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मप्र लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2025 के लिए जहां मात्र 158 पद हैं। वहीं इस बार अभी तक के सबसे कम आवेदन मिले हैं। मात्र एक लाख 18 हजार। यह उम्मीदवार 16 फरवरी को राज्य सेवा प्री 2025 देंगे। कुल मिलाकर यह सरकार और पीएससी दोनों के लिए अलार्मिंग स्थिति है। सरकार मांग और प्रदर्शन के साथ ही रिक्त पद होने के बाद भी सही संख्या में भर्ती नहीं निकाल रही है, बीते साल 2024 में 110 पद तो अब केवल 158 पद निकाले गए हैं। राज्य वन सेवा 2025 तो हो ही नहीं क्योंकि विभाग ने रिक्त पद भेजे ही नहीं।
87 फीसदी में कॉपियां नहीं मिलना भी वजह
उधर पीएससी की कार्यशैली से नाराज होकर युवा लगातार इससे दूर हो रहे हैं। हर परीक्षा को लेकर कोई ना कोई शिकायत युवाओं की बनी हुई है। अभी तक 87 फीसदी वालों की कॉपियां नहीं दिखाई जा रही है और साल 2019 के बाद से ही केवल चयनित युवाओं को छोड़कर किसी युवा उम्मीदवार को नहीं पता कि उन्हें क्या अंक मिले हैं और कॉपियों में उन्हें किस तरस मार्किंग मिली है। जिससे वह अगली बार गलतियां सुधार कर सही कर सकें। ऐसे में दो-तीन मेन्स दे चुके युवा अब पीएससी से मोहभंग कर अन्य क्षेत्र में जा रहे हैं। साथ ही पीएससी में हो रही देरी के कारण युवा इंदौर व अन्य शहरों में रहकर मंहगी तैयारी नहीं कर पा रहे हैं और गरीबी के चलते भी इससे दूर हो रहे हैं।
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क्यों हुए कम आवेदन
- पहले राज्य सेवा और वन सेवा साथ होती थी लेकिन इस बार राज्य वन सेवा की तो भर्ती ही नहीं निकली। इसलिए उसके आवेदक कम हो गए।
- सबसे बड़ी वजह है लगातार कम होते पद, पीएससी में लगातार पद कम हो रहे हैं और यही सबसे अहम वजह है कि युवा अब यूपीएससी या फिर अन्य परीक्षाओं की ओर अधिक जा रहे हैं।
- लगातार पीएससी के साथ विवाद जुड़ रहे हैं। इसके चलते विश्वसनीयता का भी संकट आया है। ऐसे में युवा भरोसा नहीं कर पा रहे हैं कि वह मेहनत कर रहे हैं और फिर भी चयन नहीं हो रहा है।
- साथ ही 87-13 फीसदी का नासूर फार्मूला, जो 13 फीसदी रिजल्ट में आया, उसे नहीं पता उसका भविष्य क्या होगा, साल 2019 के चयनित वाले भी 13 फीसदी में अभी तक उलझे हैं और उन्हें नहीं पता कि वह चयनित है या नहीं।
- आवेदन के लिए इस बार 3 से 17 जनवरी तक यानी मात्र 15 दिन का ही समय मिला जो पहले एक माह मिलता था। कई आवेदक यह नहीं भर सके। द सूत्र ने इन आवेदकों की बात आयोग तक पहुंचाई थी और निवेदन भी किया था दो दिन की विंडो खोली जाए। लेकिन आयोग ने 16 फरवरी को ही परीक्षा तय होने की बात कहकर विंडो खोलने से मना कर दिया।
- कई आवेदक इसलिए आवेदन नहीं कर सके थे क्योंकि बीच में तहसीलदारों की हड़ताल के चलते ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट नहीं बन सके थे और कुछ ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया में समस्या के चलते उलझ गए थे। अंतिम दिन नौ हजार आवेदन हुए थे, जो 20 हजार से अधिक हो सकता था
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देखिए घटते पद और उससे ज्यादा कम होते उम्मीदवार
- साल 2019 में 571 पद- 3.66 लाख आवेदन
- साल 2020 में 260 पद- 3.44 लाख आवेदन
- साल 2021 में 290 पद- 3.54 लाख आवेदन
- साल 2022 में 457 पद- 2.75 लाख आवेदन
- साल 2023 में 229 पद- 2.32 लाख आवेदन
- साल 2024 में 110 पद- 1.84 लाख आवेदन
51 हजार ने तो दी ही नहीं
उधर राज्य सेवा परीक्षा 2024 में जहां सबसे कम पद और आवेदन थे। वहीं सबसे कम ने परीक्षा भी दी थी। इसमें 110 पद थे, वहीं 1.84 लाख ने आवेदन भरा था, लेकिन जब परीक्षा हुई तो केवल 1.34 लाख ही गए और 51 हजार ने तो परीक्षा ही नहीं दी।
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अन्य परीक्षाओं में भी नहीं जा रहे उम्मीदवार
पीएससी की अन्य परीक्षाओं में भी यही हाल है। 15 दिसंबर को हुई सेट में 1.21 लाख आवेदक थे लेकिन 42 फीसदी तो गए ही नहीं। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के दौरान औसतन 50 फीसदी ही परीक्षा देने गए।
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