झिन्ना खदान पर NGT सख्त, कलेक्टर, वन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय से मांगा जवाब

कटनी जिले झिन्ना खदान के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने कटनी कलेक्टर, वन विभाग और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।

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Raj Singh
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मध्यप्रदेश के कटनी जिले झिन्ना खदान के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने कटनी कलेक्टर, वन विभाग और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। दरअसल, झिन्ना और हर्रैया वन भूमि हैं, लेकिन अफसर इसे राजस्व की जमीन करार देने पर तुले हुए हैं। इसे लेकर भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार संतोष उपाध्याय एनजीटी गए थे। अब जस्टिस एसके सिंह ने मामले से जुड़े तीन किरदारों से जवाब तलब किया है। मामले की पैरवी एडवोकेट हर्षवर्धन तिवारी ने की है।

क्या है मामला? 

ढीमरखेड़ा के वन क्षेत्र ग्राम झिन्ना की 48.562 हेक्टेयर भूमि को लेकर यह पूरा मामला है। करीब 120 एकड़ की इस वन जमीन पर कटनी के खनन कारोबारी आनंद गोयनका की गिद्ध नजर है। इसी मामले को पत्रकार उपाध्याय ने पिछले दिनों शिकायत की थी। उपाध्याय का आरोप है कि खनन कारोबारी आनंद गोयनका मेसर्स सुखदेव प्रसाद गोयनका को मध्यप्रदेश की तत्कालीन दिग्विजय सरकार के कार्यकाल में 1994 से 2014 तक की अवधि के लिए 48.562 हेक्टेयर जमीन पर खनन करने का पट्टा मिला था। खनिज पट्टा आवंटित होने के पीछे बहुत कुछ छिपा है।

दरअसल सरकार ने ग्राम झिन्ना के वन क्षेत्र की 48.562 हेक्टेयर जमीन का पुराना खसरा नम्बर 310, 311, 313, 314/1, 314/2, 315, 316, 317, 318, 265, 320 में खनिज के लिए 1 अप्रैल 1991 में 1994 से लेकर 2014 तक की अवधि के लिए निमेष बजाज के पक्ष में खनिज पट्टा स्वीकृत किया था। वर्ष 1999 में खनिज विभाग के आदेश से 13 जनवरी 1999 को उक्त खनिज पट्टा मेसर्स सुखदेव प्रसाद गोयनका प्रोप्राइटर आनंद गोयनका के पक्ष में हस्तांतरित किया गया। साल 2000 में वन मंडल अधिकारी कटनी के पत्र के आधार पर कटनी कलेक्टर ने आदेश पारित कर लेटेराइट फायर क्ले और अन्य खनिज के खनन पर रोक लगा दी थी। 

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वन भूमि का इतिहास

ग्राम झिन्ना की जमीन जमींदारी उन्मूलन के बाद वन विभाग को वर्ष 1955 में 774.05 एकड़ भूमि प्रबंधन में मिली थी, जो वर्ष 1908-09 से 1948-49 तक जमींदार रायबहादुर खजांची, बिहारी लाल व अन्य के नाम दर्ज थी। इसे 10 जुलाई 1958 की सूचना और एक अगस्त 1958 की प्रकाशन तिथि से संरक्षित वन घोषित किया गया। इसके बाद भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 4 की अधिसूचना क्रमांक डी-3390-3415-07-दस-3 दिनांक 24 सितम्बर 2007 प्रकाशन दिनांक 14 दिसम्बर 2007 से वनमंडल झिन्ना के अंतर्गत ग्राम झिन्ना के खसरा नम्बर 304, 333, 320 में कुल रकबा 153.60 एकड़ क्षेत्र अधिसूचित कर दिया। इसके बाद एसडीएम ढीमरखेड़ा को वन व्यवस्थापन अधिकारी नियुक्त किया गया, जो कि वन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज है। 

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क्या है पूरी कहानी?

वर्ष 2019-19 में एसडीएम ढीमरखेड़ा (वन व्यवस्थापन अधिकारी) द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक/01अ-19(4)/2018-19 में पारित आदेश दिनांक 18-9-2019 के अंतर्गत उल्लेख किया गया। वादग्रस्त भूमि खसरा नम्बर 320 वर्ष 1906 से 1951 तक मालगुजारी की जमीन नहीं थी। एसडीएम ढीमरखेड़ा (वन व्यवस्थापन अधिकारी) द्वारा पारित आदेश दिनांक 18-07-2008, 18-10-2011 और 18-09-2019 को पारित प्रत्येक आदेश में उक्त भूमि को वन भूमि मानने से इंकार किया। जिसे कलेक्टर कटनी द्वारा अपने आदेश दिनांक 04-03-2010, 19-03-2013 और 19-12-2019 के माध्यम से एसडीएम ढीमरखेड़ा (वन व्यवस्थापन अधिकारी) द्वारा पारित आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई।

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