या पर्यावरणीय मुद्दे शामिल होते हैं।
  • सरकार पर दबाव: इनका उपयोग सरकार पर किसी खास मुद्दे पर ध्यान देने या कार्रवाई करने के लिए दबाव डालने के लिए किया जाता है।
  • जनमत का प्रतिबिंब: ये जनता की भावनाओं और चिंताओं को व्यक्त करने का एक तरीका भी हो सकते हैं।

अशासकीय संकल्प लाने का प्रक्रिया क्या होती है

  • सूचना: सबसे पहले, सदस्य को विधानसभा अध्यक्ष को लिखित रूप में सूचना देनी होती है कि वे कौन सा अशासकीय संकल्प पेश करना चाहते हैं।
  • स्वीकृति: अध्यक्ष यह तय करते हैं कि संकल्प सदन के नियमों और प्रक्रियाओं के अनुरूप है या नहीं। यदि स्वीकृत होता है, तो इसे सदन में पेश करने की अनुमति दी जाती है।
  • चर्चा: निर्धारित दिन पर, सदस्य अपना संकल्प प्रस्तुत करते हैं और सदन में इस पर चर्चा होती है।
  • मतदान: चर्चा के बाद, सदस्य संकल्प के पक्ष या विपक्ष में मतदान करते हैं।
  • परिणाम: यदि संकल्प बहुमत से पारित होता है, तो सरकार से उस पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाता है।

     

    मप्र में कितने मदरसे हैं

  • अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 मप्र में 9,823 मदरसे पंजीकृत थे। इसके बाद के आंकड़े फिलहाल अपडेट नहीं हैं। साथ ही कई गैर-पंजीकृत मदरसे भी हैं, जिनकी संख्या का कोई अनुमान नहीं है। एक अनुमान के अनुसार 20 हजार से ज्यादा मदरसे प्रदेश में संचालित हैं। 



मप्र में मदरसों को कौन- कौन सी सरकारी राहतें मिलती हैं

मध्य प्रदेश सरकार मदरसों को शिक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए विभिन्न प्रकार की राहतें प्रदान करती है।  

वित्तीय सहायता

  • अनुदान: पंजीकृत मदरसों को शिक्षकों के वेतन, भवनों के रख- रखाव और शैक्षिक सामग्री के लिए वार्षिक अनुदान प्रदान किया जाता है।
  • भवन अनुदान: नए मदरसों के निर्माण और मौजूदा मदरसों के भवनों के जीर्णोद्धार के लिए अनुदान दिया जाता है।
  • आधुनिकीकरण अनुदान: मदरसों में कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला और पुस्तकालय जैसी आधुनिक सुविधाओं को स्थापित करने के लिए अनुदान दिया जाता है।



शिक्षा:

  • शिक्षक प्रशिक्षण: मदरसों के शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • पाठ्यक्रम विकास: मदरसों के लिए पाठ्यक्रम विकसित किया जाता है, जिसमें धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी शामिल होती है।
  • छात्रवृत्ति: मेधावी मदरसा छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।



अन्य राहतें:

  • भोजन अनुदान: कुछ मदरसों को छात्रों के लिए भोजन मुहैया कराने के लिए अनुदान दिया जाता है।
  • यूनिफार्म अनुदान: गरीब मदरसा छात्रों को वर्दी प्रदान करने के लिए अनुदान दिया जाता है।
  • स्वास्थ्य सुविधाएं: मदरसों के छात्रों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।

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