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मध्य प्रदेश की महिलाओं ने राज्य के सहकारी समितियों (PACS) के माध्यम से अपनी सफलता की शानदार कहानियां साझा की हैं। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में गुजरात के आणंद में सहकारी समितियों और डेयरी के विकास कार्यों का शुभारंभ करते हुए इन महिलाओं से संवाद किया। इस संवाद में न केवल महिलाओं की उपलब्धियां सुनाई गईं, बल्कि अमित शाह ने उन्हें और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाने की बात की।
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महिलाएं एमपी की अर्थव्यवस्था को दे रही मजबूती
एमपी की महिलाएं सहकारिता क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी से प्रदेश की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला रही हैं। खासकर, PACS (Primary Agricultural Cooperative Societies) की मदद से महिलाओं ने कृषि क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं।
रुचिका परमार की सफलता कहानी
धार जिले की रुचिका परमार, जो नौगांव PACS की प्रबंधक हैं, ने अपनी संस्था के माध्यम से एक सफल कृषि मॉडल प्रस्तुत किया है। उनकी संस्था में 2 हजार 508 सदस्य हैं। इसके जरिए हर साल 15 करोड़ रुपए का खाद और समर्थन मूल्य वितरण किया जाता है। रुचिका ने एक एकड़ अनुपयोगी भूमि पर मैरिज गार्डन खोलने का प्रस्ताव रखा है। इसे अमित शाह ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने रुचिका से कहा कि वे जिला सहकारी बैंक से लोन लेकर इस प्रोजेक्ट को साकार कर सकती हैं।
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सुदामा अछालिया का कृषि मॉडल
धार जिले की सुदामा अछालिया ने कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपनाया है। इससे मुनाफा 25% से बढ़कर 75% तक हो गया है। सुदामा ने मल्चिंग और ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल करते हुए टमाटर, मक्का और सोयाबीन की खेती में सफलता हासिल की। इस काम में सहकारी समितियों के जरिए बिना ब्याज के लोन उपलब्ध कराए गए हैं।
कुंवर सिंह का नेपियर घास मॉडल
रायसेन जिले के कुंवर सिंह ने 50 एकड़ में नेपियर घास उगाई है। इससे किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रुपए का मुनाफा हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने एक मशरूम कंपनी से टाईअप भी किया है, जो एक नई दिशा को दर्शाता है।
एमपी की महिलाओं ने सुनाई सक्सेज स्टोरी, इस खबर को पांच बुलेट प्वाइंट में समझिए...
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महिलाओं की सहकारी समितियों में सक्रिय भागीदारी: मध्य प्रदेश की महिलाएं सहकारी समितियों (PACS) के माध्यम से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं, खासकर कृषि क्षेत्र में।
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रुचिका परमार की सफलता: धार जिले की रुचिका परमार ने नौगांव PACS के माध्यम से कृषि मॉडल प्रस्तुत किया, जिससे 15 करोड़ रुपये का खाद और समर्थन मूल्य वितरण होता है।
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सुदामा अछालिया का कृषि मॉडल: सुदामा अछालिया ने आधुनिक कृषि तकनीकों से मुनाफा 25% से बढ़ाकर 75% तक किया, और सहकारी समितियों से बिना ब्याज के लोन प्राप्त किया।
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अमित शाह का PACS विस्तार: केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने PACS के विस्तार के लिए दो लाख नई समितियां बनाने की घोषणा की, जिससे कृषि उत्पादन और अनाज बिक्री में सुधार होगा।
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किसानों के लिए नई योजनाएं: PACS के माध्यम से किसानों को कम रेट पर उपकरण, नए व्यवसाय (जैसे मैरिज गार्डन) और जनऔषधि केंद्र जैसी सेवाएं प्राप्त हो सकती हैं।
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बनाई जाएंगी दो लाख नई PACS
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने महिलाओं से बातचीत करते हुए PACS के विस्तार के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि दो लाख नई PACS बनाई जाएंगी। इनसे कृषि उत्पादन और अनाज बिक्री में सुधार होगा। इसके अलावा, सहकारी विश्वविद्यालय और डेयरी से जुड़ी तीन नई समितियां भी बनाई जाएंगी। इससे सहकारी आंदोलन और मजबूत होगा।
जानें PACS क्या है...
पैक्स (PACS) का अर्थ है प्राथमिक कृषि ऋण समिति। यह एक सहकारी संगठन होता है जो किसानों को कृषि कार्य के लिए जरूरी ऋण, बीज, उर्वरक और अन्य सामग्रियां प्रदान करता है। इसकी मुख्य भूमिका किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त करना और कृषि क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना है।
किसानों के लिए नई योजनाएं
अमित शाह ने सुझाव दिया कि PACS को केवल खाद वितरण तक सीमित न रखें। उन्होंने कहा कि खाली भूमि का उपयोग कर नए व्यवसाय, जैसे मैरिज गार्डन, मशीन किराए पर देना, जनऔषधि केंद्र खोलना आदि, स्थापित किए जा सकते हैं। शाह ने यह भी बताया कि PACS के माध्यम से किसान कम रेट पर भी सब्सिडी पर उपकरण प्राप्त कर सकते हैं।
जनऔषधि केंद्र की सफलता
खरगोन के वीरेंद्र सिंह चौहान ने जनऔषधि केंद्र के माध्यम से 6 महीने में 8 लाख रुपए की बिक्री की जानकारी दी। इस केंद्र में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ी है और डॉक्टर भी इन दवाओं को लिखते हैं।
किसानों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म
शाह ने किसानों को सुझाव दिया कि वे अपनी उपज को भारत सरकार के ऐप के माध्यम से रजिस्टर करें। इससे उन्हें समर्थन मूल्य से अधिक कीमत मिल सकती है। इस प्रकार, किसानों को बाजार की दर पर अपनी उपज बेचने का अवसर मिलेगा।
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