कमलेश सारडा @ नीमच
नीमच नगर पालिका ऑफिस में मंगलवार दोपहर एक बड़े विवाद का मामला सामने आया। नगर पालिका के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीएमओ) महेंद्र वशिष्ठ और सेवानिवृत्त कार्यालय अधीक्षक (ओएस) और वर्तमान में नगर पालिका अध्यक्ष स्वामी चोपड़ा के निजी सहायक राजेंद्र जैन के बीच तीखी बहस हो गई। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों के बीच गाली-गलौज और हाथापाई की नौबत आ गई।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे, नगर पालिका कार्यालय में राजेंद्र जैन ने कर्मचारियों से चाबी लेकर अलमारी से कुछ महत्वपूर्ण फाइलें निकालीं। यह देखने के बाद कि जैन फाइलों की फोटो खींच रहे हैं, सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ मौके पर पहुंचे और उनसे इस कार्रवाई पर सवाल किया। उन्होंने पूछा कि वे किस अधिकार से फाइलें देख रहे हैं। इसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस शुरू हो गई।
गाली-गलौज और हाथापाई की नौबत
बातचीत के दौरान बहस इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों के बीच गाली-गलौज शुरू हो गई। मामला तब और गंभीर हो गया जब हाथापाई की स्थिति उत्पन्न हो गई। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने दोनों को अलग किया। विवाद की सूचना मिलते ही नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि संतोष चोपड़ा और नेता प्रतिपक्ष योगेश प्रजापति सहित कई पार्षद मौके पर पहुंचे।
अध्यक्ष बोले फाइल देखने का अधिकार नहीं
नगर पालिका अध्यक्ष स्वामी चोपड़ा ने कहा कि किसी भी अधिकारी को बिना अनुमति फाइलों तक पहुंचने का अधिकार नहीं है। वहीं, सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ ने भी स्पष्ट किया कि कार्यालय में अनुशासन बनाए रखना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
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क्या कहता है नगर पालिका अधिनियम?
नगर पालिका अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो वर्तमान पदाधिकारी नहीं है, उसे सरकारी फाइलों तक पहुंचने का अधिकार नहीं होता। इस मामले में यह देखा जाना आवश्यक है कि क्या वास्तव में राजेंद्र जैन के पास ऐसा करने की अनुमति थी या नहीं।
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