मध्य प्रदेश में मुर्गी का नाम नर्मदा रखने पर विवाद, ब्राह्मण समाज ने बताया सनातन धर्म का अपमान

मध्य प्रदेश के हरदा जिले में एक वेटरनरी कॉलेज के विज्ञापन को लेकर बवाल मच गया है। इस विज्ञापन में नर्मदा निधि नाम की मुर्गी पर आपत्ति जताई जा रही है।

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Amresh Kushwaha
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मध्य प्रदेश के हरदा जिले में एक अनोखा विवाद सामने आया है। यह एक प्राइवेट वेटरनरी कॉलेज ने मुर्गी की प्रजाति का नाम 'नर्मदा निधि' (Narmada Nidhi) रखा। इस नाम को लेकर क्षेत्रीय ब्राह्मण समाज और नर्मदा भक्तों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि मां नर्मदा सिर्फ एक नदी नहीं, बल्कि वे क्षेत्र के लोगों की आराध्य देवी हैं। ऐसे में मुर्गी के नाम में नर्मदा का उपयोग उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करता है।

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जानें क्या है पूरा विवाद?

हरदा जिले के एक प्राइवेट वेटरनरी कॉलेज के जरिए जारी किए गए विज्ञापन में नर्मदा निधि नामक मुर्गी की प्रजाति का उल्लेख किया गया था। इसके अलावा सोनाली (Sonali) नामक एक और प्रजाति का भी जिक्र था। लेकिन नर्मदा निधि के नाम ने सनातनी समुदाय के बीच भारी नाराजगी का कारण बना। नार्मदीय ब्राह्मण समाज, जो खुद को मां नर्मदा का मानस पुत्र मानते हैं, इस नाम को किसी पक्षी से जोड़ने को अनुचित मानते हैं।

जानें क्या है नर्मदा की धार्मिक महत्ता

मां नर्मदा केवल एक नदी नहीं हैं, उन्हें हिंदू धर्म में एक जीवनदायिनी और देवी के रूप में पूजा जाता है। नर्मदा के दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह नदी भारतीय धार्मिक आस्थाओं का एक अभिन्न हिस्सा है। हरदा जिले में इस नदी का विशेष महत्व है, और इसलिए इस नाम को लेकर किसी भी प्रकार का विवाद उस क्षेत्र के निवासियों के लिए भावनात्मक रूप से संवेदनशील हो सकता है।

नर्मदा मुर्गी विवाद को पांच प्वाइंट में समझें...

  • हरदा जिले के एक प्राइवेट वेटरनरी कॉलेज ने मुर्गी की प्रजाति का नाम 'नर्मदा निधि' रखा, जिससे क्षेत्रीय ब्राह्मण समाज और नर्मदा भक्तों ने विरोध जताया।

  • ब्राह्मण समाज का कहना है कि नर्मदा केवल एक नदी नहीं, बल्कि एक देवी हैं, और मुर्गी के नाम में नर्मदा का उपयोग धार्मिक भावनाओं को आहत करता है।

  • नर्मदा की धार्मिक महत्ता को लेकर यह विवाद ज्यादा संवेदनशील हो गया, क्योंकि नर्मदा को हिंदू धर्म में जीवनदायिनी देवी माना जाता है।

  • ब्राह्मण समाज ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर नर्मदा निधि नाम बदलने की मांग की, यह नाम उनके लिए अपमानजनक है।

  • कॉलेज संचालक ने कहा कि यह नाम जबलपुर के एक मुर्गी पालन केंद्र से लिया गया था, और वे इस नामकरण में किसी प्रकार की गलती नहीं मानते।

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कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

नार्मदीय ब्राह्मण समाज का कहना है कि मां नर्मदा के नाम का उपयोग किसी मुर्गी की प्रजाति के लिए करना, उनके लिए अपमानजनक है। ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अशोक पाराशर ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए कलेक्टर संजीव कुमार नागू को ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कलेक्टर से मांग की है कि इस नाम को बदला जाए। उनका कहना था कि यह न केवल नर्मदा भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि यह संस्कृति और आस्था के खिलाफ भी है।

जबलपुर के सरकारी कॉलेज से मिला नाम

कॉलेज संचालक राजीव खरे ने इस विवाद का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने मुर्गी के नामकरण में किसी प्रकार की कोई गलती नहीं की। उनका कहना था कि नर्मदा निधि नाम को उन्होंने जबलपुर के एक मुर्गी पालन केंद्र से लिया था। यहां यह नाम पहले से मौजूद था। उनका कहना था कि यह नाम उनके जरिए नहीं, बल्कि जबलपुर के सरकारी कॉलेज के जरिए रखा गया था।

संबंधित विभाग से की जाएगी बात

संयुक्त कलेक्टर संजीव कुमार नागू ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है और कहा कि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है, तो संबंधित विभाग से बात की जाएगी।

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