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Photograph: (THESOOTR)
VARANASI. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी मंगलवार, 24 जून को राजनीति और प्रशासनिक संवाद का राष्ट्रीय केंद्र बन गया। यहां हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक ने इस शहर को विकास, सुरक्षा और सहयोग की नई धारा से जोड़ दिया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने की।
इस अवसर पर मध्यप्रदेश ( MP ) के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सहभागिता की। नीति आयोग, अंतरराज्यीय परिषद सचिवालय और विभिन्न मंत्रालयों के लगभग 120 वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
बैठक का फोकस साफ था राज्यों के बीच बेहतर समन्वय, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना और साझा विकास योजनाओं को तेजी देना। इस मौके पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को तेज करने, फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना, हर गांव तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने, प्राकृतिक आपदाओं के समय तुरंत राहत पहुंचाने और सहकारिता आंदोलन को जनभागीदारी से जोड़कर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाने जैसे गंभीर मुद्दों पर मंथन हुआ। शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी नियोजन, आपदा प्रबंधन और टूरिज्म जैसे विषयों पर विमर्श हुआ।
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कई मुद्दों पर हुआ मंथन
मध्यप्रदेश की ओर से मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के साथ मजबूत टीम बैठक में मौजूद रही। इसमें नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ कई बड़े अफसर शामिल रहे। छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में मुख्य सचिव के नेतृत्व में लगभग 30 वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद रहे।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर कहा, राज्यों के बीच समन्वय, विकास के विभिन्न आयाम, सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर केंद्रित यह बैठक प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में निर्णायक साबित होगी।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लिखा, बैठक में राज्यों के बीच समन्वय, सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन, आपदा प्रबंधन और अवसंरचना विकास जैसे विविध विषयों पर गहन और सार्थक चर्चा की गई, जो भविष्य की नीतियों को दिशा देगी।
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मध्यप्रदेश के अभियान की सराहना
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जल गंगा संवर्धन अभियान के लिए मध्यप्रदेश की सराहना की। अधिकारियों ने अपने प्रेजेंटेशन में दो अहम मांगें रखीं। बताया गया कि प्रदेश में 2018 से आयुष्मान योजना लागू है। इसमें गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज मिलता है। खर्च का 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी हिस्सा मध्य प्रदेश सरकार देती है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने हर परिवार के लिए सालाना खर्च की सीमा 1052 रुपए तय की थी, जो 2018 से अब तक नहीं बदली। लेकिन प्रदेश में 6 सालों में प्रति परिवार खर्च बढ़कर 1950 रुपए हो गया है, क्योंकि अच्छे इलाज पर ज्यादा खर्च हो रहा है। केंद्र सरकार ने 538 करोड़ रुपए कम दिए, जिससे राज्य सरकार को ज्यादा खर्च उठाना पड़ा। इसलिए प्रदेश ने NHA से खर्च की सीमा 1052 से बढ़ाकर 1950 रुपए करने की मांग की है।
वहीं, महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के अलग-अलग पोर्टल होने से बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी ट्रैक करने में दिक्कत होती है। इसके लिए ऐसा पोर्टल बनाने की जरूरत है, जो दोनों विभागों की जानकारी को एक साथ जोड़े।
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छत्तीसगढ़ के इन मुद्दों पर हुई चर्चा
वहीं, छत्तीसगढ़ ( CG ) के अधिकारियों ने राज्य वित्त आयोग के गठन और उसकी सिफारिशों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई, इसका प्रेजेंटेशन दिया। पंचायतों की अपनी आमदनी से जुड़े नियम बनाने पर चर्चा की गई। पंचायत स्तर पर लोगों को जरूरी सेवाएं ऑनलाइन देने की व्यवस्था पर बात हुई। स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करके वहां से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना में सामग्री की लागत बढ़ने से जुड़े मुद्दा पर लंबी बात हुई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना पर प्रेजेंटेशन दिया गया। खाद्य सुरक्षा से जुड़े मापदंडों पर सवाल किए गए। आयुष्मान भारत योजना से जुड़ी समस्याएं और सुझाव पर विमर्श किया गया।
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क्या है मध्य क्षेत्रीय परिषद
मध्य क्षेत्रीय परिषद भारतीय संविधान के तहत गठित पांच जोनल काउंसिल्स में से एक है, जिसकी स्थापना राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के अंतर्गत हुई थी। गृह मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री व अन्य वरिष्ठ सदस्य इसके प्रमुख स्तंभ होते हैं। यह परिषद संवैधानिक-संस्थागत मॉडल है, जो संघीय भारत को व्यवहारिक एकता में बदलने का यंत्र है।
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