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NEET-UG परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर इंदौर खंडपीठ ने सोमवार को अंधेरे में सुनवाई की। कोर्ट की सभी लाइटें बंद कर दीं, ताकि समझ सकें कि अंधेरे में छात्रों ने परीक्षा कैसे दी होगी। करीब 13 मिनट तक पूरी सुनवाई अंधेरे में हुई। इस दौरान न्यायाधीश ने कहा, हम देखना चाहते हैं कि अंधेरे में क्या काम करना संभव है।
अदालत ने कहा- अंधेरे में काम संभव है?
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुभोद अभ्यंकर ने कहा, “हम देखते हैं कि बिना लाइट के काम संभव है या नहीं। कोर्ट की लाइट बंद कर दी जाएं। इसके बाद कोर्ट रूम में 13 मिनट तक अंधेरा किया गया। अंधेरे में ही सुनवाई सुनवाई की गई। इस दौरान दोनों पक्षों ने कोर्ट में दलील दीं।
तुषार मेहता का तर्क – रिजल्ट घोषित हो चुका, टॉपर इंदौर से निकला
NTA की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 14 जून को परीक्षा का परिणाम जारी हो चुका है और इंदौर का छात्र टॉपर भी रहा है। उन्होंने कहा कि कई छात्र उत्तीर्ण हुए हैं, लिहाजा याचिका खारिज कर देनी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने उठाया सीसीटीवी चेक करने का मुद्दा
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि परीक्षा केंद्रों में कितने कमरे अंधेरे थे, यह सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से पता लगाया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कई केंद्रों में कैमरे लगाए ही नहीं गए थे।
मेहता का जवाब – लाइट जाने पर कैमरे भी बंद हुए
तुषार मेहता ने कहा कि परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी लगाना नियम नहीं, यह केवल एहतियातन किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब लाइट जाती है, तो कैमरे भी काम करना बंद कर देते हैं।
याचिकाकर्ता ने बिना खिड़की वाले कमरों की स्थिति बताई
याचिकाकर्ता ने कहा कि कुछ परीक्षा केंद्रों में ऐसे कमरे थे, जहां खिड़कियां नहीं थीं। वहां गहरा अंधेरा था, कुछ देखना तक संभव नहीं था। छात्रों को पेपर देने में कठिनाई हुई और इससे उनके भविष्य पर असर पड़ सकता है।
मेहता ने उठाया राष्ट्रीय रिजल्ट का मुद्दा
मेहता ने दलील दी कि नीट यूजी का परिणाम देशभर में बेहतर आया है। उन्होंने कहा कि कई शहरों में प्राकृतिक आपदाएं आईं, फिर भी वहां के छात्र अच्छे अंकों से पास हुए हैं।
कोर्ट– लाइट बंद कर देखना होगा कि काम हो पाता है या नहीं
इस बीच जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा कि सुनवाई के दौरान कमरे की लाइट बंद की जाए ताकि यह अनुभव किया जा सके कि अंधेरे में कुछ देख पाना या काम कर पाना संभव है या नहीं। ।
याचिकाकर्ता – देख लीजिए, अंधेरे में पढ़ना मुश्किल है
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि इस अंधेरे में पढ़ पाना भी कठिन है, फिर छात्र पेपर कैसे हल कर पाए होंगे?
मेहता ने दिया जवाब – इंदौर के छात्र कैसे पास हुए?
मेहता ने तर्क दिया कि यदि कम रोशनी में पेपर देना कठिन होता तो इंदौर के छात्र पास कैसे हुए?
याचिकाकर्ता की मांग – प्रभावित छात्रों की दोबारा परीक्षा हो
याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि जिन छात्रों को रोशनी की समस्या के कारण कठिनाई हुई, उनकी दोबारा परीक्षा ली जाए।
मेहता – दोबारा परीक्षा संभव नहीं
तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि ऐसा संभव नहीं है क्योंकि 75 हजार से अधिक छात्र परीक्षा दे चुके हैं और परिणाम घोषित हो चुका है। दोबारा परीक्षा नहीं ली जा सकती।
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इंदौर के 49 केंद्रों का रिजल्ट होल्ड
परीक्षा के दौरान इंदौर के कई केंद्रों पर बिजली गुल होने की वजह से छात्रों को एग्जाम देने में परेशानी हुई थी। हाईकोर्ट में लगी याचिकाओं के बाद कोर्ट ने 49 परीक्षा केंद्रों के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी थी। 14 जून को 75 छात्रों के रिजल्ट को होल्ड कर अन्य सभी का रिजल्ट घोषित कर दिया गया था।
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फैसला सुरक्षित, अगली सुनवाई 30 जून को
कोर्ट ने इस मामले में फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा है और अगली सुनवाई की तारीख 30 जून तय की है। साथ ही संकेत दिया कि यदि जरूरी पाया गया, तो दोबारा परीक्षा कराने पर विचार हो सकता है।
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