निगम की रिमूवल टीम को निगमायुक्त ने आर्मी की वर्दी पहनाई, इसमें तीन माह की सजा 500 रुपए अर्थदंड सजा

गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं कि जो लोग भी अनाधिकृत तरीके से आर्म्ड फोर्स (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) की वर्दी या उसके जैसी दिखने वाली यूनिफॉर्म पहनते हैं, उन्हें आईपीसी की धारा-140 और 171 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। 

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Pratibha ranaa
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संजय गुप्ता, INDORE. नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) के प्रयोग ने विवाद खड़ा कर दिया है। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने निगम की रिमूवल गैंग को विवादों से बचाने के लिए आर्मी की वर्दी पहनने का ड्रेस कोड लागू कर दिया। लेकिन आर्मी एक्ट के तहत यह अपराध है। यह काम्बेट यूनिफार्म कहलाती है, जिसका तीसरे व्यक्ति द्वारा पहनना अपराध माना जाता है। पुलिस की खाकी वर्दी हो या आर्मी की, कोई भी तीसरा व्यक्ति इसे नहीं पहन सकता है। 

यह है नियम

धारा-140 और 171 के तहत दर्ज किया जा सकता है केस

गृह मंत्रालय ने इस संबंध में सभी राज्यों के सेक्रेटरी को निर्देश दिए हैं कि जो लोग भी अनाधिकृत तरीके से आर्म्ड फोर्स (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) की वर्दी या उसके जैसी दिखने वाली यूनिफॉर्म पहनते हैं, उन्हें आईपीसी की धारा-140 और 171 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। 

500 रुपए का जुर्माना हो सकता है, तीन माह की सजा

आईपीसी की धारा-140 के मुताबिक, अगर कोई यह दिखाने के लिए कि वह आर्म्ड फोर्सेस का हिस्सा है और आर्मी, नेवी या एयरफोर्स की तरह दिखने वाले कपड़े पहनता है या प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल करता है तो उसे अधिकतम तीन महीने तक की जेल और 500 रुपए का जुर्माना हो सकता है। 

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पुलिस ने कोविड में पहनी थी, पीएचक्यू से आई थी आपत्ति

कोविड के समय इंदौर में पुलिस अधिकारियों ने इसी तरह की आर्मी वर्दी पहनना शुरू किया था। लेकिन दस दिन में आर्मी ने इस पर आपत्ति ले ली और पीएचक्यू को पत्र लिख दिया। इस आपत्ति के बाद पुलिस ने तत्काल इसके पहनने से रोक लगा दी। आर्मी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि आर्मी की तरफ से लोगों को आर्मी वर्दी जैसे कपड़े न पहने का ऑर्डर नहीं निकाला गया है, क्योंकि आर्मी सिर्फ अपनी फोर्स के लिए ही ऑर्डर निकाल सकती है। कई बार अपील जरूर की गई है। बाकी नियम है। 

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यह वर्दी कीमोफ्लाइज काम के लिए है केवल बालाघाट में पहन सकते हैं

यह वर्दी कीमोफ्लाइज के कारण अपनाई गई है। इसका मतलब है कि आर्मी को जंगल में ऑपरेशन करने होते हैं और इस दौरान जंगलों में पेड़-पौधों के रंग में यह जवान को छिपा ले इसलिए ऐसी वर्दी रखी गई है। (जिस तरह गिरगिट रंग बदलकर खुद को बचाता है)। इसलिए यह ड्रेस कोड लिया गया था। पुलिस को यह वर्दी मप्र में केवल बालाघाट नक्सली एरिया में पहनने की मंजूरी है, क्योंकि वहां पुलिस को इस तरह के ऑपरेशन करने होते हैं। 

कौन पहनते हैं इस तरह की वर्दी

इस तरह की वर्दी क्विक रिस्पांस टीम और पैरामिलिट्री वाले भी पहनते हैं। एक्ट के तहत उन्हें मंजूरी है। लेकिन यह और पुलिस की वर्दी किसी भी अन्य के द्वारा पहनने पर एक्ट के तहत ही रोक लगी हुई है। 

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क्यों किया निगमायुक्त ने यह

निगमायुक्त शिवम वर्मी की मंशा है कि आर्मी वर्दी होने से रिमूवल गैंग के समय अनावश्यक विवादों से बचा जा सकता है और गैंग को भी सुरक्षा मिलेगी। लेकिन सवाल दूसरा है कि निगम की टीम पर लगातार पीली गैंग बोलकर आलोचना होती है। कई बार निगम की टीम पर आपत्तिजनक व्यवहार करने, वसूली करने के आरोप लगे हैं। अतिक्रमण हटाने के नाम पर कई बार गलत व्यवहार होता है। वहीं टीम के आज ही सामने आए आर्मी वर्दी पहने वीडियो में कुछ लोग गुटखा खाते दिख रहे हैं। यानि आर्मी की वार्दी की इज्जत यह रखेंगे इसमें पूरी तरह से आशंका है। इस वर्दी को पहनना ही गलत है और यदि पहनकर कुछ गलत काम करते यह पाए जाते हैं तो फिर और वर्दी पर दाग लगेगा।

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