मध्य प्रदेश के दतिया जिले से बड़ी खबर आई है। यहां हुसना ( Husna ) नाम की 60 वर्षीय महिला ने मुस्लिम पर्सनल लॉ 1937 (शरिया) को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मुस्लिम महिला ने कोर्ट से इस एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है। साथ ही पिता की संपत्ति में बेटी को बेटे के बराबर हिस्सा देने की भी मांग की गई है।
याचिका में हुसना ने कहा है कि संविधान में समानता का अधिकार होने के बावजूद शरिया में बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में तय की है।
राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया
हुसना ने कोर्ट को बताया कि उसके पिता की मौत के बाद भाई मजीद और रईस खान ने राजस्व रिकॉर्ड ( Revenue Records ) में अपना नाम दर्ज करवा लिया। 2019 में उसने नजूल कार्यालय से अपने भाइयों के बराबर जमीन अपने नाम (1/3 हिस्सा) दर्ज करने के लिए कहा। नजूल अधिकारी ने हुसना के पक्ष में फैसला सुनाया।
भाइयों ने इस आदेश के खिलाफ अपील की, जिसे दतिया कलेक्टर ने खारिज कर दिया। अपील एडिशनल कमिश्नर ( Additional Commissioner ) के समक्ष की गई। उन्होंने शरिया कानून के अनुसार बहन को भाई के मुकाबले आधा हिस्सा देने का आदेश दिया।
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शरिया कानून पर सवाल
एडवोकेट प्रतीप विसोरिया ( Advocate Pratip Visoria ) के अनुसार याचिका में तर्क दिया गया है कि शरिया कानून अरब देशों में बना था। यह भारत में रहने वाले मुसलमानों पर क्यों लागू है? आजादी के बाद संविधान की मंशा के अनुसार शरिया एक्ट ( Sharia Act ) में बदलाव किए जाने चाहिए थे, जो नहीं किया गया।
याचिका में कुरान का हवाला देते हुए संपत्ति के बंटवारे का भी जिक्र किया गया है। आजादी के बाद हिंदुओं के लिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम-1956 बनाया गया, जबकि मुसलमानों के लिए कोई नया कानून नहीं बनाया गया।
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