मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) के विवादित फैसले अब राज्य सेवा परीक्षा 2019 के बाद 2023 देने वाले उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खेल रहा है। पीएससी 2023 को लेकर जिस तरह की जल्दबाजी की है, उससे आयोग और उन्हें विधिक सलाह देने वाले अधिवक्ता सभी पर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्यों उठ रहे सवाल?
दरअसल 11 से 16 मार्च 2024 को 229 पदों के लिए ली गई राज्य सेवा परीक्षा मेंस का रिजल्ट सात माह बाद भी जारी नहीं हुआ। कारण बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट में केस चल रहा है, इसलिए अभी होल्ड किया गया है। मजे की बात यह है कि हाईकोर्ट के जिस फैसले का हवाला दिया जा रहा है, वह फैसला मुख्य तौर पर तो राज्य वन सेवा 2023 पर अधिक लागू होता है, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर ना तो उस परीक्षा का प्री रिजल्ट रिवाइज्ड किया गया और न ही मेंस का रिजल्ट रोका गया। इसका रिजल्ट तो पीएससी दो सितंबर को ही जारी कर चुका है, जिसकी मेंस 140 पदों के लिए 30 जून को हुई थी।
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हाईकोर्ट का आदेश, राज्य वन सेवा पर था लागू
पीएससी 2023 प्री 17 दिसंबर को हुई और जनवरी 2024 में रिजल्ट आया। इसमें प्री के 6 सवालों को लेकर कई याचिकाकर्ता हाईकोर्ट गए। इस में सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र वन के दो सवाल हाईकोर्ट ने गलत माने, जिसके आधार पर याचिका लगाने वाले याचिकाकर्ताओं को पहले अंतरिम राहत दी। वहीं आपत्ति लगाने वालों और हाईकोर्ट आने वालों को मेंस में बैठने का आदेश मिला। इसके बाद मेंस हो जाने के बाद 16 मई को हाईकोर्ट ने अंतिम आदेश जारी किया। जिसमें हाईकोर्ट ने साफ कहा कि दो सवालों के जवाब गलत हैं और इनके आधार पर फिर से प्री का रिजल्ट रिवाइज्ड किया जाए, क्योंकि राज्य सेवा मेंस 2023 हो चुकी है। अभी राज्य वन सेवा नहीं हुई है, ऐसे में उसके प्री के रिजल्ट को रिवाइज्ड किया जाए।
16 मई को हाईकोर्ट के फैसले के अहम प्वाइंट
- यह फैसला केवल याचिकाकर्ताओं पर ही नहीं बल्कि सभी पर लागू होगा।
विलियम बैंटिक से जुड़ा प्रेस की स्वतंत्रता वाला सवाल ही गलत है, इसलिए इसे डिलीट माना जाएगा। (पीएससी का नियम है कि डिलीट प्रश्न के दो अंक सभी को मिलते हैं, यानी सभी प्री में शामिल उम्मीदवारों को यह अंक मिलेंगे) - वहीं एम्च्योर कबड्डी संघ का मुख्यलाय का सही जवाब जयपुर होगा, जबकि पीएससी ने दिल्ली माना था। हाईकोर्ट ने कहा कि जिन्होंने जयपुर आंसर दिया उन्हें दो अंक दिए जाएंगे और जिन्होंने दिल्ली या अन्य जवाब दिया उनके दो अंक काटे जाएंगे।
- राज्य सेवा परीक्षा मेंस 2023 हो चुकी है। इसलिए इसमें यही किया जा रहा है कि जिन याचिकाकर्तओं को (जो करीब 50 थे) मेंस में बैठने की अंतरिम राहत दी थी, उन्हें इन दो सवालों के अंक इसी आधार पर दिए जाएंगे। वह इसके बाद कटऑफ में आते हैं तो ही उनकी मेंस की कॉपियां जांची जाएं और आगे की प्रक्रिया में लिया जाए, नहीं तो वह फेल माने जाएंगे। (याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने कहा कि यह बात केवल याचिकाकर्ताओं के लिए कही गई है, जो अन्य सभी मेंस में शामिल थे, उनके लिए नहीं कही गई है, यानि वह इससे प्रभावित नहीं होंगे)
- राज्य वन सेवा 2023 की मेंस अभी नहीं हुई है वह 30 जून को होना है, इसलिए हाईकोर्ट ने साफ आदेश दिए कि इन दो प्रश्नों के नए सिरे से अंक देखते हुए फिर से प्री का रिजल्ट जारी कर आगे की प्रक्रिया की जाएगी।
पीएससी ने यह कदम उठाकर उलझाया
पीएससी ने हाईकोर्ट के इन सारे आदेश को बायपास करते हुए सीधे डबल बैंच में याचिका लगा दी और तत्काल स्टे ले लिया। इसमें से एक भी बिंदु का पालन आयोग ने नहीं किया। अब इस मामले में फिर से सुनवाई शुरू हुई है और पीएससी कि रिट अपील 1232/2024 पर केस चल रहा है। इसमें दो बार सुनवाई टल चुकी है और अब केस 14 नवंबर 2024 को लिस्टेड हुआ है।
फिर राज्य वन सेवा मेंस क्यों किया जारी?
