MPPSC असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती लंबी उलझी, आयोग की याचिका खारिज, अब डबल बैंच में जाने का ही रास्ता, या दे दस साल की राहत

असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में लंबा कानूनी पेंच फंस गया है। अब यह कब होगी कोई भी कहने की स्थिति में नहीं है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने इस मामले में पीएससी द्वार लगाई गई रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया है।

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Pratibha Rana
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MPPSC Assistant professor recruitment exam

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संजय गुप्ता, INDORE. एमपीपीएससी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा ( MPPSC  Assistant professor recruitment exam ) में लंबा कानूनी पेंच फंस गया है। अब यह कब होगी कोई भी कहने की स्थिति में नहीं है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने इस मामले में पीएससी द्वारा लगाई गई रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया है और साफ कह दिया है कि वह खुद अपने आदेश को रिव्यू नहीं कर सकती है, आपके पास डबल बैंच में जाने का रास्ता है। 

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इस आदेश के क्या मायने

इस आदेश का मतलब है कि या तो आयोग को याचिकाकर्ता उम्मीदवारों को उम्र में दस साल की छूट सीमा देते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन कराने की विंड़ो खोलना होगी या फिर दूसरा विकल्प है कि वह मप्र शासन ( MPPSC ) से चर्चा कर इस मामले में डबल बैंच में जाए और फिर रिव्यू याचिका दायर करे। लेकिन यह दोनों ही प्रक्रिया में लंबा समय लगना तय है। 

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ग्वालियर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह हुआ

ग्वालियर हाईकोर्ट ने याचिका के आधार पर उम्मीदवार को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में दस साल की छूट देने की बात कहते हुए फार्म भराने के आदेश दिए थे। आयोग ने इसमें रिव्यू का आवेदन लगाया जिस पर सुनवाई हुई। इसके बाद आदेश जारी हुआ। याचिकाकर्ता का कहना था कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती विज्ञप्ति 30 दिसंबर 2022 को आई, अंतिम तारीख 19 मार्च 2023 थी। मप्र शासन ने 6 अक्टूबर 2023 को नोटिफिकेशन कर दस साल की छूट का प्रावधान रखा। इस मामले में  ग्वालियर हाईकोर्ट ने याचिका को सही माना। वहीं आयोग ने कहा था कि 11 जनवरी 2024 को जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि विज्ञप्ति पहले जारी थी और उम्र छूट सीमा बाद में थी, ऐसे में नोटिफिकेशन भूतलक्षी प्रभाव से नहीं आ सकता है। लेकिन वहीं याचिककर्ताओं के वकील ने बताया कि एक आदेश जबलपुर का इशके पहले 19 अक्टूबर 23 का भी था, जिसमें छूट मान्य की गई थी और इसमें रिव्यू में भी याचिका खारिज की गई थी। 

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इसके बाद हाईकोर्ट ने यह कहा

इन सभी पक्षों को सुनने के बाद ग्वालियर हाईकोर्ट ने कहा कि वह अपने स्तर पर इस आदेश को रिव्यू नहीं कर सकता है। साथ ही कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व अन्य केस के रिफरेंस देते हुए इस रिव्यू करने से इंकार करते हुए आयोग की सभी याचिकाएं निरस्त कर दी। 

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