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narendra-singh-saluja Photograph: (narendra-singh-saluja)
नरेन्द्र सिंह सलूजा मध्यप्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण और चर्चित नाम बन चुके थे। उनकी राजनीतिक यात्रा में पार्टी परिवर्तन, बयानों में बदलाव और विचारधारा की उलटफेर ने उन्हें राज्य की राजनीति में एक अलग पहचान दी है। पहले कांग्रेस के प्रवक्ता के रूप में और बाद में बीजेपी में शामिल होने के बाद, सलूजा ने दोनों ही दलों के खिलाफ तीखी बयानबाजी की। उनके बयानों ने हमेशा सुर्खियां बटोरी हैं, जो उनके राजनीतिक विचारों और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
सलूजा की बयानबाजी से हुआ था बीजेपी को नुकसान
नरेन्द्र सिंह सलूजा, कांग्रेस के प्रवक्ता होकर अपनी तेजतर्रार और आक्रामक बयानबाजी के लिए प्रसिद्ध थे। सलूजा ने जब बीजेपी के खिलाफ आरोप लगाए, तो पार्टी की छवि को भारी नुकसान हुआ। उन्होंने बीजेपी की नीतियों, विकास की गति और किसानों के मुद्दों को लेकर लगातार कड़ी आलोचना की। इससे बीजेपी के लिए राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था। इससे पार्टी को लगा कि इस पर काबू पाने के लिए किसी मजबूत और अनुभवी नेता की जरूरत है।
शिवराज सिंह चौहान का कुशल नेतृत्व
नरेंद्र सलूजा ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जनता के बीच सहजता से उपलब्ध होते हैं, वीडी शर्मा में कुशल संगठन क्षमता है। इसी से प्रभावित होकर मैं बीजेपी में शामिल हो रहा हूं। मैं ऐसे व्यक्ति के साथ नहीं रह सकता, जिस पर मेरे धर्म के लोगों की हत्या का आरोप हो। रॉ अफसर की जो किताब है, जिसमें कमलनाथ पर आरोप लगाए हैं। ऐसे में मैं उनके साथ नहीं रह सकता। ऐसे नेता और पार्टी को ठोकर मारकर मैं बीजेपी में शामिल हो रहा हूं। शिवराज जी का धन्यवाद कि उन्होंने मुझ जैसे कार्यकर्ता को अपनी पार्टी में स्थान दिया। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जैसे पूर्व में ईमानदारी से राजनीति करता हूं, शिवराज जी के नेतृत्व में भी वैसी ही ईमानदारी से राजनीति करता रहूंगा।
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कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में नरेन्द्र सिंह सलूजा
नरेन्द्र सिंह सलूजा का राजनीतिक जीवन 2000 के दशक के अंत में तेजी से उभरने लगा था। जब वे कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता बने, तो उन्होंने अपनी तेजतर्रार बयानों से पार्टी का पक्ष मजबूती से रखा। कांग्रेस के प्रवक्ता के रूप में सलूजा ने बीजेपी और उसकी सरकार के खिलाफ लगातार हमले किए। उनका कहना था कि बीजेपी ने मध्यप्रदेश में विकास को सिर्फ कागजों तक सीमित रखा है। कांग्रेस सरकार की योजनाओं को उन्होंने जनता तक पहुंचाने का काम किया और बीजेपी की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया। उनके शब्दों में कड़ाई और तीखापन था, जो विपक्षी दलों के लिए चुनौती बन गया।
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कांग्रेस के खिलाफ उनके प्रमुख बयान...
- कांग्रेस की गुटबाजी: सलूजा ने कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी को लेकर कई बार बयान दिए। उनका कहना था कि कांग्रेस अब उस पुराने आदर्शों पर नहीं चल रही, जिनका दावा पार्टी किया करती थी।
- विकास की नाकामी: सलूजा का यह भी कहना था कि कांग्रेस की सरकारों में राज्य में कोई विकास नहीं हुआ।
- कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल: सलूजा ने कांग्रेस के नेतृत्व पर भी गंभीर सवाल उठाए, उनका कहना था कि कांग्रेस का नेतृत्व अब पुराना और अप्रभावी हो चुका है।
बीजेपी में नरेन्द्र सिंह सलूजा का प्रवेश
राजनीति के इस ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर सलूजा ने एक बड़ा कदम उठाया जब वे कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए। यह फैसला न केवल उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, बल्कि उनके आलोचकों और समर्थकों के बीच भी हलचल मचा दी थी। बीजेपी में शामिल होने के बाद सलूजा की बयानबाजी का रुख पूरी तरह से बदल गया। कांग्रेस को निशाने पर रखते हुए उन्होंने तीखे आरोप लगाए।
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बीजेपी में सलूजा के प्रमुख बयान...
- कांग्रेस का 'झूठा वादा: सलूजा ने कांग्रेस को एक बार "झूठे वादों वाली पार्टी" कहा और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा जनता को विकास और रोजगार के नाम पर झूठे वादे किए हैं।
- कांग्रेस का 'परिवारवाद: बीजेपी में शामिल होने के बाद, सलूजा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह पार्टी केवल परिवारवाद पर आधारित है।
- कांग्रेस की भ्रष्टाचार पर चुप्पी: उन्होंने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी भ्रष्टाचार के मामलों पर चुप्पी साधे रखती है।
नरेन्द्र सिंह सलूजा का कद
नरेन्द्र सिंह सलूजा की राजनीतिक यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उनके बयानबाजी ने उन्हें एक शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। उन्होंने दोनों प्रमुख पार्टियों के खिलाफ बयानबाजी की है, जो दर्शाता है कि वे किसी भी पार्टी के लिए अपनी निष्ठा को पूरी तरह से प्रतिबद्ध नहीं रखते। उनकी आलोचनाओं और समर्थन में बदलाव, राजनीति की वास्तविकता और चुनावी रणनीतियों के बारे में भी सोचने पर मजबूर करते हैं।
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निष्कर्ष
नरेन्द्र सिंह सलूजा एक तेजतर्रार नेता थे, जिन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी जगह बनाई थी। कांग्रेस से बीजेपी में उनका परिवर्तन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना थी, जिसने उनके व्यक्तित्व और रणनीतिक दृष्टिकोण को उजागर किया। उनके बयान हमेशा चर्चाओं में रहते थे और वे किसी भी स्थिति में अपने विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने से पीछे नहीं हटते। उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि राजनीति में स्थिरता की कोई गारंटी नहीं है और हर नेता अपने समय और परिस्थितियों के अनुसार अपने दृष्टिकोण को बदल सकता है।