अब सवाल यह ही है कि जिस हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया जा रहा है, वह तो मूल रूप से बाद में राज्य वन सेवा 2023 पर लागू हो रहा था, क्योंकि रिजल्ट तो रिवाइज्ड प्री का इसी का होना था। हालांकि, आयोग ने वह नहीं किया और स्टे लिया, तो रिजल्ट तो मूल रूप से उसका ही रोका जाना चाहिए था। इस पर आयोग ने चुप्पी साध ली है।
दोनों पेपर से बनता है वन सेवा का रिजल्ट
पीएससी प्री में दो प्रशनपत्र होते हैं जिसमें पहले सामान्य अध्ययन का और दूसरा सी सेट कहलाता है। इसमें मैथ्स, हिंदी, गद्यांथ, लॉजिकल रिजनिंग आदि होते हैं। दोनों ही प्रश्नपत्र 200-200 अंकों के होते हैं। दोनों में 100-100 प्रश्न होते हैं। राज्य सेवा परीक्षा में मेरिट सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र पर बनती है और दूसरे सी सेट में केवल पासिंग मार्क लगते हैं। राज्य वन सेवा में दोनों के आधार पर मेरिट बनती है और उन्हें सामान्य अध्ययन में पासिंग मार्क अनिवार्य होते हैं।
ऐसे में साफ है कि पहले प्रश्नपत्र में दो सवालों को लेकर दिए हाईकोर्ट के फैसले का असर इसके रिजल्ट पर भी होता। दूसरी बात नहीं भी होता तो 16 मई को हाईकोर्ट का फैसला था और 30 जून को राज्य वन सेवा की मेंस थी। आयोग के पास पर्याप्त समय था कि वह राज्य वन सेवा के प्री के रिजल्ट को रिवाइज्ड करे लेकिन आयोग ने ऐसा करना बिल्कुल भी जरूरी नहीं समझा। वह सीधे चार दिन में ही हाईकोर्ट पहुंच गया और रिट अपील लगाकर स्टे लेकर पूरी राज्य सेवा परीक्षा 2023 को ही उलझाकर रखा दिया।
मेंस जल्द कराने से लेकर अभी तक विवादित फैसले
- राज्य सेवा 2023 की प्री 17 दिसंबर को हुई और फिर रिजल्ट जनवरी में जारी करने के बाद 50 दिन के भीतर 11 से 16 मार्च को ही मेंस करा ली गई।
- इसे लेकर खूब हंगामा मचा और दो रात तक उम्मीदवार पीएससी के दफ्तर के बाहर ही सोए, मांग थी कि मेंस की तारीख बढ़ाई जाए, लेकिन पीएससी ने इसकी मेंस नहीं बढ़ाई। साढे पांच हजार उम्मीदवारों ने रोते हुए आधी-अधूरी तैयारियों के साथ मेंस दी।
- इस दौरान आयोग का हवाला था कि परीक्षा सिस्टम शेड्यूल पर लाने के लिए सख्त फैसले जरूरी है।
- पीएससी खुद का सिस्टम फॉलो नहीं कर पाया, सात महीन में भी इसका रिजल्ट जारी नहीं कर पाया। पहले लगातार औपचारिक बयान दिए गए बस जल्द रिजल्ट आ रहा है और बाद में पलटी मार दी और कहा कि हाईकोर्ट में केस के चलते अभी नहीं आ सकते हैं।
क्या कोचिंग संचालक के आरोप सही?
सात दिन पहले ही एक कोचिंग संचालक ने ऑनलाइन कोचिंग में खुलकर कहा था कि रिजल्ट इसलिए रोके जा रहे हैं क्योंकि पैसे देकर पोस्ट लेने वाले उम्मीदवार आ गए होंगे। इंटरव्यू में 60 से 80 लाख रुपए चलते हैं। आठ डिप्टी कलेक्टर पोस्ट हैं, दो तो ऐसे ही जाती है, बाकी ईमानदारी से भरी जाती है। किस बोर्ड मेंबर के पास कितना पैसा जाएगा सब तय होता है? इस मामले के सामने आने के बाद पीएससी ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की, हालांकि इसे बेवजह के आरोप बताया। उधर कोचिंग वाले ने भी बाद में क्षमा मांग ली, लेकिन इस तरह के रिजल्ट अटकने के बाद बार-बार पीएससी सवालों के घेरे में खड़ा हो रहा है।
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