मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के बाहर चार दिन तक चले उम्मीदवारों के आंदोलन में अहम मांग थी कि 87 फीसदी वालों को कॉपी दिखाई जाए और मार्कशीट जारी की जाए। इस मांग पर अभी सहमति बनी है। हालांकि, अब हाईकोर्ट इंदौर का एक अहम आदेश आया है, जो बताता है कि नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के बैनर तले हुए आंदोलन की मांग सही और कानूनी थी।
हाईकोर्ट में हुआ क्या?
हाईकोर्ट में मेघनगर जिला झाबुआ के दिनेश साडिया ने एक याचिका लगाकर मांग की है कि उन्होंने असिस्टेंट प्रोफेसर 2022 में 4 अगस्त 2024 को परीक्षा दी। इसका रिजल्ट 14 नवंबर 2024 को आया लेकिन उन्हें अभी तक उनके अंक नहीं बताए गए हैं। इंदौर हाईकोर्ट ने इस मामले में पीएससी से जवाब मांगा, जिसमें पीएससी ने कहा कि इंटरव्यू की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है और जब तक यह पूरी नहीं हो जाती हम अंक नहीं बता सकते हैं।
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हाईकोर्ट ने नियम मांगा तो नहीं बता सका आयोग
इस मामले में हाईकोर्ट ने आयोग से पूछा कि ऐसा कोई लिखित नियम है क्या कि इंटरव्यू के पहले परीक्षा के अंक नहीं बताए जा सकते हैं। इस पर आयोग से कोई जवाब नहीं आया। इस पर हाईकोर्ट ने आयोग को साफ आदेश दिए कि वह इस परीक्षा का कैटेगरी वाइज पूरा रिजल्ट जारी करे। इस मामले में अब अगली सुनवाई 20 जनवरी 2025 को होगी।
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यहां तो चार साल से अंक नहीं बताए गए
आयोग असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती तो छोड़िए। इसमें वह कह रहा है कि इंटरव्यू के पहले अंक नहीं बता सकते, वह तो साल 2019, 2020, 2021 जिनकी भर्ती पूरी हो गई। साथ ही जिसकी और नौकरी लग गई यानी उन परीक्षाओं में भी चयनितों को छोड़कर बाकी के अंक नहीं बता रहा है। ना ही वह कॉपियां दिखा रहा है। यह सिलसिला साल 2019 की परीक्षा के बाद से ही चला आ रहा है। ऐसे में यह जवाब कि इंटरव्यू तक अंक नहीं बताते वह भी गलत ही है। हाईकोर्ट का आदेश बताता है कि युवाओं की मांग पूरी तरह जायज है और उन्हें उनकी कॉपियां देखने और अंक जानने का पूरा अधिकार है।
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