MPPSC मामले पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बिना कारण चयन प्रक्रिया खत्म नहीं की जा सकती

सुप्रीम कोर्ट ने एमपी-पीएससी को फटकार लगाते हुए बिना कारण चयन प्रक्रिया के दौरान पद समाप्त करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही 6 हफ्ते में नियुक्ति करने का आदेश दिया।

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Amresh Kushwaha
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MPPSC को SC की फटकार
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सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ( mppsc ) के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए फटकार लगाई। यह मामला 2021 का है, जब एमपी-पीएससी ने शासकीय और अर्ध-शासकीय कॉलेजों में सहायक प्राध्यापक (Assistant professor) के खाली पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया (Recruitment process) शुरू की थी।

आयोग ने विज्ञापन (Advertisement) जारी किया। परीक्षाएं भी आयोजित की गईं, लेकिन जब इंटरव्यू प्रक्रिया (Interview process) की बारी आई, तो बिना किसी ठोस कारण के नियुक्ति प्रक्रिया को रोक दिया गया और पदों को समाप्त कर दिया गया।

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जानें क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता अमीन खान ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें यह दावा किया गया कि mppsc ने बिना किसी ठोस कारण के पद समाप्त कर दिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आयोग ने High court में गलत जानकारी दी थी। एमपी-पीएससी ने कहा था कि गलती से विज्ञापन में इन पदों को खाली बताया गया था, जबकि वास्तविकता में ये पद खाली नहीं थे। इस मामले में पहले हाई कोर्ट ने भी एमपी-पीएससी के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि आयोग को विज्ञापन वापस लेने का अधिकार है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एमपी-पीएससी की इस दलील को खारिज कर दिया और उन्हें सख्त फटकार लगाई।

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया ( Sudhanshu Dhulia ) और जस्टिस ए. अमानुल्लाह ( A Amanullah )  की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि एमपी-पीएससी को चयन प्रक्रिया शुरू करने के बाद बिना किसी ठोस कारण के उसे समाप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी पद के लिए चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, तो उसे बिना ठोस कारण के समाप्त नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने एमपी-पीएससी को आदेश दिया कि वह सभी खाली पदों को भरने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करे। सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर परिणाम (Results) घोषित करने और भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की गलती आयोग की कार्यप्रणाली में गंभीर त्रुटि को दर्शाती है, जिसे सुधारने की जरूरत है।

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