MPPSC प्रोफेसर-असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में महिलाओं के साथ भेदभाव, लास्ट डेट दो हफ्ते बढ़ाने HC का आदेश

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में महिलाओं के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। हाईकोर्ट ने अंतिम तिथि दो सप्ताह बढ़ाने का आदेश दिया है। यह निर्णय महिलाओं के लिए राहत की खबर है।​

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Neel Tiwari
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Photograph: (the sootr)

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मध्य प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग (MPPSC) सहित राज्य सरकार के द्वारा भर्तियां तो निकाली जा रहीं हैं। लेकिन, लगातार उनमें सामने आ रही गड़बड़ियों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि मध्य प्रदेश की भर्तियों के परिणाम अब हाईकोर्ट के फैसलों पर ही निर्भर कर रहे हैं।

MPPSC के द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती प्रक्रिया में एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आ गई है। इसके पहले आयु सीमा में छूट न दिए जाने के मामलों के सामने आ चुके हैं। अब हाईकोर्ट में दो अलग अलग याचिका दायर कर यह बताया गया है कि इस भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं सहित शासकीय कर्मचारी के साथ भेदभाव करते हुए उन्हें आयु सीमा में सही छूट नहीं दी गई। 

एमपी सिविल सर्विसेज नियमों का हुआ उल्लंघन 

रीवा जिले के सिरमौर में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर रेखा सोनी ने जबलपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए प्रोफेसर भर्ती के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन 30.12.2024 को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोहित वर्मा ने कोर्ट को बताया कि 30 दिसंबर 2024 को जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार अन्य आरक्षित वर्गों के साथ ही महिलाओं को केवल 5 साल का एज रिलैक्सेशन दिया गया है। जो कि नियमों के विरुद्ध है। मोहित वर्मा ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश सिविल सर्विसेज स्पेशल प्रोविजन फॉर वूमेन अपॉइंटमेंट 1997 के क्लॉज़ 4 के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार के कार्य करने के लिए निकले गए किसी भी नोटिफिकेशन या सर्विस रूल में महिलाओं को अधिकतम आयु सीमा में 10 सालों की छूट देना आवश्यक है। लेकिन, प्रोफेसर भर्ती में ऐसा ना करते हुए उन्हें केवल 5 सालों की छूट दी गई। इसके साथ ही एक अन्य मामले में शासकीय कर्मचारी छोटेलाल अहिरवार ने आयु सीमा में 48 वर्ष तक शासकीय कर्मियों को छूट न दिए जाने के मामले में चुनौती दी थी।

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अधिकतम आयु सीमा को भी कर दिया कम

याचिकाकर्ता रेखा सोनी की ओर से अधिवक्ता मोहित वर्मा ने कोर्ट को साल 2017 के नोटिफिकेशन से साल 2024 के नोटिफिकेशन की तुलना करते हुए बताया कि पहले अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष हुआ करती थी, पर 30 दिसंबर 2024 को जारी किए गए नोटिफिकेशन में न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष कर दी गई। तो इस तरह से इन भर्ती नियमों में बदलाव करने से अभ्यर्थियों का दोहरा नुकसान हुआ है, क्योंकि एक ओर आयु सीमा में छूट दिए जाने पर 5 साल कम कर दिया और दूसरा अधिकतम आयु सीमा भी 5 साल कम कर दी गई। शासन की ओर से अधिवक्ता ने इस पर केवल एक आपत्ति जताई कि याचिकाकर्ताओं की ओर से जिन भर्ती नियमों के बारे में चर्चा की जा रही है उनकी प्रति अदालत में जमा नहीं की गई है। हालांकि सरकार की ओर से यह तथ्य कुछ काम नहीं आया। इसके साथ ही इसी मामले से जुड़ी हुई एक अन्य याचिका छोटेलाल अहिरवार के द्वारा दायर की गई थी जिसमें उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में शासकीय कर्मचारियों को 3 वर्ष की आयु सीमा में छूट न दिए जाने को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इन दोनों मामले में एक से ही आदेश जारी किए हैं।

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दो सप्ताह के लिए बढ़ी अंतिम तिथि, याचिकाकर्ता जैसे अन्य सभी को मिलेगा फायदा

इस मामले की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार को यह आदेश दिया है कि वह तीन हफ्तों के अंदर जवाब प्रस्तुत करें कि आखिर कैसे उन्होंने एमपी सिविल सर्विसेज नियमों के विरुद्ध जाते हुए महिलाओं के लिए आयु सीमा की छूट 10 साल से 5 साल कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता सहित सभी वह अभ्यर्थी जिनके मामले इन दो याचिकाकर्ताओं की तरह ही हैं और वह आवेदन करने से वंचित हुए हैं उनके आवेदन स्वीकार किए जाएं, हाईकोर्ट ने सरकार को यह आदेश दिया है कि इसके लिए एक शुद्धि पत्र जारी करें और आवेदन करने की अंतिम तिथि 26 मार्च 2023 से 2 हफ्ते के लिए बढ़ाई जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि इस भर्ती प्रक्रिया के परिणाम कोर्ट के आदेश के बिना जारी नहीं किया जा सकेंगे। तो अब शासकीय कर्मचारी जिन्हें आयु सीमा में छूट नहीं मिली थी और याचिकाकर्ता की जैसी ही महिला अभ्यर्थियों को आवेदन करने के लिए दो सप्ताह का और समय मिलने वाला है जिसके लिए संघ लोक सेवा आयोग जल्द ही शुद्धि पत्र जारी करेगा।

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