MP में राम-रावण का अनोखा युद्ध, दोनों तरफ से बरसते हैं पत्थर

मध्य प्रदेश के विदिशा में दशहरा पर राम और रावण की सेना के बीच महासंग्राम होता है। बरसों पुरानी युद्ध की परंपरा को निभाते हुए ग्रामीण राम की सेना बनते है, गांव के बाहर के लोग रावण के सैनिक बनते है।

Advertisment
author-image
Vikram Jain
New Update
MP Vidisha Dussehra War between Ram and Ravana army
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

अविनाश@Vidisha

पूरे देश में विजय दशमी का पर्व को उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में दशहरा पर्व को अलग-अलग तरीकों से मनाने की परंपरा भी है। कहीं रावण को जलाने पर पाबंदी होने के साथ पूजा की जाती है, तो कही पत्थरों से  राम और रावण का युद्ध होता है। आइए जानते हैं प्रभु श्री राम और दशानन रावण की सेना के बीच होने वाले युद्ध के बारे में... 

राम और रावण के युद्ध की अनोखी परंपरा

विदिशा जिले की लटेरी तहसील के ग्राम काला देव में दशहरे पर राम और रावण के बीच युद्ध की अनोखी परंपरा है। इस युद्ध में खास बात यह कि राम की सेना को पत्थर नहीं लगता, कहते हैं यहां अच्छे- अच्छे निशानेबाजों की एक नहीं चलती, तेजी से गोफन (गोतिया) चलाने वाले निशानेबाज भी कालादेव में असहाय नजर आते हैं। यहां बंदूक से भी तेज निशाना लगाने वाले भील और बंजारा समाज के लोग रावण की सेना बनते हैं, ग्राम काला देव के ग्रामीण राम की सेना बनते हैं, इस युद्ध के दौरान रावण की सेना की तरफ से गोफन से मारा गया पत्थर अपनी दिशा बदल लेता है। सबसे रोचक बात यह कि यह पत्थर प्रभु श्री राम के सैनिक बने को लोगों नहीं लगते है।

काला देव गांव में है रावण की विशाल प्रतिमा

यहां हर साल दशहरे पर होने इस तरह आयोजन को लोग चमत्कार मानते हैं। सबसे खास बात यह कि काला देव गांव में मनाए जाने वाले इस आयोजन में रावण को जलाया नहीं जाता यहां केवल रावण का वध किया जाता है। काला देव गांव में दशानन रावण की एक विशाल प्रतिमा भी है। रावण की प्रतिमा के सामने ध्वज गाड़ा दिया जाता है। यह ध्वज राम और रावण के युद्ध का प्रतीक होता है। रावण की विशाल प्रतिमा सामने दशहरा मैदान में राम और रावण के दलों में युद्ध होता है।

ये खबर भी पढ़ें... ओंकारेश्वर में क्यों नहीं होता रावण का दहन, जानें क्या है रहस्य

राम की सेना को नहीं लगते हैं पत्थर

दशहरा पर यहां राम और रावण की सेना में युद्ध होता है। एक तरफ काला देव के ग्रामीण राम भगवान की सेना के रूप में आगे बढ़ते हुए ध्वज को छूने का कोशिश करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर से रावण की सेना में शामिल लोग आगे बढ़ते है, रावण की सेना राम की सेना पर गोफन से पत्थरों की बारिश करते हुए आगे बढ़ते है। इस दौरान गोफन से निकले यह पत्थर राम की सेना को नहीं लगते। बल्कि युद्ध के मैदान में अपनी दिशा बदलकर निकल जाते हैं। राम सेना के सैनिक बने लोग राम की जय जय कार करते अपने स्थान पर पहुंच जाते हैं।

काला देव में इस तरह से दशहरा मनाने की यह परंपरा कब से चली आ रही है इसको लेकर कोई नहीं जानता। मान्यता है कि पत्थरों की बौछार में रामा दल का कोई सैनिक घायल नहीं होता। सदियों पुराने इस परंपरा का प्रतिनिधित्व आसपास के आदिवासी और बंजारा समाज की तरफ से किया जाता है।

ये खबर भी पढ़ें... इस गांव में है रावण का मंदिर, भक्त पढ़ते हैं रावण चालीसा

राम जी की जीत पर मनाया जाता है जश्र

बता दें कि कालादेव में अनूठे ढंग से दशहरा मनाने की परंपरा है। दशहरा पर युद्ध की तैयारी पहले से की जाती है। पहले ही रावण की प्रतिमा के पास आदिवासी समाज के लोग पत्थरों का ढेर लगाकर अपनी गोफन तैयार कर लेते हैं। इस तरह पत्थर का दिशा बदलना और राम जी सेना को पत्थर नहीं लगना किसी चमत्कार से कम नहीं है। रामजी की सेना के विजयी होने पर लोग जीत का जश्र मनाते हैं और एक- दूसरे को दशहरा की बधाई देते हैं। इस दौरान पुलिस प्रशासन की टीम मौजूद रहती है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

MP News एमपी न्यूज राम मध्य प्रदेश Vidisha News विदिशा न्यूज Dussehra मध्यप्रदेश की अनोखी परंपराएं रावण दशहरा प्रभु श्री राम