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BHOPAL. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मूल्यांकन में अनियमितता की जांच की मांग की है। इसे लेकर परिषद ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) को एक पत्र लिखा है।
वहीं, परिषद ने मूल्यांकन के दूसरे चरण पर सवाल भी उठाए हैं। वहीं जब द सूत्र ने इस मामले में RGPV के रजिस्ट्रार से बात की तो उन्होंने इसे पूर्व अधिकारी की गलती बताई है।
मूल्यांकन प्रक्रिया में हुई चूक
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने NAAC को भेजे गए पत्र में मूल्यांकन प्रक्रिया में हुई चूक का जिक्र किया है। पहले चरण के मूल्यांकन में आरजीपीवी को NAAC से A ग्रेड मिला था। यह ग्रेड 8 जून 2022 तक वैध था।
NAAC के रिवाइज्ड यूनिवर्सिटी मैन्युअल 2020 के अनुसार, दूसरे चरण के लिए आखिरी छह महीनों में IIQA रिपोर्ट (संस्थागत सूचना गुणवत्ता) जमा करनी थी। वहीं, स्वीकृति मिलने पर 45 दिनों में SSR अपलोड करना था।
दो साल बाद जमा की गई रिपोर्ट
ABVP ने कहा कि आरजीपीवी (RGPV) ने लगातार अनियमितताओं के मामलों में घिरे रहने के बावजूद इसमें गंभीरता नहीं दिखाई। संस्थागत सूचना गुणवत्ता रिपोर्ट (IIQA) की स्वीकृति मिलने के बाद भी इसे जमा नहीं कराया गया।
विश्वविद्यालय ने पोर्टल पर इस SSR को नवंबर 2024 में अपलोड किया था। इसका मतलब यह हुआ कि पाबंदी के बावजूद SSR दो साल बाद अपलोड किया गया था। यह मूल्यांकन प्रक्रिया में आरजीपीवी की एक बड़ी चूक है।
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मूल्यांकन प्रक्रिया में आरजीपीवी की लापरवाही पर एक नजर...
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ABVP ने NAAC से की जांच की मांग
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री केतन चतुर्वेदी ने NAAC निदेशक को पत्र लिखा है। उन्होंने मूल्यांकन प्रक्रिया और आरजीपीवी की लापरवाही की जांच की मांग की। यह मांग केंद्रीय शिकायत प्रबंधन समिति (CCMC) से की गई है।
साथ ही, यह सवाल उठाया है कि क्या आरजीपीवी ने नियमों की अनदेखी की है? यदि ऐसा है, तो पूरी प्रक्रिया की जांच करना जरूरी है। SSR में देरी के कारण, जो डेटा दिया गया, वह या तो 2017-2022 का था या 2024 के बाद का था। मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इसका रिव्यू कराया जाना चाहिए।
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पूर्व के अधिकारी जिम्मेदार- रजिस्ट्रार
RGPV भोपाल के रजिस्ट्रार मोहन सेन ने बताया कि NAAC के मूल्यांकन से पहले SSR रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन पर अपलोड करना जरूरी होता है। ये एक बहुत ही डिटेल रिपोर्ट होती है। पहले जिनके पास यह जिम्मेदारी थी, उनसे थोड़ी चूक हो गई थी। इस बारे में NAAC ने भी रिमाइंडर भेजा था। अब इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है ताकि कोई भी भ्रम न रहे।
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