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नगर निगम की कुर्की कराने वाले रविशंकर मिश्रा के यहां 8 अप्रैल को की गई बदले की कार्रवाई पर एमआईसी मेंबर की रिपोर्ट बन गई है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने निगम कि इस बदलापुर कार्रवाई से नाराज होकर कहा था कि अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जांच के लिए एमआईसी मेंबर निरंजन सिंह चौहान, राजेश उदावत और नंदकिशोर पहाड़िया की तीन सदस्यीय कमेटी बना दी थी।
यह पाया कमेटी ने अपनी जांच में
द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार यह रिपोर्ट महापौर को सौंप दी गई है। इस रिपोर्ट में कई लोगों के बयान लिए गए हैं। इस रिपोर्ट में है कि इस मामले में कार्रवाई आदेश अपर आयुक्त आईएएस रोहित सिसोनिया का था। कार्रवाई करने में जोनल व बिल्डिंग अधिकारी पल्लवी पाल, फायर आफिसर विनोद मिश्रा के साथ अन्य अधिकारी भी थे।
इनके द्वारा की कार्रवाई तो सही है लेकिन यह नियमानुसार नहीं हुई और ना ही इसमें विधि सम्मत प्रक्रिया का पालन किया गया। यह कार्रवाई अचानक दबिश मारने जैसी थी। अधिकारियों को इसमें प्रक्रिया का पालन करते हुए नोटिस जारी कर फिर आगे कार्रवाई करना था, जो नहीं किया गया। इसके चलते पूरे मामले में शहर में निगम को लेकर गलत संदेश गया और इसे बदले की कार्रवाई के रूप में देखा गया।
अब आगे क्या होगा
बताया जा रहा है कि महापौर अब इस रिपोर्ट को एमआईसी में रखेंगे और वहीं इस मामले में आगे की कार्रवाई का फैसला लिया जाएगा। हालांकि महापौर कह रहे हैं कि रिपोर्ट में जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी।
इस तरह इंदौर नगर निगम बना था बदलापुर
साल 2016-17 में सड़क चौड़ीकरण में गणेशगंज में रहने वाले रविशंकर मिश्रा ने दो करोड़ के मुआवजे का केस कोर्ट में लगाया। इसमें चार अप्रैल को कोर्ट ने बजावरी आदेश जारी कर दिए। इस पर चार अप्रैल को जिस दिन निगम का बजट सत्र चल रहा था, कोर्ट के आदेश से टीम पहुंची और कुर्की कर दी। इससे निगम की जमकर भद पिट गई।
महापौर का फूटा गुस्सा
इसके बाद आनन-फानन में ही 8 अप्रैल को निगम कि टीम मिश्रा के भवन पर टूट पड़ी और फायर एनओसी नहीं होने व अन्य अनियमितताएं बताते हुए इसे सील कर दिया। इस कार्रवाई से और भद पिट गई और निगम को बदलापुर कहा जाने लगा। महापौर भार्गव अगले दिन दिल्ली से लौटकर सीधे मिश्रा के यहां गए और निगम की कार्रवाई पर जमकर गुस्सा निकाला और इसे सरासर अराजकता का नाम दिया और जांच के लिए कमेटी बना दी। उन्होंने कहा था कि निगम के अधिकारियों की गलती के कारण द्ववेषपूर्ण कार्रवाई की गई।
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बिना वैधानिक नोटसि दिए, किसी का पक्ष सुने ऐसे व्यक्ति पर कार्रवाई हुई जो वैधानिक तरीके से कोर्ट में अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। जिसने भी द्वेषपूर्ण तरीके से यह कार्रवाई की है, ऐसे अधिकारियों के खिलाफ, कर्मचारी नहीं अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। मंशा समझी जाएगी आखिर ऐसी कार्रवाई क्यों की गई। आम आदमी और नागरिक को ऐसे कोई परेशान करेगा तो कार्रवाई होगी।
5 आसान लाइन में समझिए पूरी खबर
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कोर्ट आदेश पर 4 अप्रैल को मिश्रा की संपत्ति कुर्क की गई थी।
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जवाब में 8 अप्रैल को निगम ने बिना नोटिस मिश्रा का भवन सील किया।
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महापौर ने नाराज़ होकर जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई।
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कमेटी ने पाया – कार्रवाई नियमों के खिलाफ और प्रक्रिया विहीन थी।
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महापौर ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है।
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NAGAR NIGAM | MP News