नर्मदा तट पर अतिक्रमण: मंत्री ने त्रुटिपूर्ण बताया तो वन विभाग ने फिर जारी कर दिया वही आदेश

नर्मदा तट पर अतिक्रमण हटाने के अभियान के खिलाफ आदिवासी समुदाय का विरोध बढ़ गया है। मंत्री नागर सिंह चौहान ने वन विभाग के आदेश को त्रुटिपूर्ण बताया, जिससे आदिवासी और कांग्रेस सक्रिय हो गए। संशोधित आदेश में भी अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (thesootr)

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BHOPAL. नर्मदा तट के जंगलों को अतिक्रमणमुक्त करने की मुहिम का विरोध तेज हो गया है। आलीराजपुर विधायक और बीजेपी सरकार के मंत्री नागर सिंह चौहान ने वन विभाग के आदेश को त्रुटिपूर्ण बताया। इसके बाद अब नर्मदा पट्टी के गांवों में आदिवासी समुदाय में बैठकों का दौर चल पड़ा है।

वन विभाग के संशोधित आदेश में भी अतिक्रमण हटाने के निर्देशों ने आदिवासियों की नाराजगी को और बढ़ा दिया है। वहीं सरकार के इस विरोध में आदिवासी विकास परिषद और कांग्रेस भी ग्रामीणों के साथ आ गई है।

5 किमी के दायरे को कब्जा मुक्त कराना

सरकार द्वारा नर्मदा नदी को संरक्षित रखने प्रदेश में अविरल नर्मल नर्मदा अभियान चलाया जा रहा है। नदी तटों से मिट्टी के कटाव को रोकने, जल ग्रहण क्षेत्र और पर्यावरण को सहेजने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत नर्मदा के किनारों पर पौधरोपण जैसे कामों को वन समितियों के माध्यम से कराया जा रहा है।

वन विभाग द्वारा नदी के दोनों ओर 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित जंगलों को कब्जा मुक्त कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। यानी जंगलों से ऐसे निर्माण और बसाहटों को हटाया जाना है जो दिसम्बर 2005 के बाद अस्तित्व में आई हैं।

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एसीएस के आदेश पर वन विभाग का अमल

वन विभाग के एसीएस अशोक बर्णवाल ने 21 अगस्त 2025को पीसीसीएफ एवं वन बल प्रमुख के नाम पर आदेश जारी किया था। आदेश में नर्मदा तटों के जंगलों को अतिक्रमण करने का उल्लेख है। इसके लिए सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से दिसम्बर 2005 के बाद के कब्जों की पहचान कर उन्हें हटाया जाना है। जंगल में कब्जा कर बनाए गए भवनों को पुलिस और प्रशासन की मदद से हटाने निर्देशित किया गया है। एसीएस के आदेश पर अब वन विभाग ने अमल शुरू कर दिया है। 

आदिवासी समुदाय लगातार कर रहा विरोध 

आलीराजपुर डीएफओ मयंक सिंह ने 28 अगस्त को एसीएस के आदेश के संदर्भ में उमराली और मथवाड़ के परिक्षेत्र अधिकारियों को सिमलानी, ककराना, झंडाना, सुगठ, सकरजा, खोडम्बा, आकिड्या, जलसिंधी पंचायत के अंतर्गत वनभूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने के निर्देश दिए हैं।

टास्क फोर्स के सहयोग से वन भूमि को कब्जामुक्त करने की कार्रवाई को लेकर शुरूआत से ही आदिवासी समुदाय द्वारा विरोध किया जा रहा है। इसके चलते 7 नवम्बर को वन मुख्यालय द्वारा संशोधित आदेश भी जारी किया गया है। हांलाकि इस आदेश में केवल वन अधिकार पत्र के प्रकरण लंबित होने के मामलों में ही कार्रवाई से रियायत दी गई है। 

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बेदखली का आदेश त्रुटिपूर्ण है: विधायक 

वन भूमि से बेदखली को लेकर आलीराजपुर जिले में दर्जन भर गांव, मजरों और फलियों में आदिवासी समुदाय लामबंद हो गया है। उनके विरोध को देखते हुए सरकार के मंत्री और आलीराजपुर विधायक नागर सिंह चौहान ने मोबाइल पर वीडियो संदेश जारी किया है। इस वीडियो में उन्होंने भी वन भूमि से आदिवासियों की बेदखली के आदेश को त्रुटिपूर्ण बताया है। उन्होंने इस मामले में सीएम डॉ.मोहन यादव से चर्चा कर हस्तक्षेप करने और कार्रवाई रुकवाने का आश्वासन भी दिया है। 

सरकार-जनप्रतिनिधियों की बातों में अंतर: पटेल

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आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष महेश पटेल ने भी आदिवासी समुदाय के फलियों में पहुंच रहे हैं। दूसरे आदिवासी संगठन भी इस मामलें में सक्रिय हो गए हैं। महेश पटेल का कहना है सरकार आदिवासी समुदाय के विरोध में मुहिम चला रही है। उन्होंने नर्मदा तट की जमीनों को आदिवासियों से खाली कराते हुए अडानी- अंबानी को सौंपने की आशंका भी जताई है।

महेश पटेल का कहना है कि वन विभाग के पुराने आदेश को मंत्री नागर सिंह चौहान ने त्रुटिपूर्ण बताया था, लेकिन अब दूसरा आदेश जारी किया गया है उसमें भी आदिवासियों को अतिक्रमणकारी बताया गया है। इससे सरकार और जनप्रतिनिधियों की बातों में विरोधाभास स्थिति को उजागर कर रहा है। 

12 नवम्बर को आंदोलन का आव्हान

आलीराजपुर में नर्मदा तट के 5 किलोमीटर दायरे के जंगलों से कब्जे हटाने के अभियान के विरोध में कांग्रेस भी उतर आई है। कांग्रेस ने 12 नवम्बर को आलीराजपुर के डाबड़ी में आंदोलन का आव्हान किया है। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, कुक्षी विधायक सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, विधायक सेना महेश पटेल के अलावा आदिवासी संगठनों के कार्यकर्ता भी शामिल हो रहे हैं।

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