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मध्य प्रदेश में नई शराब नीति के तहत अब बार लाइसेंस की सातवीं श्रेणी जोड़ी गई है। इस श्रेणी में सिर्फ बीयर, वाइन और आरटीडी (RTD) ही बेची जा सकेगी। इसके तहत सिर्फ वही शराब सर्व की जा सकेगी, जिसमें अल्कोहल की मात्रा 10% या उससे कम हो। यह नीति शराब कारोबारियों के लिए एक नई दिशा प्रदान कर सकती है।
इस नए लाइसेंस की फीस बार लाइसेंस से आधी है। इसके अलावा, इसकी क्षेत्रीय सीमा भी छोटी होती है, जिससे कई शराब कारोबारी इस नीति में रुचि दिखा रहे हैं। इससे छोटे कारोबारी भी इस व्यवसाय में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि यह उन्हें अधिक मुनाफा देने का अवसर प्रदान करता है।
बीते पांच सालों में बीयर की खपत में 75% की बढ़ोतरी देखी गई है। इसका मुख्य कारण है युवाओं के बीच बीयर पीने का बढ़ता चलन। आबकारी विभाग के अनुसार, अब कई कारोबारी इस नीति के बारे में जानकारी ले रहे हैं, और उनकी संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है।
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पिछले साल 2023-24 में देसी और अंग्रेजी शराब की कुल बिक्री 2 हजार 200 लाख प्रूफ लीटर रही। इस दौरान बीयर की बिक्री लगभग 1 हजार 900 लाख बल्क लीटर तक पहुंची। शराब कारोबारियों का मानना है कि बीयर की बढ़ती मांग के कारण कारोबारी इस नए बदलाव में दिलचस्पी ले रहे हैं।
नई शराब नीति में कई प्रकार के बार की श्रेणियां बनाई गई हैं। इनमें 'एक दिन का लाइसेंस', 'रेस्त्रां बार', 'होटल बार', 'रिजॉर्ट बार', 'सिविलियन क्लब बार' और 'व्यावसायिक क्लब बार' शामिल हैं। प्रत्येक श्रेणी की अलग-अलग सुविधाएं और शुल्क हैं, जो शराब कारोबारियों के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं।
नई शराब नीति के तहत बीयर और अन्य हल्के अल्कोहल वाले पेय पदार्थों की खपत बढ़ने की संभावना है। यह नीति शराब कारोबारियों के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करती है। साथ ही, यह युवाओं के बीच बीयर पीने के चलन को और बढ़ावा दे सकती है।