MPPSC के महाआंदोलन को एक साल पूरा, क्या मांगे थी और क्या वादे हुए, वाकई हाथ में क्या आया

मध्‍य प्रदेश के इंदौर में MPPSC महाआंदोलन 2024 को पूरे एक साल हो गए हैं। मुख्यमंत्री के आश्वासनों के बाद भी छात्रों की अधिकांश मांगें अधूरी हैं। पदों की संख्या और भर्ती सुधारों पर सरकार अब भी मौन है।

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Sanjay Gupta
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Indore: MPPSC को लेकर एक साल पहले 18 से 22 दिसंबर 2024 तक हजारों उम्मीदवारों का महाआंदोलन हुआ था। ठंड के बीच बिना डरे यह उम्मीदवार PSC दफ्तर के बाहर रजाई, चादर और दरी लेकर डटे रहे। नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के बैनर तले यह आंदोलन हुआ था।

आखिरकार रविवार की सुबह 22 दिसंबर को MPPSC महाआंदोलन 2024 खत्म हुआ। इसी दिन राधे जाट, रणजीत किनशवंशी, कुलदीप और अन्य का एक प्रतिनिधिमंडल भोपाल गया था। उन्हें सीएम डॉ. मोहन यादव से मिलवाया गया था। इस तरह उस वक्त कई वादे और इरादे भी हुए थे, लेकिन एक साल बाद अब उन वादों की क्या स्थिति है?

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क्या मुद्दे थे और क्या हुआ अभी तक

मांग 1- अधिक से अधिक पद हो 700 पद MPPSC राज्य सेवा परीक्षा के लिए आएं

क्या वादा- कोशिश की जाएगी अधिक से अधिक विभागों से डिमांड बुलाई जाए

क्या हुआ- आंदोलन खत्म होने के 8 दिन बाद आए विज्ञापन में केवल 158 पद ही आए

मांग 2- 87 फीसदी कैटेगरी के उम्मीदवारों को मैंस की कॉपियां दिखाई जाएं

क्या वादा- इस पर पीएससी बोर्ड की बैठक कर फैसला लिया जाएगा

क्या हुआ- मामला वहीं के वहीं, इस पर कोई चर्चा तक आयोग के भीतर नहीं हुई, शासन ने हाथ खड़े किए

मांग 3- इंटरव्यू प्रणाली में सुधार हो, पहचान उजागर नहीं हो, अंक कम हो

क्या वादा- पीएससी बोर्ड इस पर विचार करेगा

क्या हुआ- इसमें एक राहत मिली, उम्मीदवार के सरनेम, जाति आदि को छुपाया गया। यह बड़ा बदलाव देखने में आया। 

मांग 4- पीएससी में सुधार के लिए कमेटी बनेगी और इसमें छात्र प्रतिनिधि भी होगा, कमेटी सभी राज्य आयोगों के नियमों को देखेगा

क्या वादा- पीएससी बोर्ड देखेगा

क्या हुआ- कुछ नहीं। 

मांग 5- सरकार भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए पोर्टल बनाएगी और इसमें छात्रों से भी सुझाव लेंगे

क्या वादा- सरकार काम करेगी

क्या हुआ- पोर्टल तो नहीं बना, लेकिन सीएम डॉ. मोहन यादव भर्ती सिस्टम को सुधार की कई बार बात कह चुके हैं और यूपीएससी तर्ज पर सिंगल एग्जाम सिस्टम के लिए काम हो रहा है।

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आंदोलनकारियों के साथ बाद में क्या हुआ

भले ही उम्मीदवारों और आंदोलनकारियों को PSC दफ्तर के बाहर से हटाने के लिए वादे हुए और खुद सीएम ने मुलाकात कर आश्वासन मिला। लेकिन जब 31 दिसंबर 2024 को भर्ती (मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग) विज्ञापन आया तो राज्य सेवा परीक्षा 2025 के लिए महज 158 पद आए। 

इसके बाद एक नए आंदोलन की योजना फिर से बननी शुरू हो गई। इससे सरकार को जल्दी ही पता चल गया। एक जनवरी की सुबह सरकार ने आंदोलनकारी राधे जाट और रणजीत को उठा लिया। उन पर कई केस लगाए गए और जेल भेज दिया गया।

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बाद में हाईकोर्ट के आदेश से उन्हें जमानत मिल गई, लेकिन उन्हें बाउंडओवर किया गया ताकि वे फिर से आंदोलन न कर सकें। सरकार ने पीएससी के बाहर किसी और को भी इकट्ठा नहीं होने दिया।

बाद में यह बात सामने आई कि अगर 18 दिसंबर को ही आंदोलन रोक दिया गया होता तो इतना बवाल नहीं होता। क्योंकि इस बड़े आंदोलन को द सूत्र (The Source) ने खूब कवर किया था। फिर यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।

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