नगर निगम के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में निगम के पूर्व अधिकारियों को एक बड़ी राहत मिल गई है। करीब 22 फाइलों की हस्ताक्षर नमूना जांच रिपोर्ट आ गई है और इसमें अधिकारियों के असली साइन नहीं मिले हैं, यानि यह फर्जी साइन ही थे। नगर निगम फर्जी बिल...
यह बोले डीसीपी पंकज पांडे
डीसीपी पंकज पांडे ने 'द सूत्र' से चर्चा में साफ किया कि अभी 22 फाइल की जांच रिपोर्ट आई है। इसमें ठेकेदार राहुल वढेरा और जाकिर के ही हस्ताक्षर का मिलान पाया गया है। अधिकारियों के हस्ताक्षर इसमें साबित नहीं हुए हैं।
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इससे सोनी, गुप्ता को सबसे ज्यादा राहत
उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट से मुख्य तौर पर तत्कालीन अपर आयुक्त संदीप सोनी और ड्रेनेज विभाग के इंजीनियर सुनील गुप्ता (जो वीआरएस का आवेदन दे चुके हैं) को सबसे अधिक राहत मिली है। क्योंकि सबसे ज्यादा आरोप इन्हीं पर विरोधियों द्वारा लगाए जा रहे थे। फर्जी फाइल में बिल मंजूर करने से लेकर अन्य काम की मंजूरी में फाइल में इनके हस्ताक्षर किए गए थे, जो अब साबित हो गया है कि यह ठेकेदारों द्वारा ही किए गए थे।
अभी दूसरी 26 फाइल की रिपोर्ट आना बाकी
डीसीपी पांडे ने बताया कि 48 फाइल के हस्ताक्षर नमूना जांच के लिए गए थे, अभी बाकी फाइल की रिपोर्ट आना बाकी है। इसके बाद ही आगे और कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इन फाइल में इंजीनियर अभय राठौर के साथ ही अन्य अधिकारियों के भी हस्ताक्षर थे। ऐसे में यह भी है कि जेल में बंद राठौर को भी इस रिपोर्ट से राहत मिल सकती है, क्योंकि अब उनके पास भी कहने को होगा कि मेरे हस्ताक्षर भी फर्जी हुए हैं। हालांकि गिरफ्तार ठेकेदारों द्वारा दिए गए सबूत से कि यह सांठगांठ राठौर के साथ मिलकर की थी, उससे अभी भी उन्हें पूरी राहत मिलेगी इसमें संशय रहेगा। उनके खिलाफ पुलिस के पास सांठगांठ के कई सारे दस्तावेज, साक्ष्य मौजूद है।