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मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन से जुड़े कमीशनखोरी का मामला अब अलग ही मोड़ पर आ गया है। इस मामले में अब पीएचई विभाग के अफसर लीपापोती में जुटे हुए हैं।
मंत्री संपतिया उइके (Sampatiya Uike) पर कमीशनखोरी का आरोप लगने के बाद अब 250 से अधिक इंजीनियरों को नोटिस देने की तैयारी की जा रही है।
इंजीनियरों ने आंदोलन की दी चेतावनी
एमपी डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने इस कार्रवाई के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है। एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर नोटिस की कार्यवाही पर आपत्ति जताई है।
इंजीनियरों का कहना है कि असिस्टेंट इंजीनियर और सब असिस्टेंट इंजीनियर को नोटिस देना पूरी तरह से गलत है। कार्यपालन यंत्री (Executive Engineers) और अधीक्षण यंत्री (Superintending Engineers) उन परियोजनाओं की तकनीकी स्वीकृति देने के जिम्मेदार हैं।
कर्मचारी मैनुअल के खिलाफ किया जा रहा काम
एमपी डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के संरक्षक राजेंद्र सिंह भदौरिया आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कर्मचारी मैनुअल (Employee Manual) के खिलाफ काम किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार से अपील की कि केवल उपयंत्रियों और सहायक यंत्रियों को नोटिस देकर वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने की कोशिश बंद की जाए। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि यह स्थिति जारी रही, तो 15 जुलाई को प्रदेश स्तरीय आंदोलन शुरू किया जाएगा।
मैनुअल के अनुसार, तकनीकी स्वीकृति (Technical Approval) देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, न कि उन्हें बचाया जाए।
जल जीवन मिशन में हुईं संशोधित लागत में बढ़ोतरी
इस मामले के संदर्भ में, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में कई योजनाओं की संशोधित लागत (Revised Cost) में बढ़ोतरी की स्थिति सामने आई है।
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भोपाल क्षेत्र में, 4 हजार 890 योजनाओं में से 1 हजार 290 योजनाओं की पुनरीक्षित लागत 776 करोड़ 59 लाख से बढ़कर 1हजार 42 करोड़ 34 लाख हो गई।
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इंदौर में 6 हजार 568 योजनाओं की लागत 1 हजार 897 करोड़ 8 लाख से बढ़कर 2 हजार 361 करोड़ 31 लाख हो गई।
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ग्वालियर में 5 हजार 447 योजनाओं की लागत में 2 हजार 825 करोड़ 81 लाख का इजाफा हुआ।
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जबलपुर क्षेत्र में 9 हजार 789 योजनाओं की लागत 2 हजार 548 करोड़ 32 लाख से बढ़कर 4 हजार 163 करोड़ 98 लाख हो गई।
इस लागत वृद्धि (Cost Escalation) के कारण राज्य सरकार पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
एमपी डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने मांग की है कि जल जीवन मिशन के तहत तकनीकी स्वीकृति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। एसोसिएशन का कहना है कि केवल उपयंत्री और सहायक यंत्री को निशाना बनाना गलत है और यह अत्याचार को बढ़ावा देता है।
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