व्यापमं महाघोटाला : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियां की निरस्त, कांग्रेस हमलावर

2012 की परिवहन आरक्षक भर्ती की नियुक्तियां SC के आदेश पर रद्द कर दी गईं हैं, जिससे शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस ने इस पर नैतिक जिम्मेदारी के तहत इस्तीफे की मांग की है।

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Pratibha ranaa
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व्यापमं महाघोटाले का मुद्दा एक बार फिर से गर्म हो गया है। 12 साल पहले हुई परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 में हुई अनियमितताओं के चलते, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी है। इस कदम ने एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे विपक्ष को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा मिल गया है।

शिवराज से मांगा इस्तीफा

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने इस मामले में उप मुख्यमंत्री और उस समय के परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नैतिक आधार पर त्यागपत्र देने की मांग की है। मिश्रा ने कहा कि यदि नियुक्तियां विधिवत की गई थीं, तो अब उन्हें निरस्त क्यों किया गया?

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भ्रष्टाचार नहीं हुआ, तो नियुक्तियां क्यों रद्द हुईं?

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार ने कोर्ट में कहा था कि नियुक्तियां सही तरीके से हुई हैं और कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ। अब जब नियुक्तियां रद्द की गई हैं, तो कांग्रेस का सवाल है कि अगर सब कुछ सही था, तो यह निर्णय क्यों लिया गया?

देखिए किन कर्मचारियों की नियुक्तियां की गईं रद्द

कर्मचारियों की नियुक्तियां की गईं रद्द

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अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का आरोप

केके मिश्रा ने बताया कि शिवराज सरकार के दौरान विभिन्न श्रेणी के पदों के लिए भर्ती और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश के लिए कुल 168 परीक्षाएं आयोजित की गईं थीं। इसमें 1 लाख 47 हज़ार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था। शासकीय विभागों-उपक्रमों के अलावा लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं इसमें शामिल नहीं थी। इन विभिन्न परीक्षाओं में हुए प्रामाणिक भ्रष्टाचार,घपलों, घोटालों को कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के रूप में मैंने 21 जून, 2014 को उजागर किया था, इसमें परिवहन आरक्षक परीक्षा भर्ती घोटाला भी शामिल था। 

कांग्रेस के आरोपों के मुताबिक, 2012 में व्यापमं के माध्यम से 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती की अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन बिना किसी अनुमति के 332 अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। इस भर्ती में आरक्षण और महिला आरक्षकों के लिए निर्धारित कोटे का पालन भी नहीं किया गया था। इतना ही नहीं, अभ्यर्थियों के शारीरिक परीक्षण भी नहीं कराए गए, जोकि पुलिस भर्ती के लिए आवश्यक होते हैं।

केके मिश्रा के अनुसार कांग्रेस ने उजागर किया था कि इसमें बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के बग़ैर ही 198 आरक्षकों की भर्ती के विरुद्ध 332 आरक्षकों का चयन कर लिया गया। तत्कालीन परिवहन मंत्रालय ने तो बाक़ायदा चयनित परिवहन आरक्षकों को उनके फ़िज़िकल टेस्ट भी न कराए जाने वाला एक सरकारी पत्र भी जारी किया ? जबकि नियमानुसार पुलिस भर्ती सेवाओं में ऐसे टेस्ट अनिवार्य हैं, यहां तक कि चयनित अभ्यर्थियों की मेरिट सूची तक परिवहन विभाग ने सार्वजनिक नहीं की, ऐसा क्यों हुआ?

पूर्व केंद्रीय मंत्री, तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव व पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के रूप में के.के.मिश्रा ने व्यापमं महाघोटाले की सच्चाई सार्वजनिक होने तक विभिन्न जांच एजेंसियों एसटीएफ, एसआईटी और सीबीआई को अपने आरोपों से संदर्भित सभी दस्तावेज भी सौंपे थे।

इस मामले में खास बातें

  • तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने 23 जून, 2014 को ली गई पत्रकार- वार्ता में कांग्रेस के आरोपों को मिथ्या बताते हुए 316 परिवहन आरक्षकों की एक अहस्ताक्षरित सूची जारी की थी। उन्होंने मीडिया से यह भी कहा कि इस परीक्षा सहित सभी परीक्षाओं में चयन पारदर्शी तरीक़े से हुआ है।
  • कांग्रेस के दबाव के बाद अंततः भोपाल के एसटीएफ थाने में 39 आरोपितों के ख़िलाफ 14 अक्टूबर 2014 को विभिन्न धाराओं में FIR दर्ज की गई। 
  • जांच में कई खुलासे सामने आए। कई अभ्यर्थियों के अस्थाई पते तक गलत पाए गए।
  • मामला सामने आने के बाद भयभीत 17 अभ्यर्थियों ने नियुक्ति आदेश मिलने के बावजूद भी विभाग को अपनी ज्वाइनिंग ही नहीं दी और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 45 कार्यरत आरक्षकों की सरकार को नियुक्ति रद्द करने के आदेश देना पड़े।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जागी सरकार

मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 29 अगस्त 2023 और 20 अप्रैल 2024 को पारित आदेशों के बाद, सरकार को 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त करनी पड़ी। इस निर्णय को उन्होंने व्यापमं महाघोटाले के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का प्रमाण माना है। मिश्रा ने कहा कि 2014 में कांग्रेस द्वारा उठाए गए आरोप अब सत्य साबित हो गए हैं।

शिवराज सरकार के खिलाफ प्रमाणित आरोप- अरुण यादव

अरुण यादव और केके मिश्रा ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर लगे आरोप अब प्रमाणित हो गए हैं और नैतिकता के आधार पर उन्हें और जगदीश देवड़ा को तुरंत अपने पदों से इस्तीफा देना चाहिए। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि यदि ये नेता इस्तीफा नहीं देते, तो उन्हें पद से हटाया जाए।

भविष्य की राजनीतिक हलचल

इस घटना ने राज्य में राजनीतिक सरगर्मियों को और बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और भी राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस ने व्यापमं महाघोटाले को लेकर सरकार पर लगातार हमले जारी रखने का संकेत दिया है।

 

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