नगर निगम बिल घोटाले से 10 साल में 50 करोड़ कमा चुका राठौर, कमाई का 60 फीसदी हिस्सा उसी का

राहुल और रेणु वढेरा की जमानत याचिका के दौरान जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए इसमें सभी की भूमिका भी लिखी गई है। इसमें लिखा है कि यह सभी ठेकेदार फर्जी फाइल बनाकर अभय को देते थे और वह फिर अपने लोगों के साथ मिलकर इस फाइल की भुगतान की पूरी व्यवस्था करता था। 

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Pratibha ranaa
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ABHAY RATHORE
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संजय गुप्ता, INDORE. नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले ( Municipal Corporation Bill ) के मामले में पुलिस ने कोर्ट में ऑन रिकार्ड जानकारी सामने रखी है। इसमें बताया गया है कि सभी फाइल अभय राठौर ही चलाता था और बिल राशि में उसका हिस्सा 60 फीसदी होता था। इस हिसाब से दस सालों में उसके पास 50 करोड़ रुपए केवल पांच फर्मी फर्म के भुगतान से ही पहुंचा है। निगम कमेटी की जांच में आया है कि दस साल में 188 फाइल है, जिसमें 155 संदिग्ध है और इसमें 81 करोड़ रुपए का भुगतान हो चुका है। इस हिसाब से 81 करोड़ का 60 फीसदी करीब 50 करोड़ रुपए होता है। राठौर को शुक्रवार ( Abhay Rathore ) देर रात यूपी के एटा से गिरफ्तार किया जा चुका है। ( Municipal Corporation Bill Scam )

सभी फर्जी राठौर के पास ही जाती थी

पुलिस ने गिरफ्तार ठेकेदार राहुल और रेणु वढेरा की जमानत याचिका के दौरान जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए, इसमें सभी की भूमिका भी लिखी गई है। इसमें साफ लिखा है कि यह सभी ठेकेदार फर्जी फाइल बनाकर इंजीनियर अभय राठौर को देते थे और वह फिर अपने लोगों के साथ मिलकर इस फाइल की भुगतान की पूरी व्यवस्था करता था। 

राठौर बनाता था मेजरमेंट बुक

यह भी जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि राठौर ही सभी फाइल की मेजरमेंट बुक (एमबी) बनाता था। बिल भुगतान के लिए यह काफी अहम होता है इसे बनाना भी कठिन काम है। इस बुक में किसी भी ठेके के काम के हर दिन का ब्यौरा, फोटो होते हैं और साथी इंजीनियर, ठेकेदार इनके हस्ताक्षर भी होते हैं, ताकि पता चले कि जिसका भुगतान होना है वह काम कितना हुआ है। 

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राहुल वढेरा फर्जी बिल बनाता, जाकिर फर्जी साइन कराता 

जांच रिपोर्ट यह भी है कि सबसे अहम रोल राहुल वढेरा, जाकिर और राठौर व उनकी गैंग का था। 

  - राहुल वढेरा अपनी राइटिंग से बिल, 6 पाइंट नोटशीट, कार्यपूर्णता प्रमाणपत्र बनाता था। मेजरमेंट बुक बनाने में भी उसकी भूमिका थी। 

-    सभी ठेकेदार फर्जी फाइल बनाकर राठौर को देते थे

-    राठौर इन फाइल को करीबी राजकुमार साल्वी (कैशियर था जो गिरफ्तार है) इसे देता था। बिल राशि में राठौर 60 फीसदी रखता था तो साल्वी का हिस्सा 15 फीसदी था।

-    फर्म की फर्जी फाइल का काम राठौर के साथ मिलकर सभी ठेकेदार राहुल, साजिग, जाकिर, सिद्दकी मिलकर करते थे।

-    इन फाइल को राठौर लिजेसी (निगम की ऑनलाइन पोर्टल प्रक्रिया) करने के लिए उदय उर्फ अंकुश भदौरिया को देता था। उदय और चेतन भदौरिया मिलकर लिजेसी करते थे। 

-    राहुल फर्जी बिल तैयार कर राठौर को देता था. बाद में राठौर मेजरमेंट बुक तैयार करता था। 

-    जाकिर इन फाइलों पर अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कराने का काम करता था। हालांकि पुलिस रिपोर्ट में यह नहीं लिखा है कि यह वह खुद करता था, किसी से कराता था या फिर अधिकारियों से ही साइन कराता था। 

-    रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सभी जगह एक ही हैंडराइटिंग से फाइल बनी है।

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राठौर ने अवैध कमाई कॉलेज संचालक के पास लगाई

राठौर ने निगम में घोटाले कर जो करोड़ों की ब्लैक मनी कमाई, उसे उसने जमीनों में लगाया। वहीं एक बड़े मेडिकल कॉलेज संचालक जो व्यापमं घोटाले में आरोपी भी रहे उसके कॉलेज में एक बड़ा हिस्सा लगाया गया है। उसने चतुराई रखते हुए अपना नाम कागज पर नहीं आने दिया है। क़ॉलेज में भी बेनामी मामला है। वहीं अपने लोगों को भी इस कमाई में उसने जोड़ा है जैसे कि जीजा राजेश चौहान को। उनके नाम पर चार 20-20 हजार लीटर के पानी के टैंकर चल रहे थे। चार इंच का अवैध नल कनेक्शन भी उनके घर पर करा रखा था, साथ ही अपने व जीजा के घर एक-एक इंच के भी अवैध नल कनेक्शन थे। इनके जरिए लगातार पानी की सप्लाय होती जिसे टैंकर में भरकर बेचा जाता है। दस सालों में वैध कनेक्शन होने पर भी 70 लाख का बिल बन जाता, लेकिन यह अवैध होने के साथ ही लगातार वाटर सप्लाय वाले थे, इसमें करोड़ों का बिल बनता है।

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